Friday, 26 September 2025

व्यक्तित्व की संरचना और उसे प्रभावित करने वाले कारक..


क्या आपने कभी सोचा है कि दो व्यक्ति एक ही स्थिति में इतनी अलग तरह से प्रतिक्रिया क्यों करते हैं? एक शांत और संयमित रहता है, जबकि दूसरा उत्तेजित हो जाता है। यही अंतर उनके व्यक्तित्व में छिपा है। व्यक्तित्व केवल किसी व्यक्ति के बाहरी रूप या व्यवहार का संग्रह मात्र नहीं है; यह एक जटिल और गत्यात्मक (Dynamic) संरचना है, जो हमारे विचार, भावनाएँ और क्रियाओं को विशिष्टता प्रदान करती है।

व्यक्तित्व की संरचना: ‘मैं’ की जटिल पहेली
मनोविज्ञान में, व्यक्तित्व (Personality) उन अनूठे और अपेक्षाकृत स्थिर गुणों और व्यवहार के पैटर्न को संदर्भित करता है जो समय के साथ और विभिन्न परिस्थितियों में किसी व्यक्ति के व्यवहार को विशिष्टता देते हैं। यह वह सार है जो हमें ‘हम’ बनाता है।
जर्मन शब्द 'पर्सोना' (Persona) से उत्पन्न, जिसका अर्थ है 'मुखौटा', व्यक्तित्व को शुरू में बाहरी स्वरूप तक सीमित समझा जाता था। लेकिन आधुनिक मनोविज्ञान इसे व्यक्ति के बाह्य (शारीरिक गठन, चाल-ढाल) और आंतरिक (बुद्धि, स्वभाव, रुचि, मनोवृत्ति, नैतिकता) गुणों का एक संगठित योग मानता है।

व्यक्तित्व की संरचना को समझने के लिए, विभिन्न सिद्धांत दिए गए हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं:

1. शीलगुण उपागम (Trait Approach)
यह उपागम मानता है कि व्यक्तित्व कुछ बुनियादी शीलगुणों (Traits) से बना होता है, जो व्यवहार में स्थिरता लाते हैं। सबसे प्रसिद्ध मॉडल "बिग फाइव" (Big Five) या महासागर (OCEAN) मॉडल है, जो पाँच प्रमुख आयामों की बात करता है:
 * अनुभव के प्रति खुलापन (Openness to Experience): कल्पनाशील, जिज्ञासु और नए विचारों के लिए खुला होना।
 * कर्तव्यनिष्ठा (Conscientiousness): संगठित, जिम्मेदार, विश्वसनीय और लक्ष्य-उन्मुख होना।
 * बहिर्मुखता (Extraversion): सामाजिक, मिलनसार, मुखर और ऊर्जावान होना।
 * सहमतिजनकता (Agreeableness): दयालु, सहयोगी, स्नेही और भरोसेमंद होना।
 * तंत्रिकाताप (Neuroticism): संवेदनशील, चिंतित, मूडी और भावनात्मक रूप से अस्थिर होना।
   इन पाँच आयामों का मिश्रण प्रत्येक व्यक्ति के अद्वितीय व्यक्तित्व का निर्माण करता है।
2. मनोगत्यात्मक उपागम (Psychodynamic Approach)
सिगमंड फ्रायड (Sigmund Freud) ने व्यक्तित्व की संरचना को तीन मूलभूत घटकों में विभाजित किया:
 * इदम् (Id): यह मूल, अनैच्छिक इच्छाओं और यौन/आक्रामक प्रवृत्तियों का भंडार है, जो सुख के सिद्धांत (Pleasure Principle) पर काम करता है।
 * अहम् (Ego): यह वास्तविकता के संपर्क में रहता है और वास्तविकता सिद्धांत (Reality Principle) पर काम करता है। यह इदम् की माँगों को सामाजिक रूप से स्वीकार्य तरीके से पूरा करने का प्रयास करता है।
 * पराहम् (Superego): यह नैतिक विवेक और आदर्शों का प्रतिनिधित्व करता है, जो समाज और माता-पिता से सीखा जाता है। यह हमें सही और गलत का ज्ञान कराता है।
   ये तीनों घटक निरंतर संघर्ष और समन्वय में रहते हैं, जो हमारे व्यवहार को आकार देते हैं।
3. भारतीय 'त्रिगुण' मॉडल (Triguna Model)
भारतीय दर्शन, विशेष रूप से योग और आयुर्वेद में, व्यक्तित्व को तीन 'गुणों' के सापेक्ष मिश्रण के रूप में देखा जाता है:
 * सत्त्व (Sattva): यह अच्छाई, ज्ञान, सद्भाव और शांति का प्रतिनिधित्व करता है।
 * रजस (Rajas): यह जुनून, गतिविधि, महत्वाकांक्षा और ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है।
 * तमस (Tamas): यह जड़ता, सुस्ती, अज्ञानता और विनाश का प्रतिनिधित्व करता है।
   किसी व्यक्ति में इन गुणों की प्रधानता उसके स्वभाव और व्यवहार को निर्धारित करती है।

व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले कारक: ढलना और तराशना..

मानव व्यक्तित्व किसी एक कारक का परिणाम नहीं है, बल्कि यह आनुवंशिकता (Nature) और वातावरण (Nurture) की जटिल अंतःक्रिया का फल है।
I. जैविक निर्धारक (Biological Factors)
ये वे कारक हैं जो व्यक्ति को जन्म से ही मिलते हैं:
1. आनुवंशिकता (Heredity)
माता-पिता से प्राप्त जीन्स हमारी बुद्धि, शारीरिक गठन और कुछ हद तक स्वभाव (Temperament) को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, बहिर्मुखता या तंत्रिकाताप जैसे कुछ शीलगुणों में आनुवंशिक प्रभाव देखा गया है।
2. शारीरिक गठन और स्वास्थ्य (Physical Constitution and Health)
रंग-रूप, कद, शारीरिक बनावट, और सामान्य स्वास्थ्य का व्यक्ति के आत्म-सम्मान और दूसरों के साथ उसके व्यवहार पर गहरा प्रभाव पड़ता है। आकर्षक व्यक्तित्व वाले लोगों को अक्सर अधिक सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलती है, जिससे उनके व्यवहार में आत्मविश्वास झलकता है।
3. अंतःस्रावी ग्रंथियाँ (Endocrine Glands)
थायरॉइड, एड्रेनल और पिट्यूटरी जैसी ग्रंथियों द्वारा स्रावित हार्मोन व्यक्ति के संवेगों, ऊर्जा स्तर और स्वभाव को प्रभावित करते हैं। हार्मोन का असंतुलन चिड़चिड़ापन, सुस्ती या अत्यधिक संवेदनशीलता जैसे व्यक्तित्व लक्षणों को जन्म दे सकता है।
II. पर्यावरणीय निर्धारक (Environmental Factors)
ये वे बाहरी परिस्थितियाँ और शक्तियाँ हैं जो जन्म के बाद व्यक्ति को प्रभावित करती हैं:
1. परिवार और घर का वातावरण (Family and Home Environment)
यह व्यक्तित्व विकास की पहली पाठशाला है।
 * पालन-पोषण शैली: माता-पिता की अत्यधिक सुरक्षा, कठोरता या स्नेहपूर्ण व्यवहार बच्चे में आत्मविश्वास, निर्भरता या स्वायत्तता जैसे गुण विकसित करता है।
 * पारिवारिक संरचना: एकल या संयुक्त परिवार, भाई-बहनों की संख्या, और परिवार की आर्थिक स्थिति बच्चे की सामाजिकता और महत्वाकांक्षा को प्रभावित करती है।
 * आदर्श (Role Models): माता-पिता या परिवार के अन्य सदस्यों का व्यवहार बच्चे के लिए एक मॉडल का काम करता है, जिससे वह अनुकरण करके सीखता है।
2. विद्यालय का प्रभाव (Influence of School)
घर के बाद, विद्यालय वह स्थान है जहाँ बच्चे का व्यक्तित्व व्यापक रूप से विकसित होता है।
 * शिक्षक का व्यक्तित्व: शिक्षकों का व्यवहार छात्रों में अनुशासन, सहयोग और जिज्ञासा की भावना पैदा करता है।
 * सहपाठी समूह (Peer Group): साथियों के साथ घुलना-मिलना सामाजिक कौशल, नेतृत्व क्षमता और समूह के मानदंडों के अनुकूलन की क्षमता को विकसित करता है।
 * पाठ्येतर गतिविधियाँ: खेल, कला और अन्य गतिविधियाँ आत्मविश्वास और टीम वर्क जैसे गुणों को तराशती हैं।
3. सामाजिक और सांस्कृतिक कारक (Social and Cultural Factors)
व्यक्ति जिस समाज और संस्कृति में रहता है, उसके मूल्य, रीति-रिवाज, परंपराएँ और सामाजिक अपेक्षाएँ उसके व्यक्तित्व पर गहरी छाप छोड़ती हैं।
 * सांस्कृतिक मानदंड: प्रत्येक संस्कृति विशिष्ट व्यवहारों को प्रोत्साहित या हतोत्साहित करती है। उदाहरण के लिए, कुछ संस्कृतियों में सामुदायिकता (Collectivism) को महत्व दिया जाता है, जबकि अन्य में व्यक्तिवाद (Individualism) को, जिसका सीधा असर सामाजिक व्यवहार पर पड़ता है।
 * धर्म और नैतिकता: धार्मिक मान्यताएँ और नैतिक मूल्य व्यक्ति के विवेक और आचरण को निर्देशित करते हैं।
 * जनसंचार माध्यम (Mass Media): टेलीविजन, इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित होने वाले आदर्श और जीवन-शैली व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करते हैं।
4. भौगोलिक और जलवायु कारक (Geographical and Climate Factors)
कुछ शोध बताते हैं कि ठंडी जलवायु वाले क्षेत्रों के लोग अधिक मेहनती और शांत स्वभाव के हो सकते हैं, जबकि गर्म क्षेत्रों के लोग अधिक उत्साही और आरामपसंद हो सकते हैं।
निष्कर्ष: निरंतर विकसित होता स्वरूप

संक्षेप में, व्यक्तित्व की संरचना व्यक्ति के बाहरी और आंतरिक गुणों का एक जटिल और सुसंगठित पैटर्न है, जिसे समझने के लिए शीलगुण, मनोगत्यात्मक, और सांस्कृतिक मॉडलों का अध्ययन आवश्यक है। यह संरचना जैविक कारकों द्वारा स्थापित एक नींव पर खड़ी होती है, जिसे पर्यावरणीय कारकों द्वारा जीवन भर लगातार तराशा और ढाला जाता है। व्यक्तित्व एक स्थिर अवस्था नहीं, बल्कि एक गत्यात्मक समष्टि है, जो अनुभवों और समायोजनों के साथ विकसित होता रहता है।

इस विषय से संबंधित एक सवाल:
क्या आप मानते हैं कि प्रौद्योगिकी (Technology) और सोशल मीडिया (Social Media) जैसे आधुनिक पर्यावरणीय कारक व्यक्ति के "बहिर्मुखता" और "तंत्रिकाताप" जैसे मूलभूत शीलगुणों को स्थायी रूप से बदल सकते हैं, या ये केवल उनके प्रदर्शन के तरीके को प्रभावित करते हैं?

आप इस लेख में उल्लिखित तत्वों पर अधिक जानकारी यहाँ देख सकते हैं: Personality and it's factors in Urdu/Hindi
यह वीडियो व्यक्तित्व और उसे प्रभावित करने वाले कारकों को हिंदी/उर्दू में समझाता है, जो आपके विषय से संबंधित है।


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