Friday, 26 September 2025

एलिजाबेथ निर्धनता कानून: 400 साल पुराना सामाजिक सुरक्षा का आधार...


इतिहास के पन्नों में, कुछ कानून ऐसे होते हैं जो केवल उस समय की समस्याओं का समाधान नहीं करते, बल्कि भविष्य की सामाजिक नीतियों की नींव भी रखते हैं। एलिजाबेथ निर्धनता कानून 1601 (The Elizabethan Poor Law of 1601) एक ऐसा ही मील का पत्थर है। यह कानून केवल गरीबी से निपटने का एक प्रयास नहीं था, बल्कि यह आधुनिक कल्याणकारी राज्य (Welfare State) की अवधारणा का एक प्रारंभिक खाका था। यह कानून चार शताब्दियों तक अंग्रेजी सामाजिक नीति पर हावी रहा और गरीबी को देखने के तरीके को हमेशा के लिए बदल दिया।

निर्धनता कानून क्या था?

एलिजाबेथ निर्धनता कानून को आधिकारिक तौर पर 'गरीबों के राहत के लिए अधिनियम' (An Act for the Relief of the Poor) के रूप में जाना जाता है। इसे इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेबेथ प्रथम के शासनकाल के अंत में 1601 में पारित किया गया था। यह कानून पिछली सदियों के सभी बिखरे हुए और अस्थायी गरीबी कानूनों को समेट कर एक एकीकृत राष्ट्रीय प्रणाली स्थापित करने वाला पहला व्यापक और स्थायी विधान था।
यह कानून इस सिद्धांत पर आधारित था कि गरीबों की देखभाल करना चर्च या व्यक्तिगत दानदाताओं की नहीं, बल्कि राज्य और स्थानीय समुदाय की जिम्मेदारी है। इसका मूल उद्देश्य पूरे देश में गरीबी से निपटने के लिए एक सुसंगत और व्यवस्थित दृष्टिकोण प्रदान करना था।
कानून की आवश्यकता क्यों पड़ी? (ऐतिहासिक पृष्ठभूमि)
16वीं शताब्दी का इंग्लैंड सामाजिक और आर्थिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा था। निर्धनता कानून की आवश्यकता के पीछे कई प्रमुख कारण थे:
1. मठों का विघटन (Dissolution of the Monasteries)
राजा हेनरी अष्टम द्वारा 1536 से 1541 के बीच मठों को भंग कर दिए जाने से, मठों द्वारा चलाए जा रहे पारंपरिक गरीबों के आश्रय (Almshouses) और दान की व्यवस्था ध्वस्त हो गई। इससे हजारों बेघर और असहाय लोग बिना किसी सामाजिक सुरक्षा जाल के सड़कों पर आ गए।
2. जनसंख्या वृद्धि और मुद्रास्फीति
16वीं शताब्दी में जनसंख्या तेजी से बढ़ी, जिससे भोजन और आवास की माँग बढ़ गई। साथ ही, सोने और चाँदी की आमद के कारण मुद्रास्फीति (Inflation) में वृद्धि हुई, जिससे गरीब श्रमिकों के लिए जीवन यापन करना और भी कठिन हो गया।
3. कृषि संकट और भू-बाड़बंदी (Enclosure Movement)
कृषि में नए तरीकों और भू-बाड़बंदी आंदोलन के कारण कई छोटे किसान और खेतिहर मजदूर अपनी जमीनें खो बैठे। वे शहरों की ओर पलायन करने लगे, जिससे शहरों में गरीबी और बेरोजगारी बढ़ गई।
इन चुनौतियों ने सरकार को मजबूर किया कि वह सार्वजनिक शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए गरीबी के मुद्दे को गंभीरता से ले।

एलिजाबेथ निर्धनता कानून के तीन आधार स्तंभ..

इस कानून ने गरीबों को उनकी काम करने की क्षमता के आधार पर तीन श्रेणियों में विभाजित किया और प्रत्येक श्रेणी के लिए एक विशिष्ट प्रकार की सहायता निर्धारित की। यह वर्गीकरण कानून का मूल आधार था:
1. काम करने में सक्षम गरीब (Able-Bodied Poor)
ये वे लोग थे जो स्वस्थ थे और काम कर सकते थे, लेकिन उनके पास रोज़गार नहीं था।
 * उपचार: इन्हें अक्सर 'वागाबॉन्ड' या 'भिखारी' माना जाता था। इन्हें कठोर माना जाता था क्योंकि उनका मानना था कि अगर वे काम कर सकते हैं तो उन्हें करना चाहिए।
 * सहायता: इन्हें वर्कहाउस (Workhouse) में काम करने के लिए मजबूर किया जाता था। इन्हें कच्चा माल (जैसे ऊन, सन, या लोहा) प्रदान किया जाता था, ताकि वे काम करें और अपने भरण-पोषण के लिए कमाएँ। Workhouse में न जाने वालों को कठोर दंड दिया जाता था।
2. काम करने में अक्षम गरीब (Impotent Poor)
ये वे लोग थे जो बूढ़े, बीमार, अंधे, लंगड़े या शारीरिक रूप से अक्षम थे और काम करने में असमर्थ थे।
 * उपचार: इन्हें सहानुभूति के योग्य माना जाता था।
 * सहायता: इन्हें गरीबी गृहों (Poorhouses) में आश्रय दिया जाता था या उनके अपने घरों में रहकर निर्वाह करने के लिए सीधे राहत सामग्री ('बाहरी राहत' या Outdoor Relief) प्रदान की जाती थी।
3. आश्रित बच्चे (Dependent Children)
ये अनाथ बच्चे या वे बच्चे थे जिनके माता-पिता उनकी देखभाल करने में असमर्थ थे।
 * उपचार: समाज के भविष्य के रूप में उनकी देखभाल करना आवश्यक माना जाता था।
 * सहायता: इन बच्चों को या तो गरीबी गृहों में रखा जाता था या उन्हें अप्रेंटिसशिप (Apprenticeship) पर भेजा जाता था। लड़कों को 24 साल की उम्र तक और लड़कियों को 21 साल की उम्र तक या शादी होने तक एक शिल्प (Trade) सीखने के लिए किसी मास्टर के पास भेज दिया जाता था।
कानून की प्रशासनिक संरचना: 'गरीबी कर' और ओवरसियर
इस कानून ने गरीबी राहत के लिए एक शक्तिशाली और स्थायी प्रशासनिक ढाँचा प्रदान किया:
1. गरीबी कर (The Poor Rate)
इस कानून का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह था कि इसने स्थानीय स्तर पर एक अनिवार्य कर लगाया, जिसे 'गरीबी कर' कहा जाता था। यह कर जमींदारों और गृहस्वामियों से वसूला जाता था। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि गरीबों को दान पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, बल्कि राहत के लिए एक स्थिर और सुनिश्चित धन स्रोत उपलब्ध होगा।
2. गरीबों के ओवरसियर (Overseers of the Poor)
प्रत्येक पल्ली (Parish) या छोटे प्रशासनिक क्षेत्र में, न्यायधीशों (Justices of the Peace) द्वारा चार तक 'गरीबों के ओवरसियर' नियुक्त किए जाते थे।
 * कार्य: इन ओवरसियरों का काम गरीबी कर जमा करना, गरीबों की पहचान करना, राहत की मात्रा निर्धारित करना और Workhouse तथा Poorhouse का प्रबंधन करना था।
यह विकेन्द्रीकृत प्रणाली पहली बार गरीबी को पल्ली स्तर पर प्रबंधित करने का कानूनी अधिकार और साधन प्रदान करती थी, जिससे स्थानीय समुदाय सीधे तौर पर अपने गरीबों की देखभाल के लिए जिम्मेदार बन गए।
एलिजाबेथ निर्धनता कानून का विरासत और प्रभाव
1601 का यह कानून 1834 तक अंग्रेजी सामाजिक सुरक्षा प्रणाली का आधार बना रहा, जब इसे नए निर्धनता कानून (New Poor Law) द्वारा प्रतिस्थापित किया गया।
1. आधुनिक सामाजिक सुरक्षा की नींव
एलिजाबेथ निर्धनता कानून ने दो मौलिक अवधारणाओं को स्थापित किया जो आज भी कल्याणकारी राज्यों में प्रासंगिक हैं:
 * स्थानीय जिम्मेदारी: यह विचार कि स्थानीय समुदाय अपने सदस्यों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए वित्तीय रूप से जिम्मेदार हैं।
 * सार्वजनिक वित्तपोषण: यह सिद्धांत कि गरीबों को राहत व्यक्तिगत दान पर नहीं, बल्कि अनिवार्य सार्वजनिक कराधान (Public Taxation) पर आधारित होनी चाहिए।
2. "वर्गीकरण" की शुरुआत
कानून ने गरीबी को काम करने में सक्षम और अक्षम लोगों में वर्गीकृत किया। हालाँकि यह भेद अक्सर कठोर और नैतिक रूप से आरोपित था, इसने आधुनिक कल्याणकारी कार्यक्रमों में सहायता पात्रता (Eligibility) के लिए लाभार्थियों को श्रेणियों में विभाजित करने की प्रथा शुरू की।
3. आलोचना और परिवर्तन
समय के साथ, औद्योगिक क्रांति के आगमन और तेजी से शहरीकरण ने इस स्थानीय, कृषि-आधारित प्रणाली पर दबाव डाला। Workhouse अक्सर क्रूर और अमानवीय माने जाते थे, और 'सेटलमेंट का कानून' (Law of Settlement), जो लोगों को अपने मूल पल्ली से बाहर जाने से रोकता था, ने श्रमिकों की गतिशीलता (Mobility) को बाधित किया। इन समस्याओं के कारण ही 1834 में एक केंद्रीकृत और अधिक कठोर प्रणाली लाने की आवश्यकता पड़ी।

निष्कर्ष रूप में, एलिजाबेथ निर्धनता कानून 1601 इंग्लैंड के सामाजिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह न केवल उस युग की कठोर वास्तविकता को दर्शाता है बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे एक समाज ने पहली बार गरीबी को एक सामूहिक जिम्मेदारी के रूप में लिया, जिससे आधुनिक कल्याणकारी राज्य की दिशा में पहला निर्णायक कदम उठाया गया। यह कानून आज भी सामाजिक न्याय और सार्वजनिक नीति के बीच के जटिल संबंधों को समझने में महत्वपूर्ण है।

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