Saturday, 4 October 2025

सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल: क्यों है यह सरकारी योजनाओं और सामाजिक विकास का भविष्य?


आज के तेज़ी से बदलते दौर में, नागरिकों को बेहतर और समय पर सुविधाएँ प्रदान करना किसी भी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। सरकारी कार्यक्रमों, जनकल्याणकारी योजनाओं और सामाजिक विकास के कार्यों को कुशलतापूर्वक ज़मीन पर उतारने के लिए एक ऐसे मॉडल की आवश्यकता है जो सरकारी तंत्र की पहुँच और सामाजिक दायित्व को निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता और गति के साथ जोड़ सके। यहीं पर सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-Private Partnership - PPP) मॉडल की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।

PPP मॉडल क्या है?

PPP मॉडल (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) एक दीर्घकालिक समझौता है जो एक ओर सरकारी संस्था (सार्वजनिक क्षेत्र) और दूसरी ओर निजी क्षेत्र की कंपनी के बीच होता है। इस मॉडल का मूल उद्देश्य सार्वजनिक संपत्ति (जैसे सड़क, अस्पताल, स्कूल) और सार्वजनिक सेवाओं (जैसे जल आपूर्ति, बिजली वितरण, कौशल विकास) को प्रदान करना है।
इस साझेदारी में, निजी क्षेत्र अपनी पूंजी, नवीनतम तकनीक, विशेषज्ञता और कुशल प्रबंधन लेकर आता है, जबकि सरकार अपनी जवाबदेही, नियामक शक्ति और सामाजिक सरोकार बनाए रखती है। इस समझौते में दोनों पक्ष परियोजना से जुड़े जोखिम, निवेश और लाभ को पूर्व-निर्धारित तरीके से साझा करते हैं।

सरकारी कार्यों में PPP मॉडल क्यों ज़रूरी है?

वर्तमान समय में सरकारी योजनाओं, सामाजिक कार्य और विकास से संबंधित कार्यों में PPP मॉडल की ज़रूरत कई कारणों से अपरिहार्य हो गई है, विशेष रूप से जब बात समय और संसाधनों की बर्बादी को कम करने की हो:

1. वित्तपोषण के अंतर को पाटना (Bridging the Funding Gap)
बुनियादी ढाँचे (Infrastructure) और बड़ी सामाजिक परियोजनाओं में भारी निवेश की ज़रूरत होती है। सरकारें अक्सर अपने सीमित बजट के कारण सभी ज़रूरी परियोजनाओं को एक साथ पूरा नहीं कर पातीं। PPP मॉडल निजी क्षेत्र के अतिरिक्त पूंजी को आकर्षित करता है, जिससे वित्तपोषण का अंतर कम होता है और परियोजनाएँ तेज़ी से शुरू की जा सकती हैं।
2. विशेषज्ञता और नवाचार का समावेश (Expertise and Innovation)
निजी कंपनियाँ अपने साथ क्षेत्र-विशेष की गहन विशेषज्ञता, उन्नत तकनीक और विश्व स्तरीय प्रबंधन के तरीके लाती हैं। उदाहरण के लिए, एक निजी कंपनी सड़क निर्माण या अस्पताल प्रबंधन में अधिक कुशल हो सकती है। यह विशेषज्ञता परियोजनाओं के निष्पादन में उच्च गुणवत्ता, दक्षता (Efficiency) और नवाचार सुनिश्चित करती है, जिससे जनता को बेहतर सेवाएँ मिलती हैं।
3. जोखिम का बँटवारा और जवाबदेही (Risk Sharing and Accountability)
पारंपरिक सरकारी परियोजनाओं में सभी जोखिम (जैसे लागत में वृद्धि, निर्माण में देरी, परिचालन संबंधी समस्याएं) सरकार पर पड़ते हैं। PPP मॉडल में, जोखिमों को दोनों पक्षों के बीच बाँट दिया जाता है। निजी भागीदार को अपनी ज़िम्मेदारी सही ढंग से निभाने के लिए प्रोत्साहन मिलता है, क्योंकि उसका लाभ अक्सर उसके प्रदर्शन (Performance) से जुड़ा होता है। यह व्यवस्था जवाबदेही को बढ़ाती है।
4. समय और लागत प्रबंधन (Time and Cost Management)
निजी क्षेत्र समयबद्धता और लागत-प्रभावशीलता पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है। चूँकि उनका निवेश दाँव पर होता है, वे परियोजनाओं को निर्धारित समय-सीमा के भीतर और बजट के अंदर पूरा करने के लिए प्रेरित होते हैं। इससे परियोजना में देरी और लागत की बर्बादी कम होती है, जो कि सरकारी कार्यों में एक आम समस्या रही है।
5. दीर्घकालिक संपत्ति प्रबंधन (Long-Term Asset Management)
PPP समझौते अक्सर 20 से 30 वर्षों या उससे अधिक की अवधि के लिए होते हैं। इस दौरान निजी भागीदार न सिर्फ़ निर्माण करता है, बल्कि परिसंपत्तियों के संचालन और रखरखाव के लिए भी ज़िम्मेदार होता है। यह संपत्ति के जीवन चक्र दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सार्वजनिक बुनियादी ढाँचा लंबे समय तक अच्छी स्थिति में रहे और सेवाओं की गुणवत्ता बनी रहे। यह दृष्टिकोण दीर्घकालिक बर्बादी को रोकता है।

PPP: सेवाओं के कुशल वितरण का मार्ग..

यह मानना उचित है कि वर्तमान समय में, अधिकतम लोगों को न्यूनतम समय और संसाधनों की बर्बादी के साथ सुविधाएँ प्रदान करने के लिए PPP मॉडल सबसे प्रभावी तरीका है। स्वास्थ्य सेवा (जैसे आयुष्मान भारत योजना में निजी अस्पतालों का उपयोग), शिक्षा (जैसे कौशल विकास केंद्र), और शहरी परिवहन (जैसे मेट्रो परियोजनाएँ) जैसे क्षेत्रों में PPP ने अपनी उपयोगिता सिद्ध की है।
यह मॉडल सरकार को सेवा प्रदाता की भूमिका से हटकर नियामक (Regulator) और योजनाकार की भूमिका पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर देता है। सरकार यह सुनिश्चित कर सकती है कि निजी क्षेत्र अपने मुनाफे के साथ-साथ सामाजिक समानता और गुणवत्ता के मानकों को भी बनाए रखे।

निष्कर्ष
सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल महज़ वित्तपोषण का एक तरीका नहीं है; यह उत्कृष्टता, दक्षता और समयबद्धता के साथ सार्वजनिक सेवाओं को वितरित करने का एक आधुनिक दर्शन है। यदि इस मॉडल को पूर्ण पारदर्शिता, मज़बूत कानूनी ढाँचे और स्पष्ट जोखिम आवंटन के साथ लागू किया जाए, तो यह सरकारी योजनाओं को सफल बनाने, सामाजिक विकास को गति देने और देश के नागरिकों के जीवन स्तर को अभूतपूर्व ऊँचाई तक ले जाने की क्षमता रखता है। यह साझेदारी ही नए भारत के निर्माण में समय और वस्तुओं की बर्बादी को कम करने का सबसे शक्तिशाली औजार है।
सवाल:
PPP मॉडल को सामाजिक कार्य और विकास परियोजनाओं में और अधिक प्रभावी बनाने के लिए, सरकार और निजी क्षेत्र के बीच विश्वास और पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए कौन से तीन ठोस उपाय किए जाने चाहिए?

No comments:

Post a Comment