हमारे जीवन में समय और मेहनत का बहुत गहरा रिश्ता है। अक्सर हम देखते हैं कि लोग केवल समय देखकर हमारे साथ जुड़ते हैं। जब हमारे पास पद, प्रतिष्ठा, पैसा या प्रसिद्धि होती है, तब बहुत से लोग हमारे आसपास रहते हैं। परंतु वही लोग कठिन समय में साथ छोड़ देते हैं। लेकिन एक सत्य यह भी है कि जब हम कठिनाइयों में भी मेहनत करना नहीं छोड़ते, तो धीरे-धीरे समय भी हमारी मेहनत देखकर हमारे पक्ष में आ जाता है। इसीलिए कहा गया है— “लोग समय देखकर आते हैं, और समय मेहनत देखकर।”
1. लोग समय देखकर क्यों आते हैं?
मानव स्वभाव ही ऐसा है कि वह परिस्थितियों पर निर्भर करता है। जब किसी के पास सुख-सुविधाएँ और उपलब्धियाँ होती हैं, तो लोग उसे सफल मानते हैं और उसके साथ जुड़ने लगते हैं। यह एक प्रकार का सामाजिक आकर्षण है।
यदि किसी व्यक्ति के पास आर्थिक स्थिरता है, तो समाज उसे सम्मान देता है।
यदि किसी के पास उच्च पद है, तो लोग उसे अपना आदर्श मानते हैं।
और यदि कोई व्यक्ति प्रसिद्ध है, तो लोग केवल उसकी प्रसिद्धि के कारण उससे जुड़ना चाहते हैं।
इसलिए कहा जा सकता है कि अधिकांश लोग किसी के व्यक्तित्व या विचारों से अधिक उसके समय और परिस्थिति से प्रभावित होते हैं।
2. समय मेहनत देखकर क्यों आता है?
समय एक निष्पक्ष शक्ति है। यह न तो किसी के लिए रुकता है और न किसी पर विशेष कृपा करता है। परंतु यह हमेशा मेहनती और संघर्षशील व्यक्ति का साथ देता है।
जो व्यक्ति कठिन परिस्थितियों में हार नहीं मानता, वही समय को बदल पाता है।
मेहनत और धैर्य ऐसे हथियार हैं जिनसे समय को अपने पक्ष में मोड़ा जा सकता है।
उदाहरण के लिए, एक किसान की फसल एक साल खराब हो जाए, तो वह निराश नहीं होता। वह अगले साल और मेहनत करता है। परिणामस्वरूप समय उसके धैर्य और परिश्रम का फल उसे देता है।
यही कारण है कि कहा गया है— “किस्मत मेहनती लोगों का साथ देती है।”
3. जीवन के उदाहरण
अबराहम लिंकन: अमेरिका के राष्ट्रपति बनने से पहले लिंकन ने अपने जीवन में अनेक असफलताएँ देखीं। चुनाव हारना, व्यापार में नुकसान होना और व्यक्तिगत समस्याएँ भी आईं, लेकिन उन्होंने मेहनत नहीं छोड़ी। अंततः समय उनके परिश्रम से प्रभावित हुआ और वे इतिहास में महान नेता बने।
एपीजे अब्दुल कलाम: साधारण परिवार से निकलकर भारत के राष्ट्रपति और मिसाइल मैन कहलाना उनके कठिन परिश्रम का ही परिणाम है। उनकी सफलता इस बात का प्रमाण है कि समय मेहनत को देखकर बदलता है।
गाँधीजी: दक्षिण अफ्रीका में एक सामान्य वकील से भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महानायक बनने तक का सफर उनके सतत प्रयास और सत्याग्रह की वजह से ही संभव हुआ।
4. कठिन समय की अहमियत
कठिनाइयाँ हमें यह सिखाती हैं कि कौन हमारा सच्चा साथी है और कौन केवल परिस्थितियों का साथी है। जब समय हमारे खिलाफ होता है, तब लोग हमें छोड़ देते हैं, लेकिन यही समय हमें मजबूत भी बनाता है।
यह हमें धैर्य सिखाता है।
यह हमें आत्मनिर्भर बनाता है।
यह हमें मेहनत का महत्व समझाता है।
इसीलिए कठिन समय को शत्रु न मानकर गुरु मानना चाहिए।
5. सफलता का मूल मंत्र
यदि हम चाहते हैं कि लोग हमें समय देखकर न बल्कि हमारी पहचान और विचारों के कारण याद रखें, तो हमें मेहनत को जीवन का आधार बनाना होगा।
मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती, वह किसी-न-किसी रूप में फल देती ही है।
जो लोग निरंतर प्रयास करते रहते हैं, उनके जीवन में देर से ही सही लेकिन बदलाव जरूर आता है।
सफलता का असली मंत्र यही है कि परिस्थितियाँ कैसी भी हों, मेहनत और विश्वास का साथ न छोड़ें।
6. प्रेरणा
सोचिए, यदि कठिन समय में आप हार मान लें और प्रयास करना बंद कर दें, तो समय कभी भी आपका पक्ष नहीं लेगा। लेकिन यदि आप लगातार प्रयास करते रहेंगे, तो न केवल समय बदलेगा बल्कि वही लोग जो पहले साथ छोड़ गए थे, वापस आपके पास लौट आएंगे।
निष्कर्ष
जीवन का यह नियम है कि लोग परिस्थितियों के अनुसार आपका साथ देंगे, लेकिन समय केवल आपके परिश्रम और धैर्य को देखकर बदलेगा। इसलिए यह आवश्यक है कि हम दूसरों के साथ आने-जाने की चिंता न करें, बल्कि अपनी मेहनत पर भरोसा रखें। जब हम निरंतर परिश्रम करेंगे, तो समय भी हमारे पक्ष में होगा और लोग भी मजबूर होकर हमारी सफलता का हिस्सा बनना चाहेंगे।
इसलिए याद रखिए—
“लोग आपका समय देखकर आपके साथ आते हैं, लेकिन समय आपकी मेहनत देखकर आपके साथ आता है।”
No comments:
Post a Comment