Thursday 7 May 2020

बुद्ध पुर्णिमा अर्थात बुद्धि का त्यौहार।

      नमस्कार मित्रों आज ही के दिन 7 मई को इस धरती पर दो महान व्यक्तियों का जन्म हुआ था जिनका नाम महात्मा बुद्ध और दूसरा नाम रविंद्र नाथ टैगोर है यह दो महान विभूति धरती पर आकर कई लोगों के जीवन को बौद्धिक शक्ति से बेहतर बनाया है | बुद्ध पूर्णिमा वैशाख मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इसे 'बुद्ध जयंती' के नाम से भी जाना जाता है। यह बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का एक प्रमुख त्यौहार है। पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का स्वर्गारोहण समारोह भी मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध को 'बुद्धत्व' की प्राप्ति हुई थी। आज बौद्ध धर्म को मानने वाले विश्व में 50 करोड़ से अधिक लोग इस दिन को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। बुद्ध पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य और धर्म-कर्म के अनेक कार्य किए जाते हैं। यह स्नान लाभ की दृष्टि से अंतिम पर्व है। इस दिन मिष्ठान, सत्तू, जलपात्र, वस्त्र दान करने तथा पितरों का तर्पण करने से बहुत पुण्य की प्राप्ति होती है। गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल के कपिलवस्तु में आज से ढाई हजार वर्ष पूर्व हुआ था इन्होंने अपने जीवन में कई समस्याओं को अपनी आंखों से देखा और  देखने क़े बाद समझने का प्रयास किया की मनुष्य का जीवन दुख में क्यों है इसी से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए अपने घर राजपाट को छोड़कर बीवी बच्चे को छोड़कर ज्ञान की प्राप्ति के लिए घर से निकल पड़े । कई साल जंगलों पहाड़ों में भटकते रहे और अंत में बिहार राज की बोधगया में आकर ज्ञान प्राप्त इन्हें एक पीपल के वृक्ष के नीचे हुआ और यहीं से गौतम बुद्ध महात्मा बुद्ध कहलाए । मैं भी 10 सालों तक गया में रहा हूं और गौतम बुद्ध से जुड़े हुए स्थलों पर जाकर के यह समझने का प्रयास किया हूं कि कैसे आज से 2800 वर्ष पूर्व गौतम बुद्ध इस स्थल पर आए होंगे और यहां पर अपना संघर्ष किस तरीके से किया होगा आज के समय में बौद्ध धर्म को मानने वाले कई दर्जनों देश है जहां की आबादी बौद्ध धर्म के मानने वाला है और बौद्ध धर्म के नियमानुसार चलने वाला है गौतम बुद्ध ने जो धर्म का स्थापना किया उस धर्म का नाम बौद्ध धर्म रखा गया । बुद्धि का धर्म  बौद्ध धर्म क़े समय में जो हिंदू धर्म में पाखंड चरम पर था । उसका विरोध किया और मानव जाति के सही रास्ते का विवेचना किया कई समस्याओं का सामना भी किया तकलीफ उठाएं । इस तरीके से कई वर्षों तक इन्होंने बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के लिए अपना जीवन खपा दिया इस धर्म का अष्टांगिक मार्ग काफी सराहनीय है । और वास्तविक में अष्टांगिक मार्ग का जो पालन करेगा व व्यक्ति सुखमय जीवन व्यतीत करेगा ।मगर मुझे इस बात की दुख है की जिस स्थल पर महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था ।उस स्थल पर बौद्ध धर्म को समझने वालों की संख्या बहुत ही कम है क्योंकि मैंने बोधगया के क्षेत्रों में काफी दिनों तक काम किया और यह समझने का प्रयास भी किया यहां के लोग गौतम बुद्ध और बौद्ध धर्म के बारे में क्या जानते हैं और क्या समझते हैं खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में मगर उन्हें पता नहीं है या बौद्ध धर्म क्या होता है सिर्फ वे जानते हैं की कोई भगवान थे जो बोधगया में आए थे यहां के  लोगों को सिर्फ बौद्ध देशों से आया पर्यटकों से मतलब है यह  काफी चिंताजनक बात है कि जिस धरती से इतना बड़ा सोच पूरे देश में फैला और वह विचार वह सोच बोध गया के धरती के लोगों को अच्छे तरीके से पता नहीं है। इनका जन्मदिन है 7 मई जिसे वैशाख पूर्णिमा भी  स्थानीय भाषा में कहा जाता है इनका जन्म हुआ था और इसक़े जन्मदिवस को बुद्घ पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है पूरी दुनिया में खास करके जो लोग बौद्ध धर्म को मानने वाले होते हैं वह आज के दिन अपने घरों में दीप जलाकर के एवं बुद्ध मंदिर में जाकर के इसे खुशी से मनाते हैं जैसे हिंदू धर्म में दीपावली मनाया जाता है ।
             बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए 'बुद्ध पूर्णिमा' सबसे बड़ा त्योहार का दिन होता है। इस दिन सारे विश्व में जहाँ कहीं भी बौद्ध धर्म के मानने वाले रहते हैं, वहाँ अनेक प्रकार के समारोह आयोजित किए जाते हैं। अलग-अलग देशों में वहाँ के रीति-रिवाजों और संस्कृति के अनुसार समारोह आयोजित होते हैं। और इस दिन बुद्ध से जुड़े बातों का पठन-पाठन  किया जाता है बिहार के बोधगया में आज के दिन बहुत ही खुशी एवं आनंद मय तरीके से मनाया जाता है इस दिन धर्मगुरु दलाई लामा बोधगया में आकर पूजा अर्चना कर कई दिनों तक बौद्ध धर्म के बारे में प्रवचन देते हैं और लाखों बौद्ध धर्म के मानने वाले देश के कोने कोने के लोग बोधगया में आकर अपने आप को धन्य महसूस करते हैं क्योंकि बोधगया को बौद्ध का मक्का कहा भी जाता है। आज की परिपेक्ष में धरती पर समस्याएं हैं उस समस्याएं का समाधान में बौद्ध विचारधारा का काफी रोल महसूस किया जाता है ।इसलिए कहा जाता है अहिंसा परमो धर्मा बुद्धम शरणम गच्छामि बौद्ध धर्म के विचार यदि व्यवहार में देश दुनिया के लोग लाए तो जो भी समस्याएं हैं जैसे आतंकवाद नक्सलवाद पर्यावरण एवं मानसिक बीमारियां तथा घरेलू कला  आदी इस सब का समाधान बौद्ध धर्म के विचारों से किया जा सकता है ,ऐसा मेरा मानना है l
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      विश्व के प्रसिद्द धर्म सुधारकों एवं दार्शनिकों में अग्रणी महात्मा बुद्ध ने अपनी शिक्षाओं के आधार पर बौद्ध धर्म की स्थापना की. आज Buddhism विश्व के प्रमुख धर्मों में से एक है और चाइना, जापान, श्रीलंका समेत 10 से अधिक देशों में माना जाता है. आइये  हम भगवान बुद्ध के अनमोल वचनों को जानते हैं और इन्हें पढ़कर शांति का अनुभव करते हैं.

1. हम जो कुछ भी हैं वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है. यदि कोई व्यक्ति बुरी सोच के साथ बोलता या काम करता है, तो उसे कष्ट ही मिलता है. यदि कोई व्यक्ति शुद्ध विचारों के साथ बोलता या काम करता है, तो उसकी परछाई की तरह ख़ुशी उसका साथ कभी नहीं छोड़ती.

2. हजारों खोखले शब्दों से अच्छा वह एक शब्द है जो शांति लाये.

3.  अतीत पे ध्यान मत दो, भविष्य के बारे में मत सोचो, अपने मन को वर्तमान क्षण पे केन्द्रित करो.

4. स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफ़ादारी सबसे बड़ा संबंध है.

5. किसी विवाद में हम जैसे ही क्रोधित होते हैं हम सच का मार्ग छोड़ देते हैं, और अपने लिए प्रयास करने लगते हैं.

6.  किसी जंगली जानवर की अपेक्षा एक कपटी और दुष्ट मित्र से अधिक डरना चाहिए, जानवर तो बस आपके शरीर को नुक्सान पहुंचा सकता है, पर एक बुरा मित्र आपकी बुद्धि को नुक्सान पहुंचा सकता है.




            
  
  



MAHABODHI MANDIR BODHGAYA 18TH CENTURY

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