भारत, विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र, सिर्फ एक देश नहीं बल्कि एक विचार है – 'जनता का, जनता के लिए, जनता के द्वारा' शासन। हमारी चुनावी प्रक्रिया मात्र एक प्रशासनिक formality नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय महापर्व है। आज़ादी के बाद से ही, यह प्रक्रिया हर नागरिक को देश की दिशा तय करने का अधिकार देती है। यह वह शक्ति है जो एक साधारण नागरिक को राष्ट्र-निर्माण में भागीदार बनाती है। और बिहार? बिहार का इतिहास तो लोकतंत्र की जननी रहा है। हजारों साल पहले, विश्व का पहला गणतंत्र, वैशाली, इसी धरती पर था, जहाँ राजा का चुनाव होता था। यह गौरवशाली परंपरा हमें याद दिलाती है कि चुनाव हमारे लिए सिर्फ अधिकार नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक जिम्मेदारी है।
भारत में, हर पाँच साल के अंतराल पर विभिन्न स्तरों पर चुनाव होते हैं - लोकसभा (केंद्र), विधानसभा (राज्य) और पंचायती राज (स्थानीय)। ये चुनाव सिर्फ सरकारें नहीं बदलते, बल्कि देश, राज्य और स्थानीय समुदाय का भविष्य लिखते हैं।
बिहार विधानसभा आम चुनाव 2025 का आगमन न केवल एक राजनीतिक घटना है, बल्कि यह करोड़ों बिहारवासियों के जीवन में अगले पाँच वर्षों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार, उद्योग और मूलभूत अवसंरचना की दिशा तय करेगा।
एक लोकतांत्रिक चुनाव के माध्यम से ही हम उन जनप्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं, जो विधान सभा में बैठकर कानून बनाते हैं, नीतियाँ निर्धारित करते हैं और हमारे टैक्स के पैसे को सही दिशा में खर्च करने की जिम्मेदारी लेते हैं। एक वोट की शक्ति इतनी व्यापक होती है कि वह एक भ्रष्ट व्यवस्था को हटाकर एक ईमानदार प्रशासन ला सकती है। इसलिए, चुनाव में हिस्सा लेना हर नागरिक का पवित्र कर्तव्य है।
बिहार में चुनाव हमेशा जाति और धर्म के समीकरणों में उलझ जाते हैं, लेकिन समय आ गया है कि हम इन संकीर्ण दीवारों से बाहर निकलें। बिहार का मतदाता अब केवल पहचान नहीं, बल्कि प्रदर्शन चाहता है।
मुख्य मुद्दे जो इस चुनाव की दिशा तय करेंगे:
* शिक्षा का स्तर और गुणवत्ता: प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की उपलब्धता।
* रोज़गार सृजन और पलायन: युवाओं के लिए राज्य के भीतर रोज़गार के अवसर पैदा करना और पलायन की समस्या को हल करना।
* स्वास्थ्य अवसंरचना: ग्रामीण क्षेत्रों तक बेहतर अस्पताल, डॉक्टर और आपातकालीन सेवाएं सुनिश्चित करना।
* औद्योगिक विकास: राज्य में निवेश आकर्षित करना और उद्योगों का विकास करना ताकि स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत हो।
* कानून व्यवस्था और सुशासन: भयमुक्त वातावरण और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन प्रदान करना।
एक जागरूक मतदाता की जिम्मेदारी:
2025 के चुनाव में बिहार के हर नागरिक को सक्रिय भागीदार बनना होगा। इसका मतलब है:
* उम्मीदवारों का मूल्यांकन: किसी भी उम्मीदवार को वोट देने से पहले उसके अतीत के कार्यों, ईमानदारी, शिक्षा और विकास के विज़न का गहराई से विश्लेषण करें।
* सवालों के आधार पर वोट: धर्म या जाति के आधार पर नहीं, बल्कि 'इस व्यक्ति ने या पार्टी ने मेरे राज्य और मेरे क्षेत्र के लिए क्या किया है और भविष्य में क्या कर सकता है?' इस सवाल के आधार पर वोट दें।
* शत प्रतिशत मतदान: घर से निकलकर वोट डालना ही इस पर्व को सफल बनाना है।
विकास का अर्थ केवल पुल और सड़कें बनाना नहीं है। सच्चा विकास वह है जो समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलता है। 2025 का चुनाव एक ऐसा अवसर है जब बिहारवासी समावेशी और सतत विकास को प्राथमिकता दे सकते हैं।
हमें ऐसे नेतृत्व को चुनना होगा जो महिला सशक्तिकरण, पिछड़े वर्गों का उत्थान, और पर्यावरण संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर स्पष्ट नीति रखता हो। एक ऐसा नेतृत्व जो किसानों की आय बढ़ाने, छात्रों को बेहतर सुविधाएं देने और उद्यमियों को प्रोत्साहित करने का संकल्प रखता हो।
यह चुनाव 'राज्यों की रेस' में बिहार को अग्रिम पंक्ति में लाने का एक निर्णायक कदम हो सकता है। हमें अपने वोट के माध्यम से यह सुनिश्चित करना होगा कि बिहार एक बार फिर शिक्षा, ज्ञान और प्रगति का केंद्र बने, जैसा कि यह प्राचीन काल में था।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 हमारे सामने है। 9 एवं 11 नवंबर को बिहार में मतदान एवं 'लोकतंत्र का महापर्व' है, और इस पर्व में धर्म, जाति, या किसी भी व्यक्तिगत लाभ से ऊपर उठकर, केवल और केवल राज्य के हित को सर्वोपरि रखकर हिस्सा लेना है। प्रत्येक नागरिक का एक वोट, एक अच्छे राज्य की नींव की पहली ईंट है। आइए, हम सब मिलकर इस ऐतिहासिक जिम्मेदारी को निभाएं और एक ऐसे नेतृत्व का चुनाव करें जो बिहार को प्रगति और गौरव के शिखर पर ले जाए।
आपका एक वोट, आपके बच्चों का भविष्य है। मतदान करें और सही चुनाव करें!
रोचक सवाल:
"वैशाली, जो कि बिहार में है, को विश्व का पहला गणतंत्र माना जाता है जहाँ चुनाव से राजा चुना जाता था। आज 2025 में, आप वैशाली की उसी लोकतांत्रिक भावना को किस एक प्रमुख विकास के मुद्दे पर केंद्रित करना चाहेंगे? शिक्षा, रोज़गार, या स्वास्थ्य? और क्यों?"
(उत्तर कमेंट में बताएं और इस चर्चा में भाग लें!)
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