Sunday 8 September 2024

बिहार और यूपी में समोसे का सफर...

बिहार और यूपी में शाम के नाश्ते में पिज़्ज़ा, बर्गर, चाऊमीन जैसे फास्ट फूड का चलन भले ही अब बढ़ गया हो, पर कई दशकों तक समोसे का ही राज रहा है। बिहार में समोसे को लेकर तो एक राजनेता ने अपने समय में घोषणा कर दी थी कि "जब तक समोसे में रहेगा आलू, तब तक बिहार में रहेगा..."। इसी लोकप्रियता से प्रभावित होकर बॉलीवुड में गाना तक इस पर फिल्माया गया।

जलेबी और समोसा यूपी और बिहार का सबसे फेमस नाश्ता है। मीठा और नमकीन का यह कंबीनेशन घर में कोई मेहमान आ जाए या शादी समारोह हो, जलेबी और समोसा बनाना निश्चित ही है। समोसे में सबसे ज्यादा खासियत आलू की होती है। आलू में तीखे मसाले डालकर समोसे के अंदर भरने का पेस्ट तैयार किया जाता है, और यही इसकी कलाकारी है। शहरों में पनीर वाले समोसे का चलन है, पर ग्रामीण इलाकों में आज भी तीखे आलू वाले मसाले के समोसे का स्वाद सबसे आगे है।

समोसे की चर्चा होते ही बचपन के दिन याद आते हैं, जब समोसे सबके लिए सुलभ नहीं होते थे। किसी खास अवसर पर ही घर में समोसे हलवाइयों द्वारा बनाए जाते थे। बच्चे घंटों उसकी मेकिंग को देखते थे और जब समोसा तैयार होता था, तो उसका स्वाद कई गुना बढ़ जाता था। आमतौर पर शादी समारोह में आने वाले मेहमानों के लिए जो नाश्ता तैयार किया जाता था, उसमें नमकीन का सबसे फेवरेट आइटम समोसा ही होता था।

शहरों में बिकने वाले समोसे की अपेक्षा ग्रामीण इलाकों में बनने वाले समोसे का साइज छोटा होता था और उसमें पनीर की जगह मूंगफली का इस्तेमाल किया जाता था। अब कई सारे विकल्प उपलब्ध हो जाने के कारण शादी समारोह से समोसे आउट होने लगे हैं, फिर भी बिहार और यूपी के ग्रामीण इलाकों में आप दोपहर के बाद सभी छोटी-मोटी दुकानों से लेकर बड़ी दुकानों तक पर गर्म तेल में समोसे की मेकिंग देख सकते हैं।

समय के साथ समोसे का आकार, प्रकार और बनाने की विधि में तब्दीली आ गई है। अब समोसे में पनीर होता है और साइज बड़ी होती है, जिसकी डिमांड सबसे ज्यादा है। तीखे मसाले की जगह धनिया पाउडर का अब इस्तेमाल ज्यादा होने लगा है। ऑनलाइन कंपनियां भी अब समोसे आपके घरों तक पहुंचा देती हैं। मेला और बाजार में चाट की दुकानों पर भी समोसे वाली चाट की सबसे ज्यादा डिमांड होती है। डायबिटीज, ब्लड शुगर, फैटी लीवर जैसी बीमारियों के आदी हो चुके लोग अब समोसा खाने से भी परहेज करते हैं।

मैं जब भी अपने गांव घर पर जाता हूं, तो अरवल  जहानाबाद मार्ग पर इमामगंज बाजार में हनुमान मंदिर के सामने नंदू साहू की दुकान से समोसा जरूर खाता हूं। यहां का समोसा और खटाई की चटनी मुझे बहुत पसंद आती है। इनके यहां प्रत्येक दिन तकरीबन 1000 समोसे बिकते हैं। यह दुकान तकरीबन 30 से 35 साल पुरानी है और मैं यहां तकरीबन 30 सालों से समोसे खाता रहा हूं। तो जब भी आप इमामगंज के रास्ते से गुजरें, तो यहां के समोसे जरूर एक बार चखें। मुझे यकीन है कि आपको भी यह बहुत पसंद आएगा।




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