Sunday 9 May 2021

जिसका अंत नहीं वह माँ है .....



 भारतीय संस्कृति और धार्मिक ग्रंथों में माँ को स्वर्ग कहा है । माँ को जनानीजन्मभूमिश्च स्वर्गादपि ग्रिर्यसशी कहा गया है ।ग्रीस के लोग माताओ के सम्मान में  हर साल मई महीने के 2 रविवार को  ” मदर्स डे ” मानते हैं। भारत में मातृ दिवस 9 मई को मनाया जाता है ।अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विल्सन 9 मई 1914 को   कानून बनाया जिसके तहत मई महीने  दूसरे रविवार को   ” मदर्स डे ” मानाने की बात की गयी थी। जहा से जिसका अंत नहीं उसे  ”माँ ” कहते है । माँ प्रारंभ है अंत नहीं है । माँ को आदर और सम्मान देने के” मदर्स डे ”  मनाया जाता हैं। मदर्स डे की उत्पत्ति उत्तरी अमेरिका के माताओ को आदर नेब हुयी थी। माँ -और – बच्ची के बीच सम्बन्ध मजबूत करने  के साथ माँ को सहृदय प्रणाम करने के लिए इस उत्सव को मनाया जाता हैं। भारत में मातृ दिवस प्रत्येक साल मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाता हैं। प्राचीन कल में ग्रीक और रोमन के द्वारा पहली बार मदर्स डे मानाने की शुरुआत की गयी।  मदर्स डे  46  देशो में मनाया जाता हैं।  साल के  मातृ दिवस महत्वपूर्ण  दिन माँ के लिए समर्पित हैं। भारत में मातृ दिवस  मई के दूसरे रविकर को बड़े ही धूम -धाम से मानते हैं। आज के इस आधुनिक युग में इस पर्व को मानाने के तरीके बहुत बदल गए हैं। जब एक शिशु जन्म लेता हैं उसका पहला रिश्ता अपने माँ से होता हैं।  मां अपने बच्चे को 9 महीने अपने गर्भ में रखने के बाद असहनीय दर्द  सहती हुई अपने शिशु को जन्म देती हैं।  नौ महीने में शिशु और माता के एक अदृश्य प्यार भरा गहरा रिश्ता होता हैं। यह प्यार शिशु के जन्म के उपरांत सहकर होता हैं , और जीवन पर्यन्त  रहते हैं।मदर्स डे  को मानाने का प्रारंभ   सर्वप्रथम ग्रीस में हुयी थी। भारतीय संस्कृति में देवताओ की माँ की पूजा करने के चलन प्रचलित हुआ।  माँ अपने संतान के लिए जीवन  पर्यन्त समर्पित रहती थी।  माँ की त्याग और निस्वार्थ भावना   के गहराई को मापना संभव नहीं हैं। माँ के प्रति सम्मान प्रकट करना हमारा कर्तव्य हैं।

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