Wednesday 25 September 2024

जीविका द्वारा गठित स्वयं सहायता समूह (SHG): एक विस्तृत विश्लेषण...


भारत में ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण और आर्थिक स्वावलंबन के लिए जीविका जैसी पहलें अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। जीविका द्वारा गठित स्वयं सहायता समूह (Self-Help Groups, SHG) इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। ये समूह ग्रामीण महिलाओं को एक साथ लाते हैं, ताकि वे अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकें और समुदाय के विकास में योगदान दे सकें।

स्वयं सहायता समूह क्या हैं?

स्वयं सहायता समूह छोटे, स्वैच्छिक संगठन होते हैं जो समान सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि वाली महिलाओं द्वारा गठित किए जाते हैं। ये समूह सदस्यों को बचत करने, ऋण देने और छोटे व्यवसाय शुरू करने में मदद करते हैं। SHG सदस्य एक-दूसरे का समर्थन करते हैं और कौशल विकास कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।

जीविका द्वारा SHG का गठन:

जीविका, बिहार सरकार की एक पहल है, जो ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम करती है। जीविका ने राज्य भर में लाखों महिलाओं को SHG में शामिल होने के लिए प्रेरित किया है। जीविका द्वारा गठित SHG निम्नलिखित सिद्धांतों पर आधारित होते हैं:

  • सदस्यता: SHG में 10-15  महिलाएं शामिल होती हैं।
  • स्वैच्छिकता: सदस्यता स्वैच्छिक होती है और कोई भी महिला SHG में शामिल हो सकती है।
  • लोकतांत्रिक प्रबंधन: SHG का प्रबंधन सदस्यों द्वारा ही किया जाता है।
  • बचत: सदस्य नियमित रूप से बचत करते हैं।
  • ऋण: बचत से एक कोष बनाया जाता है, जिससे सदस्यों को ऋण दिया जाता है।
  • कौशल विकास: सदस्यों को विभिन्न कौशल विकास कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया जाता है।

SHG का संचालन:

SHG का संचालन काफी सरल होता है। सदस्य नियमित रूप से बैठकें करते हैं, जिसमें वे अपनी बचत जमा करते हैं, ऋण लेने के लिए आवेदन करते हैं और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते हैं। एक समूह की अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष होती है। ये पदधारक सदस्यों द्वारा ही चुने जाते हैं।

SHG के लाभ:

SHG सदस्यों को कई तरह के लाभ मिलते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • आर्थिक सशक्तिकरण: SHG सदस्यों को बचत करने और ऋण लेने का अवसर मिलता है, जिससे वे छोटे व्यवसाय शुरू कर सकते हैं और अपनी आय बढ़ा सकते हैं।
  • सामाजिक सशक्तिकरण: SHG सदस्यों को एक-दूसरे का समर्थन करने और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर मिलता है।
  • कौशल विकास: SHG सदस्यों को विभिन्न कौशल विकास कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर मिलता है, जिससे वे अपनी रोजगार क्षमता बढ़ा सकते हैं।
  • स्वास्थ्य और पोषण: SHG सदस्यों को स्वास्थ्य और पोषण संबंधी जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जाता है।

समाज पर SHG का प्रभाव:

SHG का समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिनमें शामिल हैं:

  • गरीबी उन्मूलन: SHG सदस्यों की आय बढ़ने से गरीबी कम होती है।
  • लैंगिक समानता: SHG महिलाओं को सशक्त बनाती हैं और लैंगिक समानता को बढ़ावा देती हैं।
  • सामाजिक सद्भाव: SHG विभिन्न समुदायों के लोगों को एक साथ लाती हैं और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देती हैं।
  • समुदाय विकास: SHG समुदाय के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

सुधार के क्षेत्र:

SHG को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए निम्नलिखित सुधार किए जा सकते हैं:

  • वित्तीय सहायता: SHG को अधिक वित्तीय सहायता प्रदान की जानी चाहिए ताकि वे बड़े पैमाने पर गतिविधियां चला सकें।
  • कौशल विकास: SHG सदस्यों को बाजार की मांग के अनुरूप कौशल विकास कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
  • बाजार पहुंच: SHG सदस्यों को अपने उत्पादों के लिए बाजार पहुंच प्रदान की जानी चाहिए।
  • प्रशासनिक सुधार: SHG के प्रशासनिक ढांचे को मजबूत बनाया जाना चाहिए।

चलिए SHG के बारे में और गहराई से जानते हैं!

SHG के विभिन्न प्रकार

SHG को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे कि:

  • उद्देश्य के आधार पर:

    • बचत और ऋण समूह: ये सबसे आम प्रकार के SHG हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य सदस्यों के बीच बचत को प्रोत्साहित करना और छोटे ऋण प्रदान करना होता है।
    • उत्पादन समूह: ये समूह सदस्यों द्वारा उत्पादित वस्तुओं या सेवाओं के विपणन पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
    • सामुदायिक विकास समूह: ये समूह सामुदायिक विकास से संबंधित मुद्दों पर काम करते हैं, जैसे कि स्वच्छता, शिक्षा और स्वास्थ्य।
  • आकार के आधार पर:

    • छोटे समूह: इन समूहों में 10-15 सदस्य होते हैं।
    • मध्यम समूह: इन समूहों में 15-20 सदस्य होते हैं।
    • बड़े समूह: इन समूहों में 20 से अधिक सदस्य होते हैं।
  • सदस्यों के आधार पर:

    • महिला SHG: ये समूह केवल महिलाओं के लिए होते हैं।
    • पुरुष SHG: ये समूह केवल पुरुषों के लिए होते हैं।
    • मिश्रित SHG: इन समूहों में पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल होते हैं।

SHG के सामने आने वाली चुनौतियाँ

SHG के सामने कई चुनौतियाँ आती हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • वित्तीय स्थिरता: SHG को अपनी वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए लगातार प्रयास करने होते हैं।
  • सदस्यों की भागीदारी: सभी सदस्यों को SHG की गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
  • कौशल विकास: सदस्यों को नए कौशल सीखने और अपने व्यवसायों को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण प्रदान करना आवश्यक है।
  • बाजार पहुंच: SHG सदस्यों द्वारा उत्पादित वस्तुओं के लिए बाजार ढूंढना एक बड़ी चुनौती है।
  • नेतृत्व विकास: प्रभावी नेतृत्व का विकास करना SHG की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।

SHG के सफलता के मामले

भारत में SHG कई क्षेत्रों में सफल रहे हैं। कुछ उदाहरण हैं:

  • आर्थिक सशक्तिकरण: SHG ने लाखों महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है।
  • गरीबी उन्मूलन: SHG ने गरीबी कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • सामाजिक सशक्तिकरण: SHG ने महिलाओं को सामाजिक रूप से सशक्त बनाया है और उन्हें निर्णय लेने की शक्ति दी है।
  • सामुदायिक विकास: SHG ने समुदाय के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

निष्कर्ष:

जीविका द्वारा गठित SHG ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण हैं। इन समूहों ने महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनने और समुदाय के विकास में योगदान देने में मदद की है। हालांकि, SHG को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कुछ सुधार किए जाने की आवश्यकता है।

अतिरिक्त जानकारी:

  • SHG के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप जीविका की वेबसाइट पर जा सकते हैं।
  • SHG के विभिन्न पहलुओं पर शोध पत्र और पुस्तकें उपलब्ध हैं।
  • आप अपने क्षेत्र में सक्रिय SHG से संपर्क करके उनके बारे में अधिक जान सकते हैं।

यह लेख जीविका द्वारा गठित SHG के बारे में एक विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। यह लेख उन लोगों के लिए उपयोगी होगा जो SHG के बारे में अधिक जानना चाहते हैं या SHG को शुरू करने में रुचि रखते हैं।



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