Wednesday 10 June 2020

कोई भी काम जो मानव ,प्रकृति के लिए बेहतर है वह काम छोटा बड़ा नहीं होता...

        1मई को श्रम दिवस  के रूप में मनाया जाता है तो जानते है कि  कोई भी अच्छा काम जो मानव  ,प्रकृति के लिए बेहतर है  वह काम छोटा बड़ा नहीं होता,काम काम होता है। हमको हर कार्य को बराबर सम्मान देना चाहिएl अब्राहम लिंकन के पिता जूते बनाते थे, जब वह राष्ट्रपति चुने गये तो अमेरिका के अभिजात्य वर्ग को बड़ी ठेस पहुँची। सीनेट के समक्ष जब वह अपना पहला भाषण देने खड़े हुए तो एक सीनेटर ने ऊँची आवाज़ में कहा, मिस्टर लिंकन याद रखो कि तुम्हारे पिता मेरे और मेरे परिवार के जूते बनाया करते थे। इसी के साथ सीनेट भद्दे अट्टहास से गूँज उठी, लेकिन लिंकन किसी और ही मिट्टी के बने हुए थे! उन्होंने कहा कि, मुझे मालूम है कि मेरे पिता जूते बनाते थे.! सिर्फ आप के ही नहीं यहाँ बैठे कई माननीयों के जूते उन्होंने बनाये होंगे.! वह पूरे मनोयोग से जूते बनाते थे, उनके बनाये जूतों में उनकी आत्मा बसती है।अपने काम के प्रति पूर्ण समर्पण के कारण उनके बनाये जूतों में कभी कोई शिकायत नहीं आयी.! क्या आपको उनके काम से कोई शिकायत है.? उनका पुत्र होने के नाते मैं स्वयं भी जूते बना लेता हूँ और यदि आपको कोई शिकायत है तो मैं उनके बनाये जूतों की मरम्मत कर देता हूँ।मुझे अपने पिता और उनके काम पर गर्व है!
सीनेट में उनके ये तर्कवादी भाषण से सन्नाटा छा गया और इस भाषण को अमेरिकी सीनेट के इतिहास में बहुत बेहतरीन भाषण माना गया है। उसी भाषण से एक थ्योरी निकली Dignity of Labour (श्रम का महत्व) और इसका ये असर हुआ की जितने भी कामगार थे उन्होंने अपने पेशे को अपना सरनेम बना दिया जैसे कि, कोब्लर, शूमेंकर, बुचर, टेलर, स्मिथ, कारपेंटर, पॉटर आदि! अमेरिका में आज भी श्रम को महत्व दिया जाता है, इसीलिए वो दुनियाँ की सबसे बड़ी महाशक्ति है! 
        अगर हम ये संकल्प ले लें कि अपने श्रम से हम आगे बढ़ेंगे तो हमें आत्मनिर्भर बनने से कोई नहीं रोक सकता। अगर आपको बात सही लगे तो Share ज़रूर करें.   

      








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