Friday 12 June 2020

12 जून - बच्चो के अच्छा भविष्य के लिए बालश्रम निषेध दिवस...

    12  जून  - बच्चो के बेहतर  भविष्य के लिए बालश्रम निषेध दिवस  हर साल पुरे दुनिया में मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन  बेहतर  भविष्य और लोगो में जागरूकता पैदा करने के लिए वर्ष  2002 में विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस के रूप में मनाने की शुरूआत की। संगठन के अनुमान के मुताबिक विश्व में 22  करोड़ 80 लाख बालश्रमिक हैं। जबकि एक आकलन के अनुसार भारत में ये आंकड़ा 2  करोड, 2 लाख 66 हजार 397  है।  वर्ष  1979 में भारत सरकार ने  बाल मजदूरी को खत्म करने के उपाय के रूप में गुरूपाद स्वामी समिति का गठन किया गया। जिसके बाद बालश्रम से जुड़ी सभी समस्याओं के अध्ययन के बाद गुरूपाद स्वामी समिति ने रिपोर्ट  प्रस्तुत किया , जिसमें गरीबी को मजदूरी के मुख्य कारण के रूप में देखा गया और ये सुझाव दिया गया, कि खतरनाक क्षेत्रों में बाल मजदूरी पर प्रतिबंध लगाया जाए एवं उन क्षेत्रों के कार्य के स्तर में सुधार किया जाए। समिति ने  बाल मजदूरी करने वाले बच्चों की समस्याओं के निराकरण के लिए बहुआयामी नीति की जरूरत पर भी बल दिया गया।  
1986 में समिति के सिफारिश के आधार पर बाल मजदूरी प्रतिबंध विनियमन अधि‍नियम अस्तित्व में आया, जिसमें विशेष खतरनाक व्यवसाय व प्रक्रि‍या के बच्चों के रोजगार एवं अन्य वर्ग के लिए कार्य की शर्तों का निर्धारण किया गया। इसके बाद सन 1987 में बाल मजदूरी के लिए विशेष नीति बनाई गई, जिसमें जोखि‍म भरे व्यवसाय एवं प्रक्र‍ियाओं में लिप्त बच्चों के पुर्नवास पर ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। बच्चों की समस्याओं पर विचार करने के लिए एक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय प्रयास उस समय हुआ, जब अक्टूबर 1990 में न्यूयार्क में इस विषय पर एक विश्व शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें 151 राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया तथा गरीबी, कुपोषण व भुखमरी के शिकार दुनिया भर के करोड़ों बच्चों की समस्याओं पर विचार-विमर्श किया गया ।

भारतीय संविधान में मौलिक अधि‍कारों और नीति निर्देशों के अनुसार कहा गया है  -   

1.  धारा 24-  14 साल से कम उम्र का कोई भी बच्चा किसी फैक्ट्री या खदान में कार्य करने के लिए नियुक्त नहीं किया जाएगा और ना ही किसी खतरनाक नियोजन में नियुक्त किया जाएगा। 
 
2 . धारा 39-ई - राज्य अपनी नीतियां इस तरह निर्धारित करे कि श्रमिकों, पुरूषों और महिलाओं का स्वास्थ्य तथा उनकी क्षमता सुरक्ष‍ित रह सकें, बच्चों की कम उम्र का शोषण न हो, न ही वे अपनी उम्र और शक्ति के प्रतिकूल, आर्थ‍िक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रवेश करें ।
 
3 . धारा 39 -एफ - बच्चों को स्वस्थ्, स्वतंत्र व सम्मानजनक स्थिति में विकास के अवसर व सुविधाएं दी जाएंगी और बचपन व युवावस्था के नैतिक व भौतिक दुरूपयोग से बचाया जाएगा। >
 
4 .  संविधान लागू होने के 10 साल के भीतर राज्य 14 वर्ष तक की उम्र के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रयास करेंगे (धारा 45)।
 
बालश्रम के लिए कानून -

1.  बालश्रम निषेध व नियमन कानून 1986 -  इस कानून के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के जीवन और स्वास्थ्य के लिए अहितकर 13 पेशे औ 57 प्रक्रियाओं में , नियोजन को निषिद्ध बनाया गया है।ये सभी पेशे और प्रक्रियाएं कानून की सूची में दिए गए हैं।
 
2 . फैक्ट्री कानून 1948 - यह कानून 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के नियोजन को निषिद्ध करता है। इसके अनुसार 15 से 18 वर्ष तक के किशोर किसी भी फैक्ट्री में तभी नियुक्त किए जा सकते हैं, जब उनके पास किसी अधिक़त चिकित्सक का फिटनेस प्रमाण पत्र हो। इसके साथ ही इस कानून में 14 से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए हर दिन साढ़े चार घंटे की कार्य अवधि‍ रखने के साथ ही रात के वक्त उनके कार्य करने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
 
3.  भारत में के खिलाफ कार्रवाई में महत्वपूर्ण न्यायिक हस्तक्षेप 1996 में उच्चतम न्यायालय के उस फैसले से आया, जिसमें संघीय और राज्य सरकारों को खतरनाक प्रक्रियाओं और पेशों में काम करने वाले बच्चों की पहचान करने, उन्हें काम से हटाने और उन्हें गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया गया था।
वर्तमान में देश के विभिन्न क्षेत्रों में छोटे स्तर पर होटल, घरों व फैक्ट्री में काम कर या अलग अलग व्यवसाय में मजदूरी कर हजारों बाल श्रमिक अपने बचपन को तिलांजलि दे रहें हैं, जिन्हें न तो किसी कानून की जानकारी है, और ना ही पेट पालने का कोई और तरीका पता है .बिहार से  लेकर उत्तर प्रदेश, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, केरल, आंध्रप्रदेश, आसाम, त्रिपुरा और संपूर्ण भारत में ये बाल श्रमिक i- जूता पोलिस ,कबाड़ी की दुकान ,विक्षावृति,बंधुआ मजदूरी , घरेलू काम ,कालीन, दियासलाई, रत्न पॉलिश व जवाहरात, पीतल व कांच, बीड़ी उघोग, हस्तशिल्प ,सूती होजरी, नारियल रेशा, सिल्क, हथकरघा, कढ़ाई, बुनाई, रेशम, लकड़ी की नक्काशी, फिश फीजिंग, पत्थर की खुदाई, स्लेट पेंसिल, चाय के बागान और बाल वैश्यावृत्ति के कार्य करते देखे जा सकते हैं। लेकिन कम उम्र में इस तरह के कार्यों को असावधानी से करने पर इन्हें कई तरह की बीमारियां होने का खतरा होता है।अध्ययन करने पर ये पाया गया, कि जितने भी बच्चे बालश्रम में लिप्त हैं, वे या तो निरक्षर थे या पढ़ाई छोड़ दी थी।इनमें  अधि‍कांश बच्चे बीमार पाए गए और कई बच्चे नशे के आदि भी थे। 
                     इतने प्रयासों के बाद भी बालश्रम को आज तक  पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सका है। इसका मुख्य कारण है - समाज में अभी भी इसको लेकर गंभीर नही है | लेकिन अब वक्त है नीतियों में उन बदलावों का जो बाल श्रम को या तो मान्यता देकर उसके लिए उचित और आवश्यक मापदंड तय कर सके या फिर इसके स्वरूप को पूरी तरह से बदल सके। इस काम से संबधित अधिकारी संवेदनशील हो | समाज में रह रहे सभी लोग प्रण ले की मै अपने जीवन में किसी भी बच्चे को किसी काम में इस्तेमाल नहीं करूँगा |

चाय की दुकान पर काम करता हुआ बच्चा 




No comments:

Post a Comment