Tuesday, 14 October 2025

दीपावली: केवल रोशनी का नहीं, 'ऊर्जा' और 'व्यवस्था' का महापर्व...


भारतीय संस्कृति में दीपावली का त्योहार सिर्फ दीयों की रोशनी या मिठाइयों की मिठास तक सीमित नहीं है। यह एक ऐसा महापर्व है, जो जीवन के हर पहलू को स्पर्श करता है—आध्यात्मिक, सामाजिक और, सबसे महत्वपूर्ण, हमारे भौतिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा। यह पर्व हमें बाहरी दुनिया को रोशन करने के साथ-साथ अपने भीतर और अपने परिवेश को भी आलोकित करने का संदेश देता है। सदियों से चली आ रही दीपावली की तैयारियों में 'घर की सफाई' का जो रिवाज़ है, वह केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक गहरा 'ऊर्जा प्रबंधन' का सिद्धांत है, जिसका सीधा संबंध हमारे जीवन की सकारात्मकता और समृद्धि से है।

घर: ऊर्जा का केंद्र और व्यक्तित्व का आईना..

हमारा घर प्रत्येक व्यक्ति के लिए सिर्फ ईंट और गारे से बनी इमारत नहीं होता, बल्कि यह हमारी ऊर्जा का केंद्र, हमारे मन की शांति का आधार और हमारे व्यक्तित्व का प्रतिबिंब होता है। जैसे एक साफ-सुथरा और व्यवस्थित मन नए विचारों को जन्म देता है, वैसे ही एक स्वच्छ और व्यवस्थित घर सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को आमंत्रित करता है।
दीपावली से पहले की जाने वाली 'महा-सफाई' या ‘सफाई का अभियान’ इसी ऊर्जा के शुद्धिकरण का पहला कदम है। मान्यता है कि मां लक्ष्मी केवल स्वच्छ और सुव्यवस्थित घरों में ही प्रवेश करती हैं। यह मान्यता हमें सिखाती है कि भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि के लिए व्यवस्था और स्वच्छता एक अनिवार्य शर्त है। वास्तु शास्त्र में भी घर की सही दिशाओं की सफाई और उसमें से गैर-जरूरी सामान हटाना इसलिए आवश्यक माना गया है, ताकि घर में सुख-समृद्धि और बरकत बनी रहे।

अव्यवस्था: नकारात्मकता का द्वार...

अक्सर हम भावनाओं या आलस्य के कारण उन वस्तुओं को भी संभालकर रखते हैं, जिनकी हमें कोई आवश्यकता नहीं होती। ये पुराने कपड़े, टूटे-फूटे बर्तन, जंग लगे औज़ार, खराब इलेक्ट्रॉनिक सामान या खंडित मूर्तियाँ/तस्वीरें हमारे घर के कोनों में धीरे-धीरे एक 'ऊर्जा-अवरोध' (Energy Blockage) पैदा करती हैं।
मनोविज्ञान की दृष्टि से, यह अव्यवस्था (Clutter) हमारे मन में भी एक भारीपन लाती है। हर बार जब हम इन चीज़ों को देखते हैं, तो हमारे अवचेतन मन पर इनका बोझ पड़ता है। यह बोझ हमारी रचनात्मकता को दबाता है, निर्णय लेने की क्षमता को धीमा करता है और घर के वातावरण को भारी बनाता है। टूटी या अनुपयोगी वस्तुएं नकारात्मक ऊर्जा (Negative Energy) को आकर्षित करती हैं, जिससे घर का माहौल नीरस और निराशाजनक हो सकता है।

इस दीपावली, लें 'मुक्तिकरण' का संकल्प..

इस दीपावली के अवसर पर, आइए हम केवल घरों को बाहर से सजाने का नहीं, बल्कि एक आंतरिक और बाह्य 'मुक्तिकरण' का संकल्प लें। यह मुक्तिकरण उस हर चीज़ से होगा, जो अब हमारे जीवन में कोई मूल्य नहीं रखती है।

 * अनावश्यक वस्तुओं की पहचान: हर कोने, हर दराज, और हर अलमारी की जाँच करें। खुद से ईमानदारी से पूछें: "क्या यह वस्तु पिछले छह महीनों में उपयोग हुई है? क्या यह मेरे जीवन में कोई वास्तविक मूल्य जोड़ती है? क्या यह ठीक स्थिति में है?"
 * टूट-फूट को कहें अलविदा: टूटे हुए कांच, खंडित फर्नीचर, या खराब पड़े उपकरण, बंद घड़ियाँ – इन्हें तुरंत घर से हटा दें। ये वस्तुएं प्रगति में बाधा और नकारात्मकता का प्रतीक मानी जाती हैं।
 * भावनाओं से ऊपर उठें: कई बार हम 'पुरानी यादों' के नाम पर अनुपयोगी चीज़ें संभालते हैं। याद रखें, आपकी सच्ची यादें आपके मन में सुरक्षित हैं, न कि धूल भरी वस्तु में। भावनाओं से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण चीज़ों को छोड़कर, बाकी को हटाने का साहस करें।
 * व्यवस्था से सकारात्मकता: जब आप घर से गैर-जरूरी सामान हटाते हैं, तो आप केवल जगह खाली नहीं करते, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह के लिए मार्ग बनाते हैं। एक साफ और व्यवस्थित घर आपको शांति और स्फूर्ति प्रदान करता है।
गैर-जरूरी सामान का उचित निपटान (The Art of Letting Go):
 * दान: जो वस्तुएँ अच्छी स्थिति में हैं, लेकिन आपके काम की नहीं हैं, उन्हें जरूरतमंद लोगों या संस्थाओं को दान कर दें। यह कार्य आपके त्योहार में परोपकार की भावना जोड़ता है और किसी और के लिए खुशी का स्रोत बनता है।
 * बेच दें/रीसायकल करें: यदि कोई वस्तु बेचने लायक है, तो उसे बेच दें। खराब हो चुकी या प्लास्टिक, धातु आदि की वस्तुओं को सही तरीके से रीसायकल करवाएँ। यह पर्यावरण के प्रति आपकी जिम्मेदारी को दर्शाता है।
 * फेंक दें: जो वस्तुएँ टूटी-फूटी हैं और किसी काम की नहीं हैं, उन्हें फेंकना ही अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण कदम है।

जब आप यह 'शुद्धिकरण' करते हैं, तो आपका घर हल्का हो जाता है। यह हल्कापन केवल भौतिक नहीं होता, बल्कि मानसिक भी होता है। एक व्यवस्थित और हल्का घर आपके मन को भी व्यवस्थित करता है, जिससे आप नए साल (विक्रम संवत) में एक नई ऊर्जा, स्पष्टता और सकारात्मकता के साथ प्रवेश करते हैं।
दीपावली का त्योहार हमें सिखाता है कि जीवन में प्रकाश तभी फैलता है, जब हम अंधेरे को दूर करते हैं। इसी प्रकार, समृद्धि और सकारात्मकता तभी घर में आती है, जब हम अव्यवस्था और नकारात्मक ऊर्जा को विदा करते हैं। आइए, इस वर्ष केवल दीये न जलाएं, बल्कि अपने घरों और जीवन से हर गैर-जरूरी बोझ को हटाकर, वास्तविक 'प्रकाश' और 'मुक्तिकरण' का पर्व मनाएं।

सवाल:
सवाल: आपके अनुसार, गैर-जरूरी सामान हटाकर घर को व्यवस्थित करने की इस दीपावली परंपरा को आधुनिक 'मिनिमलिज्म' (अल्पतावाद) जीवनशैली से कैसे जोड़ा जा सकता है, और इन दोनों दृष्टिकोणों में मुख्य समानता क्या है?

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