Wednesday, 30 July 2025

जीविका (BRLPS) में लाइवलीहुड स्पेशलिस्ट के कार्य एवं दायित्व...

बिहार की उपजाऊ धरती सिर्फ फसलों की नहीं, सपनों की भी जननी रही है। जहाँ कभी अभाव, गरीबी और सीमित संसाधनों ने लोगों को अपने ही सपनों से दूर कर दिया था, वहीं आज “जीविका” (बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति - BRLPS) ने इन सपनों को फिर से संजोने और साकार करने का बीड़ा उठाया है। इस परिवर्तनकारी आंदोलन के केंद्र में जो चुपचाप, मगर प्रभावशाली ढंग से काम कर रहे हैं, वे हैं — लाइवलीहुड स्पेशलिस्ट (Livelihood Specialist)

यह भूमिका न तो महज एक सरकारी पद है, न ही सिर्फ फील्ड में जाने की एक औपचारिकता। यह पद है समर्पण, संवेदना और सतत विकास की असाधारण मिशनरी भावना का, जो ग्रामीण भारत के कोने-कोने में आत्मनिर्भरता का दीप जला रहा है।

🌱 लाइवलीहुड स्पेशलिस्ट कौन है?

कल्पना कीजिए एक ऐसे व्यक्ति की जो सुबह किसी SHG बैठक में भाग ले रहा हो, दोपहर में किसी किसान को जैविक खेती की तकनीक समझा रहा हो, और शाम को किसी महिला उद्यमी को ऋण के दस्तावेज़ भरने में मदद कर रहा हो। यही बहुआयामी, ऊर्जावान और प्रेरणादायक व्यक्तित्व होता है एक लाइवलीहुड स्पेशलिस्ट का।

वे योजनाओं को केवल लागू नहीं करते, बल्कि उन्हें ज़मीन पर सपनों और संभावनाओं की शक्ल में ढालते हैं। उनके लिए SHG सदस्य केवल संख्या नहीं, बल्कि संभावनाओं से भरे चेहरे होते हैं।


🛠️ लाइवलीहुड स्पेशलिस्ट की प्रमुख भूमिकाएँ:

1. गांवों में जमीनी संवाद और जुड़ाव (Community Engagement & Mobilization)

लाइवलीहुड स्पेशलिस्ट का पहला कार्य है "विश्वास का पुल बनाना"। वे गाँव के लोगों से सीधा संवाद करते हैं, SHG बैठकों में शामिल होते हैं, और महिलाओं को विश्वास दिलाते हैं कि बदलाव संभव है — और वे खुद इस बदलाव की वाहक बन सकती हैं।

  • चौपालों, गलियों और खेतों में चलती उनकी चर्चा होती है भविष्य के सपनों की।

  • समुदाय की ज़रूरतें, क्षमताएँ और संसाधन समझना उनकी दिनचर्या का हिस्सा होता है।

2. अवसरों का निर्माण और आजीविका में विविधता (Livelihood Promotion)

शब्दों में नहीं, आजीविका के अवसरों में ही सशक्तिकरण बसता है। लाइवलीहुड स्पेशलिस्ट लोगों को केवल प्रशिक्षित नहीं करते, उन्हें रास्ता दिखाते हैं कि वे खुद का व्यवसाय कैसे खड़ा करें।

  • कृषि में नवाचार: उन्नत बीज, जैविक खाद, ड्रिप इरिगेशन, फसल चक्र जैसे नवाचारों को ग्रामीण जीवन में उतारना।

  • पशुपालन का सशक्तिकरण: पशु चिकित्सा, डेयरी और पोल्ट्री को लाभकारी व्यवसाय में बदलना।

  • गैर-कृषि अवसरों का विकास: हस्तशिल्प, ब्यूटी पार्लर, मोबाइल रिपेयरिंग, दर्जी कार्य, मशरूम उत्पादन आदि के जरिए महिलाओं और युवाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाना।

3. वित्तीय समावेशन: पैसे की ताकत से सशक्तिकरण (Financial Inclusion & Linkages)

लाइवलीहुड स्पेशलिस्ट यह सुनिश्चित करते हैं कि एक ग्रामीण महिला भी बैंक की लाइन में आत्मविश्वास से खड़ी हो सके।

  • SHG बैंक लिंकेज: स्वयं सहायता समूहों को ऋण प्राप्ति के लिए सक्षम बनाना।

  • वित्तीय साक्षरता: बचत, ऋण, बीमा और निवेश की समझ देना।

  • सरकारी योजनाओं से जुड़ाव: PMAY, KCC, मनरेगा जैसी योजनाओं से लाभार्थियों को जोड़ना।

4. प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण (Training & Capacity Building)

ज्ञान से ही आत्मविश्वास आता है, और आत्मविश्वास से आत्मनिर्भरता। लाइवलीहुड स्पेशलिस्ट इस यात्रा के शिक्षक बनते हैं।

  • SHG सदस्यों का प्रशिक्षण: फाइनेंस, लीडरशिप, और रिकॉर्ड कीपिंग पर प्रशिक्षण।

  • CRP का विकास: स्थानीय ग्रामीणों को प्रशिक्षित कर समुदाय में बदलाव के नेता बनाना।

  • तकनीकी और उद्यमिता प्रशिक्षण: सिलाई, कंप्यूटर, मार्केटिंग, मूल्य संवर्धन पर कार्यशालाएं।

5. बाज़ार से संपर्क: मेहनत का सही मूल्य (Market Linkage)

उत्पादन तब तक अधूरा है जब तक वह बाज़ार तक नहीं पहुंचे। लाइवलीहुड स्पेशलिस्ट उत्पादक और ग्राहक के बीच की कड़ी बनते हैं।

  • स्थानीय और राष्ट्रीय बाज़ारों से जोड़ना: SHG उत्पादों को हाट, मेलों, और ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर पहुंचाना।

  • मूल्य संवर्धन और पैकेजिंग: उत्पादों को बाज़ार योग्य बनाना ताकि बेहतर मूल्य प्राप्त हो।

  • ग्रुप आधारित मार्केटिंग: सामूहिक बिक्री के माध्यम से मोलभाव की ताकत देना।

6. नवाचार और समाधान: जहाँ रास्ता न हो, वहाँ राह बनाना (Innovation & Problem Solving)

जब कोई महिला कहती है “हमारे गाँव में पानी की समस्या है”, तो लाइवलीहुड स्पेशलिस्ट सोचते हैं — कैसे समाधान निकले? यह उनकी सबसे अनोखी विशेषता है।

  • स्थानीय नवाचारों को बढ़ावा: गाँव के उपलब्ध संसाधनों का बुद्धिमत्तापूर्वक उपयोग।

  • संकट प्रबंधन: आपदा, सूखा, बाढ़ जैसी स्थिति में SHG की स्थिरता बनाए रखना।

  • बहु-हितधारक सहयोग: निजी कंपनियों, NGOs, कृषि विज्ञान केंद्रों आदि से भागीदारी।

7. निगरानी और रिपोर्टिंग: परिणामों की सतत जांच (Monitoring & Evaluation)

हर पहल की सफलता उसके प्रभाव से मापी जाती है। लाइवलीहुड स्पेशलिस्ट नियमित रूप से प्रगति पर नज़र रखते हैं।

  • डेटा संग्रह और विश्लेषण

  • केस स्टडी और बेस्ट प्रैक्टिस डॉक्युमेंटेशन

  • रिपोर्ट प्रस्तुत करना और उससे सीखना


🌟 क्या खास है एक लाइवलीहुड स्पेशलिस्ट में?

इस पद के लिए डिग्री से ज़्यादा ज़रूरी है — दृष्टिकोण

आवश्यक गुण उनका प्रभाव
संवेदनशीलता हर ग्रामीण परिवार की कहानी को समझने और उससे जुड़ने की ताकत
नेतृत्व क्षमता समूहों को दिशा देने और उनमें नेतृत्व भावना जगाने की क्षमता
संवाद कौशल हर स्तर पर प्रभावशाली संवाद — SHG महिला से लेकर BDO तक
समस्या समाधान हर चुनौती में अवसर ढूँढने की मानसिकता
समर्पण और निष्ठा हर दिन बदलाव की जिद लेकर मैदान में उतरने का जज़्बा
तकनीकी जानकारी कृषि, पशुपालन, मार्केटिंग, MIS जैसी तकनीकों की समझ

💡 एक प्रेरक उदाहरण: मंजू दीदी की कहानी

गाँव – औरंगाबाद जिले का एक छोटा-सा टोला
समस्या – गरीबी, बेरोज़गारी और आत्मविश्वास की कमी
उपाय – लाइवलीहुड स्पेशलिस्ट रीता सिंह ने SHG गठन कराया, सिलाई प्रशिक्षण दिलाया, बैंक लिंकेज कराया और बाजार में संपर्क दिलाया।

6 महीने में मंजू दीदी का समूह गाँव की लड़कियों के लिए यूनिफॉर्म सिलने लगा। आज मंजू न केवल ₹10,000 महीना कमा रही हैं, बल्कि पाँच और महिलाओं को प्रशिक्षित भी कर रही हैं।

रीता सिंह ने केवल एक योजना लागू नहीं की — उन्होंने एक जीवन की दिशा ही बदल दी।


🔚 निष्कर्ष: परिवर्तन के असली आर्किटेक्ट

लाइवलीहुड स्पेशलिस्ट केवल फील्ड स्टाफ नहीं होते — वे गांव के भाग्य-निर्माता होते हैं। वे सपनों को पंख देते हैं, अभाव को अवसर में बदलते हैं और आर्थिक सशक्तिकरण को सामाजिक गरिमा से जोड़ते हैं।

उनकी मौजूदगी का असर उन आँखों की चमक में दिखता है जो अब सपने देखती हैं।
उनके कदमों की आहट उस गाँव में गूंजती है जहाँ आत्मनिर्भरता की राह पर पहला कदम रखा जा रहा है।
उनकी प्रेरणा एक राज्य को गरीबी से समृद्धि की ओर ले जा रही है।

वे हैं — ग्रामीण बदलाव के असली शिल्पकार।
वे हैं — लाइवलीहुड स्पेशलिस्ट।


 


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