अगर हम किसी शहर में रहते हैं तो वहाँ हर घर, हर गली, हर मोहल्ले का एक पता (Address) होता है। उसी पते के जरिए हम किसी जगह तक पहुँचते हैं। ठीक उसी तरह इंटरनेट की विशाल दुनिया में भी हर वेबसाइट और वेब पेज का एक पता होता है। इस पते को ही हम URL (Uniform Resource Locator) या साधारण भाषा में वेब एड्रेस कहते हैं।
जब भी आप गूगल, यूट्यूब, फेसबुक या कोई और वेबसाइट खोलते हैं, तो ब्राउज़र के ऊपर जो लिंक लिखा होता है — वही उसका URL है। इस छोटे से लिंक के भीतर इंटरनेट की बड़ी-बड़ी तकनीकें छिपी होती हैं। चलिए, आज हम एक URL की संरचना को टुकड़ों में तोड़कर समझते हैं और जानते हैं कि आखिर इसमें क्या-क्या रहस्य छिपा है।
1️⃣ HTTPS → इंटरनेट का प्रहरी
सबसे पहले आता है – https।
👉 इसका पूरा नाम है – Hyper Text Transfer Protocol Secure।
Hyper का मतलब है Hyperlinking यानी किसी एक दस्तावेज़ से दूसरे दस्तावेज़ को जोड़ना।
Text मतलब वह कंटेंट (लेख, वीडियो, फोटो आदि) जो हम इंटरनेट पर देखते हैं।
Transfer यानी क्लाइंट (आपका ब्राउज़र/मोबाइल) और सर्वर (जहाँ वेबसाइट रहती है) के बीच जानकारी का आना-जाना।
Protocol यानी नियमों का सेट – ठीक उसी तरह जैसे सड़क पर चलने के लिए ट्रैफिक नियम होते हैं।
HTTPS में जो “S” है, वह Secure के लिए है। इसका मतलब है कि यह प्रोटोकॉल सिर्फ जानकारी भेजने और पाने तक सीमित नहीं है, बल्कि वह जानकारी एन्क्रिप्टेड (गोपनीय) भी रहती है।
उदाहरण के लिए, जब आप ऑनलाइन बैंकिंग या ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं तो HTTPS आपकी निजी जानकारी (जैसे पासवर्ड, कार्ड नंबर) को सुरक्षित रखता है।
इसे ऐसे समझें:
अगर इंटरनेट एक डाकघर है और आप चिट्ठी भेज रहे हैं, तो HTTP में चिट्ठी बिना लिफाफे के जाती है, जिसे बीच में कोई भी पढ़ सकता है। जबकि HTTPS में आपकी चिट्ठी एक सील लगे हुए लिफाफे में जाती है, जिसे कोई खोल नहीं सकता।
2️⃣ :// → पहचान का विभाजन
इसके बाद आता है ://।
यह बहुत छोटा सा दिखता है, लेकिन काम बड़ा करता है।
यह संकेत देता है कि – “अरे! अब प्रोटोकॉल खत्म हो गया, अब जो लिखा है वह वेबसाइट का डोमेन है।”
यानी यह Protocol (जैसे https) और Domain Name (जैसे www.google.com) के बीच एक Divider है।
अगर URL एक घर का पता है, तो :// उस पते की सड़क और घर नंबर को अलग करने वाली लाइन की तरह है।
3️⃣ www → वर्ल्ड वाइड वेब
अब आता है सबसे मशहूर हिस्सा – www।
👉 इसका मतलब है – World Wide Web।
यह इंटरनेट की वह “जाल” (web) है जिसमें करोड़ों वेबसाइट्स आपस में जुड़ी हुई हैं।
आप चाहे भारत में हों या अमेरिका में, www. लिखकर किसी भी वेबसाइट तक पहुँच सकते हैं।
मज़ेदार तथ्य:
आजकल कई वेबसाइट्स www के बिना भी खुल जाती हैं। जैसे आप सिर्फ google.com लिखें तो भी वही खुलेगा। लेकिन www अब भी इंटरनेट की पहचान का सबसे पुराना और लोकप्रिय हिस्सा है।
4️⃣ डोमेन नाम → वेबसाइट का असली नाम
इसके बाद आता है – Domain Name।
उदाहरण: google.com, facebook.com, jeevika.bihar.gov.in
डोमेन नाम वेबसाइट का असली पता होता है। यह दो भागों में बंटा होता है:
Name (जैसे google, facebook)
Extension (जैसे .com, .org, .in)
Extension क्या बताता है?
.com → Commercial (व्यापारिक वेबसाइट)
.org → Organization (गैर-लाभकारी संस्थाएँ)
.gov → Government (सरकारी साइटें)
.edu → Education (शैक्षणिक संस्थाएँ)
.in → India से संबंधित वेबसाइट
5️⃣ पाथ (Path) → वेबसाइट का कमरा
कभी आपने देखा होगा कि किसी लिंक में डोमेन नाम के बाद /about, /contact या /products लिखा होता है?
उदाहरण:
https://www.flipkart.com/mobile-phones
यह हिस्सा होता है Path।
अगर वेबसाइट एक बड़ा घर है, तो यह Path उस घर का कमरा है। यानी आप सीधे उसी पेज पर पहुँच जाते हैं जहाँ आपको जानकारी चाहिए।
6️⃣ क्वेरी स्ट्रिंग (Query String) → विशेष जानकारी
कुछ URL में आपको ?id=123&name=abc जैसी चीजें भी दिखेंगी।
यह होती है Query String।
👉 इसका उपयोग किसी विशेष जानकारी या डेटा को सर्वर तक पहुँचाने के लिए होता है।
उदाहरण: अगर आप अमेज़न पर “Shoes” सर्च करते हैं, तो URL में ?q=shoes दिखाई देगा। इसका मतलब है कि सर्वर को पता चल गया कि यूज़र जूते ढूंढ रहा है।
7️⃣ फ्रैगमेंट (Fragment) → पेज का हिस्सा
कभी आपने देखा होगा कि URL के अंत में #section1 या #top लिखा होता है?
इसे कहते हैं Fragment।
यह आपको सीधे किसी वेब पेज के खास हिस्से पर ले जाता है, जैसे किताब में बुकमार्क लगाना।
🌍 आखिरकार – पूरा URL कैसे काम करता है?
मान लीजिए आप यह URL खोलते हैं:
👉 https://www.wikipedia.org/about
इसका मतलब है:
https → ब्राउज़र और सर्वर के बीच सुरक्षित बातचीत होगी।
:// → अब प्रोटोकॉल खत्म, डोमेन शुरू।
www → आप वर्ल्ड वाइड वेब पर हैं।
wikipedia.org → आप विकिपीडिया नामक संगठन की वेबसाइट पर पहुँचेंगे।
/about → और सीधे “About Us” पेज पर चले जाएंगे।
✨ क्यों जरूरी है URL को समझना?
सुरक्षा: अगर आप https नहीं देखते, तो सावधान रहना चाहिए, खासकर जब पासवर्ड या पैसों का लेन-देन हो।
पहचान: डोमेन नाम से आप जान सकते हैं कि यह वेबसाइट सरकार, शिक्षा, संस्था या व्यवसाय से जुड़ी है।
सुविधा: Path और Query String से आप सीधे सही जानकारी तक पहुँच जाते हैं।
टेक्नोलॉजी की समझ: इंटरनेट का सही उपयोग तभी संभव है जब हमें उसके मूलभूत सिद्धांत पता हों।
🎯 निष्कर्ष
URL इंटरनेट का घर का पता है। जैसे आप किसी को मिलने के लिए उसका पता पूछते हैं, वैसे ही किसी वेबसाइट तक पहुँचने के लिए उसका URL जरूरी है।
HTTPS आपको सुरक्षित रखता है।
www आपको वर्ल्ड वाइड वेब से जोड़ता है।
डोमेन नाम उस वेबसाइट की पहचान है।
Path, Query और Fragment आपको उसी जगह ले जाते हैं जहाँ आप जाना चाहते हैं।
इसलिए अगली बार जब आप कोई लिंक खोलें, तो उसके हर हिस्से को समझने की कोशिश करें। क्योंकि इंटरनेट सिर्फ सर्च करने का जरिया नहीं है, बल्कि यह ज्ञान और तकनीक का अनोखा खजाना है — और URL उसकी चाबी है।
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