जब भी हम "श्मशान" शब्द सुनते हैं, मन में एक भय, अजीब-सी चुप्पी और मौत की कल्पना उभरती है। अधिकतर लोग श्मशान का नाम सुनते ही दूर भागते हैं, उसे अपशकुन मानते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि श्मशान सिर्फ मुर्दों को जलाने का स्थान नहीं, बल्कि वह जगह है जहाँ जीवन के सबसे बड़े रहस्य खुलते हैं?
श्मशान वह जगह है जहाँ हर व्यक्ति समान होता है — न कोई राजा, न रंक। न कोई अमीर, न गरीब। यहाँ आकर संसार की सारी मोह-माया, पहचान, पद, पैसा — सब बेकार लगने लगते हैं। यही वह स्थल है, जहाँ इंसान खुद को सबसे ज़्यादा समझ पाता है।
🔱 श्मशान: एक रहस्यमय विश्वविद्यालय
श्मशान किसी विद्यालय से कम नहीं, बल्कि यह एक "मौन विश्वविद्यालय" है जहाँ शब्द नहीं, बल्कि मौन और दृष्टि सिखाते हैं।
यहाँ आकर व्यक्ति को जीवन का असली उद्देश्य समझ में आता है।
काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार जैसे विकार धीरे-धीरे विलीन होने लगते हैं।
जब आप किसी प्रियजन को खोकर श्मशान जाते हैं, तभी जीवन की नश्वरता आपको भीतर तक हिला देती है।
श्मशान कहता है — जो आया है, वो जाएगा। फिर इतना अहंकार किस बात का?
🧘♂️ एकाग्रता और साधना का सर्वोच्च स्थल
कहा जाता है कि भगवान शिव स्वयं श्मशानवासी हैं, क्योंकि उन्हें भ्रम, झूठ और माया से कोई लेना-देना नहीं। श्मशान वह जगह है जहाँ इंसान सबसे कम भ्रम में होता है।
सच्चे साधु और अघोरी यहीं साधना करते हैं, क्योंकि यहाँ मन भटकता नहीं।
श्मशान की ऊर्जा गहन और गूढ़ होती है, जो साधक को साधना की गहराइयों तक पहुंचाती है।
यहाँ कोई दिखावा नहीं होता, बस सच्चाई का सामना होता है।
📖 गीता और श्मशान — दो महान गुरु
लोगों में यह धारणा है कि जो श्रीमद्भागवत गीता पढ़ता है या श्मशान जाता है, वह दुनिया से विरक्त हो जाता है। पर सच्चाई यह है कि:
गीता और श्मशान दोनों इंसान को जीवन की सच्चाई सिखाते हैं, जिससे वह जीवन को और भी बेहतर, सच्चे और ईमानदार तरीके से जी सके।
ये दोनों व्यक्ति को गलत कार्यों से रोकते हैं, संयम सिखाते हैं और आत्मा की पहचान कराते हैं।
🌊 नदी किनारे क्यों होते हैं श्मशान घाट?
भारत में अधिकतर श्मशान घाट नदी के किनारे बनाए जाते हैं, क्योंकि पानी को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।
नदी शरीर के अंतिम संस्कार के बाद शुद्धि का माध्यम बनती है।
यह प्रतीक है कि जीवन बहता रहता है — जैसे नदी, वैसे ही जीवन।
🙏 निष्कर्ष: श्मशान डराने वाला नहीं, सिखाने वाला स्थान है
> "श्मशान वह स्थान है जहाँ शरीर जलता है, पर आत्मा जागती है।
जहाँ मौन बोलता है, और अहंकार चुप हो जाता है।"
श्मशान से बड़ा कोई शिक्षक नहीं। यह हमें बताता है कि हम जो समझते हैं वो स्थायी है, वह क्षणिक है। इसलिए जीवन को मोह-माया में उलझाकर न जिएं, बल्कि सच्चाई, ईमानदारी और करुणा के साथ जिएं।
श्मशान जीवन का अंत नहीं, एक नया आरंभ है।
शिव, काली और भैरव के प्रिय इस स्थान को अपशकुन नहीं, एक पवित्र और ज्ञान का केंद्र समझिए।
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पशुपति नाथ का समसान ,नेपाल |
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