90 का दशक, एक ऐसा समय जब भारत आर्थिक उदारीकरण की दहलीज पर खड़ा था और समाज धीरे-धीरे बदल रहा था। उस दौर में महिलाओं का जीवन आज की तुलना में काफी अलग था। संचार के साधन सीमित थे, जानकारी तक पहुँच मुश्किल थी, और घर-बाहर की जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बिठाना एक चुनौती थी। आज, जब हम स्मार्टफोन, इंटरनेट, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में जी रहे हैं, तो यह सोचना भी मुश्किल लगता है कि कैसे सिर्फ तीन दशकों में टेक्नोलॉजी ने महिला की जिंदगी को इतना आसान और सशक्त बना दिया है।
90 के दशक की महिलाएं: एक अलग तस्वीर...
90 के दशक में, एक महिला के दिन की शुरुआत और अंत आज से काफी भिन्न होता था।
* घर-गृहस्थी: घर के कामों में हाथ से कपड़े धोना, सिलबट्टे पर मसाले पीसना, और बिना माइक्रोवेव के घंटों किचन में बिताना आम था। एंटरटेनमेंट के लिए दूरदर्शन के कुछ चैनल या वीसीआर का सहारा था।
* शिक्षा और करियर: उच्च शिक्षा और करियर के अवसर आज जितने व्यापक नहीं थे। जानकारी के लिए लाइब्रेरी जाना या सीमित किताबों पर निर्भर रहना पड़ता था। नौकरीपेशा महिलाओं के लिए घर और काम के बीच सामंजस्य बिठाना और भी मुश्किल था, क्योंकि संचार के साधन (लैंडलाइन फोन) घर तक ही सीमित थे।
* सुरक्षा और स्वतंत्रता: व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए स्मार्टफोन जैसी कोई चीज़ नहीं थी। बाहर निकलने पर घरवालों से संपर्क बनाए रखना मुश्किल था, और सार्वजनिक परिवहन में सुरक्षा एक बड़ी चिंता थी।
* सामाजिक संपर्क: सामाजिक संपर्क मुख्य रूप से प्रत्यक्ष मुलाकातों या पत्रों पर आधारित था। दूर रहने वाले रिश्तेदारों या दोस्तों से बात करना महंगा और समय लेने वाला होता था।
टेक्नोलॉजी का आगमन: बदलाव की बयार...
2000 के दशक की शुरुआत से ही टेक्नोलॉजी ने भारत में अपनी पैठ बनानी शुरू की और इसका सबसे बड़ा फायदा महिलाओं को हुआ।
1. संचार क्रांति और कनेक्टिविटी:
* मोबाइल फोन: मोबाइल फोन ने महिलाओं को अभूतपूर्व स्वतंत्रता दी। अब वे कहीं भी, कभी भी अपने परिवार से संपर्क कर सकती थीं। इमरजेंसी में मदद मांगना आसान हो गया, जिससे उनकी सुरक्षा का स्तर बढ़ा।
* इंटरनेट और सोशल मीडिया: इंटरनेट ने सूचना के दरवाजे खोल दिए। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम) ने दूर के दोस्तों और रिश्तेदारों से जुड़ना आसान बनाया। महिलाएँ अब अपनी आवाज़ उठा सकती थीं, अपने विचार साझा कर सकती थीं और समान विचारधारा वाले समूहों से जुड़ सकती थीं।
2. घर-गृहस्थी में आसानी और समय की बचत:
* आधुनिक उपकरण: वाशिंग मशीन, डिशवॉशर, माइक्रोवेव ओवन, मिक्सर ग्राइंडर जैसे उपकरणों ने घरेलू कामों को बहुत आसान बना दिया है। इससे महिलाओं का काफी समय बचता है, जिसका उपयोग वे अपने करियर, शिक्षा या व्यक्तिगत रुचियों के लिए कर सकती हैं।
* ऑनलाइन सेवाएं: ऑनलाइन ग्रॉसरी शॉपिंग, फूड डिलीवरी ऐप्स, बिल भुगतान और घरेलू सेवाओं (प्लम्बर, इलेक्ट्रीशियन) ने घर से बाहर जाए बिना कई काम निपटाने की सुविधा दी है।
3. शिक्षा और करियर के नए आयाम:
* ऑनलाइन शिक्षा: ऑनलाइन कोर्सेज, ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म और वर्चुअल क्लासरूम ने महिलाओं को घर बैठे उच्च शिक्षा प्राप्त करने या नए कौशल सीखने का मौका दिया है। यह उन महिलाओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है जो पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण घर से बाहर नहीं जा सकतीं।
* वर्क फ्रॉम होम: टेक्नोलॉजी ने 'वर्क फ्रॉम होम' कल्चर को बढ़ावा दिया है। इससे महिलाएं अपने करियर को जारी रखते हुए परिवार और बच्चों की देखभाल भी कर सकती हैं। फ्रीलांसिंग और रिमोट जॉब्स ने उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के कई अवसर दिए हैं।
* ई-कॉमर्स और उद्यमिता: ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ने महिला उद्यमियों को अपना व्यवसाय शुरू करने और उत्पादों को ऑनलाइन बेचने का मंच दिया है। घर से ही छोटे व्यवसायों को चलाना अब बहुत आसान हो गया है।
4. स्वास्थ्य और कल्याण:
* हेल्थ ऐप्स और वियरेबल्स: फिटनेस ट्रैकर्स और हेल्थ ऐप्स महिलाओं को अपने स्वास्थ्य (मासिक धर्म चक्र, नींद, व्यायाम) को ट्रैक करने और बेहतर जीवन शैली अपनाने में मदद करते हैं।
* टेलीमेडिसिन: दूर-दराज के इलाकों में या व्यस्त महिलाओं के लिए टेलीमेडिसिन (ऑनलाइन डॉक्टर कंसल्टेशन) एक वरदान साबित हुआ है, जिससे उन्हें समय पर चिकित्सा सलाह मिल पाती है।
5. सशक्तिकरण और जागरूकता:
* जानकारी तक पहुँच: इंटरनेट ने महिलाओं को उनके अधिकारों, कानूनों और सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूक किया है। वे अब अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने और अपनी समस्याओं का समाधान खोजने में अधिक सक्षम हैं।
* कम्युनिटी बिल्डिंग: ऑनलाइन फ़ोरम और सपोर्ट ग्रुप्स महिलाओं को एक-दूसरे से जुड़ने, अनुभव साझा करने और भावनात्मक समर्थन प्राप्त करने में मदद करते हैं।
चुनौतियाँ और आगे की राह:
इसमें कोई संदेह नहीं कि टेक्नोलॉजी ने महिलाओं के जीवन को बेहद आसान बनाया है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी हैं:
* डिजिटल डिवाइड: ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में अभी भी कई महिलाएं डिजिटल साक्षरता और इंटरनेट तक पहुंच से वंचित हैं।
* ऑनलाइन सुरक्षा: साइबरबुलिंग, ऑनलाइन उत्पीड़न और डेटा प्राइवेसी से जुड़ी चिंताएं बनी हुई हैं।
* स्क्रीन टाइम और मानसिक स्वास्थ्य: अत्यधिक स्क्रीन टाइम और सोशल मीडिया का दबाव मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
फिर भी, टेक्नोलॉजी ने महिलाओं के लिए एक नया क्षितिज खोला है। इसने उन्हें स्वतंत्र, सशक्त और आत्मविश्वासी बनाया है। 90 के दशक की तुलना में आज की महिला के पास अधिक विकल्प, अधिक अवसर और अपने जीवन को अपनी शर्तों पर जीने की अधिक आजादी है। टेक्नोलॉजी के निरंतर विकास के साथ, उम्मीद है कि आने वाले समय में यह खाई और कम होगी और हर महिला को इन लाभों का पूरा फायदा मिलेगा, जिससे एक अधिक समान और प्रगतिशील समाज का निर्माण होगा।
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