Friday 21 May 2021

काहु न कोउ सुख दुख कर दाता । निज कृत कर्म भोग सब भ्राता ।

चाहे इस विश्व के कण कण में*hospital खोल दो , चाहे हर* मनुष्य क्या , हर जीव के कोख से *Doctor पैदा करवा दो* , चाहे दवाईयों के पेड़ या फसल ही बोने लग जाओ , तब भी सब बीमारियों से लोग *मरते* ही रहेंगे । 

क्योंकि 

*काहु न कोउ सुख दुख कर दाता ।*
*निज कृत कर्म भोग सब भ्राता ।।*

जब तक हमारे खान पान की शैली , *खाद्य अखाद्य की* *मर्यादा , नियम संयम की* ऐसी तैसी रहेगी तब तक  लोग   इसी तरह मरते रहेंगे । 

इस विश्व के शारीरिक रोग का एकमात्र कारण *यह छोटी सी* *मांसल जीभ है* । इसी जीभ के स्वाद के लिए *लोगों ने भोजन के नियम* संयम , आचार , व्यवहार सब खत्म कर दिया और आज hospital में doctors के पैरों पर नाक रगड़कर गिड़गिड़ा रहे हैं। 

 *जब बोला जाता है कि अपने* शरीर में कुछ भी *कूड़ा कर्कट मत डालो , तो* सब गुस्से से सामने वाले को देखते हैं । असंयमित खाना , असंयमित पीना , *बाहर का चाटना ,* घर अशुद्धता शुद्धता का विचार किये चाटना , *पैकेट बन्द* सामग्रियों को खाना , pesticides, insecticides, रासायनिक उर्वरक खा खा कर रक्त, धमनियों और dna तक भरना , पानी को इतना फ़िल्टर कर लेना कि उसमें से सब minerals और essentials nutrients निकाल कर पीना , सुबह सवेरे शाम दोपहर रात जब चाहे तब मुँह चलाना , कोई समय नहीं , कोई नियम नहीं कि *कब खाना , क्या खाना ,* कितना खाना , कैसे खाना , क्यों खाना ।

बस भगवान ने मुँह दे दिया तो उसमें कुछ भी कभी भी कैसे भी डाल लो ।

बस लोलुप जीभ को स्वाद मिलना चाहिए और मोटी चमड़ी को आराम । 
भले ही इससे पूरा परिवार का स्वास्थ्य हाशिये पर ही क्यों न आ जाये । 
Sauce, बंद buiscuits , नमकीन , cold drinks , पिज़्ज़ा , burger , गंदे बासी canned juices सबके घर में पड़े होंगे और लैपटॉप पर काम करते भक्षण चलता रहेगा ।
 लेकिन *अजवाईन , हरड़* , *सौंफ , मेथी दाना , पीपली ,* गोंद, इत्यादि शायद ही कोई महीने में खाता हो । 
यह सब खाने में सबकी नानी मर जाती है लेकिन नानी के साथ साथ यह भी जल्दी hospital के bed पर मरे पाए जाते हैं।  

ग़लत काम करेंगे सब खुद लेकिन चिल्लायेंगे Hospital और Doctors को।  

जिस दिन इस जीभ को संयमित कर लिया तो उसी दिन समझिये कि आप स्वस्थ्य होते चले जायेंगे ।

जिस दिन अपने kitchen या *रसोई को शरीर के मंदिर के* *तौर पर बनाकर उस* रसोई घर को घर का एक औषधालय बना लेंगे तो उसी दिन से आप स्वस्थ्य होते जाएंगे ।

जिस दिन आपने यह व्रत ले लिया कि मुझे बाहर का नहीं खाना और सबके घर घर का नहीं चाटना , उसी दिन से आपके घर से रोग अपनी गठरी बांधने लगेंगे । 
बहुत ही आवश्यक हो तभी इस व्रत या नियम को तोड़े । 

जिस दिन आपने यह व्रत ले लिया कि मुझे एकमात्र मौसमी फल और सब्जियों का ही सेवन करना है , ठीक उसी दिन से वैभव और लक्ष्मी अपना बोरिया बिस्तर लेकर आपके घर में ठिकाना बनाने आ जाएंगी ।

और एक अन्य महत्वपूर्ण बात 👇

तन को बली बना लो ऐसा ,* 
। *सह ले सर्दी वर्षा घाम । 
*मन को बलि बना लो ऐसा  टेक न छाड़े आठों याम ।।*

मन को ऐसा बलिष्ठ बना लो कि कोई तुम्हें अपने नियम से डिगा न सके । ऐसा नहीं कि यार दोस्तों ने कहा दिया तो तुम भी अपने घर का संस्कार भुलाकर पीने और मांस सेवन करने लगे । 

मतलब तुम्हारे माँ बाप का संस्कार इतना गिरा था कि अन्य दोस्तों के संस्कार उस पर हावी हो गए ।
तुम इतने कमजोर निकले कि उनकी गलत बातें तुमने ग्रहण कर ली लेकिन अपनी अच्छी बातों या आदतों का प्रभाव तुम उन पर नहीं डाल सके । धिक्कार है तुम्हें ।
तो तुम उनके गुलाम हो।  

मैं बार बार कहता रहूँगा कि जिस दिन तुमने अपने रहन सहन , आचार , विचार , खान पान , नियम संयम को संयमित एवं नियमित कर लिया , उसी दिन से सब ठीक हो जाएगा ।

वरना तो हॉस्पिटल और डॉक्टर भले ही कोई अपने दोनों जेब में लेकर घूमो या अपने नौ द्वार स्थान में ही घुसेड़ कर क्यों न रखे , वह मरेगा और रोगों से ही मरेगा । कोरोना ही नहीं कोरोना से भी बड़ी बड़ी बीमारियों से मरेगा ।

फिर एक बार सुन लो समझ लो   

*कर्म प्रधान विश्व रचि राखा ।*
*जो जस करहिं सो तस फल चाखा ।।*

*काहु न कोउ सुख दुख कर दाता ।*
*निज कृत कर्म भोग सब भ्राता ।।*

- इसमें कुछ बातें बहुत अच्छी लिखी हैं उन्हें *जीवन में अवश्य उतारियेगा* 


              




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