Friday, 10 October 2025

मन ही मनुष्य है! विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस: तन के साथ मन को चंगा रखने की दिवस..



हर साल 10 अक्टूबर को पूरा विश्व 'विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस' मनाता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि जिस तरह हम अपने शरीर (तन) की देखभाल के लिए सक्रिय रहते हैं, उसी तरह हमारे मन का स्वस्थ और स्वच्छ होना भी उतना ही आवश्यक है। स्वास्थ्य केवल रोगों की अनुपस्थिति नहीं है; यह तन और मन दोनों का संतुलन है। क्योंकि, जैसा कहा गया है—मन ही मनुष्य है! हमारा मन ही हमारे व्यवहार, हमारे संबंधों और जीवन की गुणवत्ता का निर्माण करता है।

मनुष्य का व्यवहार उसके विचारों का ही प्रतिबिंब होता है। हमारे मन में जो विचार पलते हैं, वही हमारा कर्म और व्यवहार बनकर समाज में प्रकट होता है। एक स्वस्थ और सकारात्मक मन ही हमें समाज में एक अच्छा, सफल और संतुष्ट जीवन जीने में मदद करता है।

लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिंदगी, प्रतिस्पर्धा और अनिश्चितताओं के बीच, हमारा मन सबसे अधिक दबाव झेल रहा है। आँकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में 10 से 15% लोग किसी न किसी मानसिक स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं। चाहे वह बच्चा हो, बुजुर्ग हो, महिला हो या पुरुष हो—मानसिक स्वास्थ्य किसी लिंग या उम्र की सीमा में बंधा नहीं है।
मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी करना, शरीर में लगी चोट को नज़रअंदाज़ करने जैसा है। तनाव, चिंता, अवसाद जैसे "मन के रोग" (Psychological disorders) हमारी खुशियाँ छीन लेते हैं और हमें जीवन की दौड़ में पीछे कर देते हैं। इसलिए, मन को स्वस्थ रखना केवल व्यक्तिगत कल्याण नहीं है, यह एक सामाजिक जिम्मेदारी भी है।

मानसिक स्वास्थ्य की महत्ता आज की नहीं है; यह हमारे प्राचीन ज्ञान और धर्मों का मूल आधार रही है।
 * भारतीय दर्शन: हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ श्रीमद् भागवत गीता में भगवान कृष्ण ने मन को नियंत्रित करने और उसे परम शांति की ओर ले जाने पर बल दिया है। श्लोक कहते हैं कि "मन चंचल है, पर अभ्यास और वैराग्य से इसे वश में किया जा सकता है।"
 * अन्य धर्म: इसी प्रकार, हर धर्म की पुस्तकें—चाहे वह बौद्ध धर्म हो, इस्लाम हो, ईसाई धर्म हो या सिख धर्म हो—आंतरिक शांति (Inner Peace), संतोष और करुणा (Compassion) को मानसिक स्थिरता का आधार बताती हैं। सभी धर्म सिखाते हैं कि काम, क्रोध, मोह, लोभ, लालच, ईर्ष्या और अहंकार जैसे नकारात्मक भावों से ऊपर उठकर जीवन जीना ही मन को मजबूत बनाता है।
यह आध्यात्मिक ज्ञान हमें सिखाता है कि मानसिक स्वास्थ्य कोई आधुनिक अवधारणा नहीं है, बल्कि यह संस्कारी जीवन का एक अभिन्न अंग है—जहाँ तन के साथ मन को भी चंगा रखना ज़रूरी है। यह हमें प्रकृति से जुड़ने, ध्यान (Meditation) करने और आत्म-चिंतन (Self-reflection) के माध्यम से मन की शक्तियों को समझने की प्रेरणा देता है।

वर्तमान समय में, इंटरनेट, सोशल मीडिया और मोबाइल फोन ने जहाँ सहूलियत दी है, वहीं एक नया मानसिक दबाव भी बनाया है। 'डिजिटल तनाव' और लगातार तुलनात्मक जीवन जीने की प्रवृत्ति ने हमारी मानसिक स्थिति को खराब किया है।
मन को स्वस्थ रखने के लिए 'एक्टिविटी' आधारित समाधान:
 * सही दिनचर्या और योग: सुबह जल्दी उठना, नियमित योगाभ्यास और प्राणायाम मन को एकाग्रता और ऊर्जा देते हैं।
 * डिजिटल उपवास (Digital Detox): सप्ताह में एक बार या दिन में कुछ घंटे मोबाइल और इंटरनेट से दूर रहने की आदत डालें। यह आपके दिमाग को आराम देता है।
 * प्रकृति से जुड़ाव: समय-समय पर धार्मिक, ऐतिहासिक या प्राकृतिक स्थलों का भ्रमण करें। प्रकृति में समय बिताना सबसे बड़ा 'एंटी-डिप्रेसेंट' है।
 * सकारात्मकता का पोषण: अच्छी किताबें पढ़ें, अच्छे प्रवचन सुनें और सकारात्मक संगीत को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएँ।
 * सामाजिकता और संबंध: अपने परिवार, दोस्तों और समाज से सक्रिय रूप से जुड़ें। अच्छे सामाजिक संबंध मानसिक तनाव को कम करते हैं।
याद रखें, कई मानसिक परेशानियाँ (जैसे हल्का तनाव या चिंता) इन जीवनशैली बदलावों से सुधर जाती हैं। लेकिन यदि परेशानी बनी रहती है, तो इसे नज़रअंदाज़ न करें। जिस तरह शरीर की बीमारी के लिए डॉक्टर के पास जाते हैं, उसी तरह मन के रोग के लिए बिना संकोच के मनोचिकित्सक (Psychiatrist) या मनोविज्ञानी (Psychologist) से सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है। यह कमजोरी नहीं, बुद्धिमानी की निशानी है।

निष्कर्ष: 
आपका मन आपकी सबसे बड़ी शक्ति है।  आइए हम सब यह संकल्प लें कि हम अपने मन को स्वस्थ रखने के लिए निरंतर प्रयास करेंगे। अपनी भावनाओं को स्वीकार करें, ज़रूरत पड़ने पर मदद लें और नकारात्मकता को अपने ऊपर हावी न होने दें। हमें काम, क्रोध, मोह, लालच, ईर्ष्या और अहंकार से ऊपर उठकर एक स्वस्थ, संतुलित और आनंदमय जीवन जीना है।
स्वस्थ मन = स्वस्थ जीवन = स्वस्थ समाज।
लेख से संबंधित रोचक सवाल (Social Media Engagement Question):

 सवाल:
"भागदौड़ भरी ज़िंदगी और लगातार मोबाइल के इस्तेमाल के बीच, आप अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए 'डिजिटल उपवास' (Digital Detox) के अलावा कौन सी एक सबसे आसान एक्टिविटी को अपनी रोज़ की दिनचर्या में शामिल करना चाहेंगे/चाहेंगी? (उदाहरण: 10 मिनट का ध्यान, या सुबह 5 मिनट प्रकृति में बिताना)।"
(अपना 'सेल्फ-केयर' मंत्र कमेंट में साझा करें!)

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