यदी आप समाज में बदलाव चाहते है तो इसकी शुरूआत आप को अपने परिवार से और अपने आप से ईमानदारी पूर्वक करना होगा।
Sunday, 21 June 2020
शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस 21 जून ..
Wednesday, 10 June 2020
कोई भी काम जो मानव ,प्रकृति के लिए बेहतर है वह काम छोटा बड़ा नहीं होता...
Thursday, 4 June 2020
कबीर- जीवन जीने का एक मार्गदर्शक ..
मुख्य केन्द्र
- कबीर धर्मनगर (रायपुर, छत्तीसगढ़)
- कबीर चौरा (वाराणसी, इसकी एक शाखा मगहर में है)
- बिद्दूपुर (जग्गू साहब द्वारा स्थापित)
- धनौती (छपरा, बिहार) - बीजक के लेखक भगवान साहिब द्वारा स्थापित,
- कुदुरमाल (छत्तीसगढ़) -- इसकी स्थापना मुक्तामणि साहिब ने की थी (विक्रम सम्वत 1570-1630)
- कबीर परख संस्थान, प्रीतम नगर इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
(जीविका) राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन
(JEEiKA) Sustainable Community Institutions in Bihar.
(जीविका) राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन
(JEEiKA) Sustainable Community Institutions in Bihar.
Saturday, 23 May 2020
झरना सरेन का गौतम शिक्षण संस्थान: एक अद्भुत विद्यालय गया जिला में..
शिक्षण पद्धति की विशिष्टता:
संस्था के शिक्षक श्री चंद्रमौली प्रसाद द्वारा विकसित की गई शिक्षण पद्धति बच्चों के मस्तिष्क को एकाग्र करने और उनकी हस्तलिपि को एक समान बनाने पर केंद्रित है। यह पद्धति बच्चों में एकता और अनुशासन की भावना विकसित करती है।
- एक समान वेशभूषा: सभी छात्रों को एक समान पोशाक पहनने के लिए प्रेरित किया जाता है, जिससे समूह की भावना और एकता का संचार होता है।
- एक समान लिखावट: बच्चों को स्लेट पर लिखने का अभ्यास कराकर उनकी हस्तलिपि को एक समान बनाया जाता है। यह न केवल दृश्य सुंदरता प्रदान करता है बल्कि बच्चों के मस्तिष्क को एकाग्र करने में भी मदद करता है।
- सख्त अनुशासन: संस्थान में अनुशासन का कड़ा पालन किया जाता है। नामांकन के लिए निर्धारित मानदंडों का कड़ाई से पालन किया जाता है।
समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से विश्लेषण:
- समाजवाद का आदर्श: संस्थान की शिक्षण पद्धति समाजवाद के आदर्शों से प्रेरित प्रतीत होती है, जहां सभी को समान अधिकार और अवसर प्रदान किए जाते हैं।
- सांस्कृतिक समरूपता: संस्थान में सभी छात्रों को एक ही ढांचे में ढालने का प्रयास किया जाता है, जो सांस्कृतिक समरूपता का एक उदाहरण है।
- व्यक्तिवाद बनाम समूहवाद: संस्थान का यह दृष्टिकोण व्यक्तिवाद के बजाय समूहवाद को बढ़ावा देता है।
सकारात्मक प्रभाव:
- एकता और सद्भाव: संस्थान में सभी छात्रों के बीच एक मजबूत बंधन विकसित होता है।
- अनुशासन: संस्थान में अनुशासन का कड़ा पालन किया जाता है जिससे छात्रों में अनुशासन की भावना विकसित होती है।
- शैक्षणिक विकास: संस्थान में छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाती है।
चुनौतियां और भविष्य:
- व्यक्तिगत विकास: संस्थान में सभी छात्रों को एक ही ढांचे में ढालने का प्रयास व्यक्तिगत विकास को बाधित कर सकता है।
- बदलते समय के साथ अनुकूलन: बदलते समय के साथ संस्थान को अपनी शिक्षण पद्धति में बदलाव लाने की आवश्यकता होगी।
- विस्तार: संस्थान के मॉडल को अन्य क्षेत्रों में लागू करने की संभावनाओं पर विचार किया जा सकता है।
निष्कर्ष:
झरना सरेन का गौतम शिक्षण संस्थान एक अनूठा सामाजिक प्रयोग है जो शिक्षा के माध्यम से समाज में परिवर्तन लाने का प्रयास कर रहा है। हालांकि, इस मॉडल की सफलता को लंबे समय में देखा जाना होगा।
अध्ययन के लिए प्रश्न:
- इस संस्थान की शिक्षण पद्धति के क्या फायदे और नुकसान हैं?
- क्या यह मॉडल भारत के अन्य हिस्सों में लागू किया जा सकता है?
- इस संस्थान की सफलता के लिए कौन-कौन से कारक जिम्मेदार हैं?
यह लेख झरना सरेन के गौतम शिक्षण संस्थान के बारे में एक व्यापक और गहराई से विश्लेषण प्रदान करता है। यह लेख उन लोगों के लिए उपयोगी हो सकता है जो शिक्षा, समाजशास्त्र और सामाजिक परिवर्तन में रुचि रखते हैं।
Thursday, 7 May 2020
दो महान व्यक्तित्वों की जयंती: बुद्ध पूर्णिमा..
बुद्ध पूर्णिमा, वैशाख मास की पूर्णिमा को मनाई जाने वाली यह तिथि, बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसी दिन गौतम बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण हुआ था। बुद्ध ने अपने जीवन में कई समस्याओं को देखा और लोगों के दुखों को दूर करने का उपाय खोजा। उन्होंने घर-बार छोड़कर ज्ञान की तलाश में निकले और अंततः बोधगया में पीपल के वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया।
बौद्ध धर्म का प्रसार और इसका महत्व
बुद्ध के उपदेशों ने दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित किया और बौद्ध धर्म का जन्म हुआ। बौद्ध धर्म का अष्टांगिक मार्ग, जो जीवन जीने का एक तरीका है, आज भी प्रासंगिक है। यह मार्ग हमें दुखों से मुक्ति और आत्मज्ञान प्राप्त करने का रास्ता दिखाता है।
बोधगया: बौद्ध धर्म का केंद्र
बोधगया, जहां बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था, आज भी बौद्धों के लिए एक पवित्र स्थल है। यहां हर साल लाखों लोग बुद्ध को श्रद्धांजलि देने आते हैं। दुर्भाग्यवश, बोधगया के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में लोग बौद्ध धर्म के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं। यह एक चिंताजनक स्थिति है क्योंकि यह वह जगह है जहां से बौद्ध धर्म का उदय हुआ था।
बौद्ध धर्म का आज का महत्व
आज की दुनिया में, जहां हिंसा और अशांति व्याप्त है, वहां बौद्ध धर्म के शांति और करुणा के संदेश और भी अधिक प्रासंगिक हो गए हैं। बौद्ध धर्म हमें यह सिखाता है कि हम सभी एक हैं और हमें एक-दूसरे के प्रति करुणा और सहानुभूति रखनी चाहिए।
बुद्ध के अनमोल वचन
- हम जो कुछ भी हैं वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है.
- हजारों खोखले शब्दों से अच्छा वह एक शब्द है जो शांति लाये.
- अतीत पे ध्यान मत दो, भविष्य के बारे में मत सोचो, अपने मन को वर्तमान क्षण पे केन्द्रित करो.
निष्कर्ष
महात्मा बुद्ध एक ऐसे महान व्यक्ति थे जिन्होंने मानवता को एक नया रास्ता दिखाया। उनके उपदेश आज भी प्रासंगिक हैं और हमें जीवन जीने का एक नया नजरिया देते हैं। आइए, हम सभी बुद्ध के उपदेशों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करें और एक शांतिपूर्ण और खुशहाल दुनिया का निर्माण करें।
Monday, 4 May 2020
शमशान से पवित्र स्थल धरती पर कोई नहीं ..
पशुपतिनाथ (नेपाल) का समसान घाट |
पशुपति नाथ का समसान ,नेपाल |
Tuesday, 28 April 2020
मुजफ्फरपुर का मन: एक सपने की ओर बढ़ता तालाब..
मुजफ्फरपुर शहर के बीचों-बीच स्थित सिकंदरपुर मन तालाब, न केवल शहर का सबसे बड़ा तालाब है बल्कि एक प्राकृतिक संसाधन भी है जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। यह तालाब सदियों से शहरवासियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। लेकिन समय के साथ इस तालाब की हालत बिगड़ती गई है। प्रदूषण और उपेक्षा ने इस प्राकृतिक सौंदर्य को धूमिल कर दिया है।
एक सपना देखना
लेकिन क्या होगा अगर हम इस तालाब को फिर से उसके पुराने स्वरूप में ला सकें? क्या होगा अगर हम इसे मुजफ्फरपुर शहर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल बना सकें? यह एक ऐसा सपना है जो कई लोगों के मन में है। यह सपना मुजफ्फरपुर को एक स्मार्ट सिटी बनाने के लक्ष्य के अनुरूप भी है।
एक व्यापक योजना
इस तालाब के कायाकल्प के लिए एक व्यापक योजना की आवश्यकता है। इस योजना में निम्नलिखित बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए:
- जल जीवन हरियाली मिशन: तालाब की सफाई और वृक्षारोपण के लिए इस मिशन का लाभ उठाया जा सकता है।
- सौंदर्यीकरण: तालाब के चारों ओर पैदल पथ का निर्माण, रेस्टोरेंट खोलना और रोशनी की व्यवस्था करना तालाब को और आकर्षक बना सकता है।
- पीपीपी मॉडल: इस मॉडल के तहत निजी क्षेत्र को तालाब के विकास में शामिल किया जा सकता है।
- पर्यटन स्थल: तालाब में नौकायान और तैराकी की सुविधाएं उपलब्ध कराकर इसे एक पर्यटन स्थल बनाया जा सकता है।
- मछली पालन: उच्च गुणवत्ता वाली मछली पालन को बढ़ावा देकर स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान किए जा सकते हैं।
- शुल्क व्यवस्था: तालाब में प्रवेश के लिए एक मामूली शुल्क लगाकर तालाब की सुरक्षा और रखरखाव सुनिश्चित किया जा सकता है।
- पार्किंग व्यवस्था: तालाब के आसपास पार्किंग की सुविधा उपलब्ध कराकर लोगों को आने-जाने में सुविधा प्रदान की जा सकती है।
- जागरूकता अभियान: लोगों को तालाब की स्वच्छता बनाए रखने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए।
एक नया अध्याय
यह तालाब मुजफ्फरपुर शहर के लिए एक नया अध्याय लिख सकता है। यह शहर के लोगों को एक स्वच्छ और हरा-भरा वातावरण प्रदान कर सकता है। यह शहर के पर्यटन को बढ़ावा दे सकता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकता है।
आपका विचार क्या है?
Tuesday, 21 April 2020
पुरातन जीवन पद्धति का स्मरण कराता - COVID-19 कोरोना वायरस
हमारे दादा-दादी के जमाने (2010 के पहले ) में हम जल्दी सोते थे और जल्दी ही उठा दिये जाते थे। उठने के बाद जल्दी ही नित्यकर्म से निपटने के लिए डाँट पड़ती थी। आश्चर्य इस बात का था कि हमने माँ को नहाकर स्नानागार से निकलते हुए कभी नहीं देखा। हाँ! बाथरूम तो उस जमाने में कम ही हुआ करते थे। सामान्यतः ग्रामीण क्षेत्रों में तो महिलाओं की मजबूरी भी थी कि वे जल्दी उठकर प्रकाश होने से पूर्व ही अपनी नैत्यिक क्रियाओं से निपट लें। प्रकाश हो जाने के बाद वे कहाँ और कैसे जातीं ?