Wednesday 11 September 2024

खोंईछा: एक अद्भुत रीति का सफर...


खोंईछा, यह शब्द सुनते ही मन में एक अजीब सी गहराई छन जाती है। यह सिर्फ कुछ वस्तुओं का एक समूह नहीं है, बल्कि यह भावनाओं, रीतियों और संस्कृति का एक खजाना है। बिहार में, खोंईछा का महत्व और भी अधिक है। यह एक ऐसी रस्म है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही है और बेटी को मायके से ससुराल जाते समय दिया जाता है।
खोंईछा में क्या होता है?
खोंईछा में आमतौर पर चावल, हल्दी, हरी दूब, फूल और कुछ द्रव्य होते हैं। पहले के समय में मुट्ठी भर चावल और हरी दूब ही काफी होते थे, लेकिन आजकल लोग अपनी सामर्थ्य के अनुसार इसमें सोने के जीरे, चांदी की मछलियां या अन्य कीमती चीजें भी शामिल करते हैं। ये सभी चीजें बेटी के ससुराल में उसकी ननदों को दी जाती हैं।
खोंईछा का महत्व
खोंईछा में दी जाने वाली हर चीज का एक खास महत्व होता है:
 * जीरा: जीरा जीव का प्रतीक है और यह माना जाता है कि यह बेटी को मायके से ससुराल सुरक्षित पहुंचाता है।
 * चावल: चावल धन-धान्य का प्रतीक है और यह माना जाता है कि यह बेटी के नए जीवन में समृद्धि लाता है।
 * हल्दी: हल्दी शुभता का प्रतीक है और यह माना जाता है कि यह बेटी के नए जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भरती है।
 * हरी दूब: हरी दूब जीवन का प्रतीक है और यह माना जाता है कि यह बेटी के परिवार को खुशहाल बनाती है।
 * सोना-चांदी: सोना-चांदी लक्ष्मी का प्रतीक है और यह माना जाता है कि यह बेटी के ससुराल में बरकत लाता है।
खोंईछा की धार्मिक मान्यताएं
खोंईछा का धार्मिक महत्व भी है। दुर्गा पूजा के दौरान देवी दुर्गा को भी खोंईछा चढ़ाया जाता है। यह माना जाता है कि बेटी अन्नपूर्णा का रूप होती है और मां अपनी बेटी को धन-धान्य से भरकर ससुराल भेजती है।
खोंईछा की रस्में
खोंईछा देने की कई रस्में होती हैं। जैसे, खोंईछा को आंचल में रखकर बांस के कोलसुप से दिया जाता है। यह माना जाता है कि बांस शुभ होता है और वंश वृद्धि का प्रतीक है।
खोंईछा का महत्व बदल रहा है
आजकल लोग खोंईछा के महत्व को भूलते जा रहे हैं। पहले यह एक भावनात्मक रिश्ता था, लेकिन अब यह दिखावे का एक जरिया बन गया है।
निष्कर्ष
खोंईछा एक ऐसी रस्म है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही है। यह एक भावनात्मक रिश्ता है जो बेटी और मां के बीच का बंधन मजबूत करता है। हमें इस रस्म को जीवित रखना चाहिए और इसका महत्व समझना चाहिए।

यह लेख खोंईछा के बारे में निम्नलिखित बिंदुओं को स्पष्ट करता है:
 * खोंईछा क्या है?
 * खोंईछा में क्या होता है?
 * खोंईछा का महत्व क्या है?
 * खोंईछा की धार्मिक मान्यताएं क्या हैं?
 * खोंईछा देने की रस्में क्या हैं?
 * खोंईछा का महत्व बदल रहा है क्यों?

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