बिहार की मिट्टी में जब बात बदलाव की होती है, तो 'जीविका' का नाम सबसे पहले जुबान पर आता है। बिहार रूरल लाइवलीहुड्स प्रमोशन सोसाइटी (BRLPS) द्वारा चलाई जा रही यह योजना न केवल महिलाओं को सशक्त बना रही है, बल्कि गाँव-गाँव में विकास की एक नई रेखा खींच रही है। इस यात्रा में, जहाँ हजारों महिलाएँ स्वयं सहायता समूहों (SHG) के माध्यम से आत्मनिर्भर बन रही हैं, वहीं एक और वर्ग है जो इस बदलाव का चुपचाप लेकिन अहम किरदार निभा रहा है – ब्लॉक आईटी एक्जीक्यूटिव।
यह लेख उस अदृश्य योद्धा की भूमिका को उजागर करता है, जो न केवल तकनीक का रखवाला है, बल्कि ग्रामीण परिवर्तन का मजबूत स्तंभ भी।
तकनीक और परिवर्तन का संगम
जीविका की सफलता केवल फील्ड में किए गए कार्यों पर नहीं, बल्कि उन कार्यों को डिजिटल रूप में दर्ज करने, उन्हें विश्लेषित करने और सही समय पर रिपोर्ट करने पर भी निर्भर करती है। और इस पूरे डिजिटल तंत्र का संचालन करने वाला ब्लॉक आईटी एक्जीक्यूटिव होता है।
अगर जीविका एक विशाल मशीन है, तो आईटी एक्जीक्यूटिव उसका ग्रीसिंग इंजीनियर है, जो यह सुनिश्चित करता है कि हर पुर्जा सही ढंग से चल रहा है।
मुख्य भूमिकाएँ: आईटी से परे, ज़िम्मेदारी की एक पूरी दुनिया
ब्लॉक आईटी एक्जीक्यूटिव का काम सिर्फ कंप्यूटर ऑपरेट करना नहीं है। उसकी ज़िम्मेदारियाँ व्यापक, विविध और अत्यंत महत्वपूर्ण होती हैं, जिन्हें निम्नलिखित क्षेत्रों में बांटा जा सकता है:
1. MIS यानी डेटा की दुनिया का महारथी
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डेटा एंट्री और सत्यापन: SHG की बैठकें, ऋण वितरण, बचत विवरण – सबका सटीक रिकॉर्ड रखना।
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डेटा अपडेट: समय पर फील्ड से आए डेटा को सिस्टम में अपलोड करना ताकि रिपोर्टिंग में देरी न हो।
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रिपोर्ट निर्माण: ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर के लिए प्रभावशाली रिपोर्ट बनाना।
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डेटा गुणवत्ता सुनिश्चित करना: यदि कोई गड़बड़ी है तो उसे ढूंढकर सही करना।
2. तकनीकी सहायता: जब भी, जहाँ भी जरूरत हो
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हार्डवेयर हेल्पर: कंप्यूटर, प्रिंटर, स्कैनर, बायोमेट्रिक मशीन – सबकी देखभाल।
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सॉफ्टवेयर सॉल्वर: सॉफ्टवेयर इंस्टॉलेशन से लेकर वायरस हटाने तक।
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नेटवर्क मेंटेनर: इंटरनेट कनेक्शन की स्थिति को सुचारू बनाए रखना।
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फील्ड स्टाफ की मदद: मोबाइल ऐप या टैबलेट में अटके कर्मचारियों की सहायता।
3. प्रशिक्षण मास्टर: ज्ञान बांटना ही असली नेतृत्व
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स्टाफ को प्रशिक्षित करना: MIS, Excel, मोबाइल ऐप आदि में दक्षता देना।
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बेसिक कंप्यूटर सिखाना: जिनको ज़रूरत हो, उन्हें Word, Excel, Email आदि सिखाना।
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नई तकनीक पर ट्रेनिंग: कोई नया सिस्टम आए तो सभी को उसका ज्ञान देना।
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मैनुअल बनाना: आसान भाषा में गाइड तैयार करना।
4. संपत्ति प्रबंधन: जिम्मेदारी का दूसरा नाम
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इन्वेंट्री में पारदर्शिता: कौन-सा सिस्टम, किसके पास, कब से – सबकी जानकारी।
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सॉफ्टवेयर लाइसेंसिंग: पायरेटेड सॉफ्टवेयर से बचना।
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एंटी-वायरस में दक्षता: वायरस-मुक्त सिस्टम सुनिश्चित करना।
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रखरखाव: खराब चीजों की मरम्मत और सही समय पर सर्विसिंग।
5. डेटा सुरक्षा और बैकअप: एक डिजिटल प्रहरी
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नियमित बैकअप: डेटा को सुरक्षित रखना, रोज़ बैकअप लेना।
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सुरक्षा नियम: पासवर्ड, डेटा शेयरिंग के नियम सिखाना।
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जागरूकता अभियान: स्टाफ को भी डिजिटल सुरक्षा का महत्व समझाना।
6. समन्वय और रिपोर्टिंग: सभी को जोड़ने की कला
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BPM से संवाद: ब्लॉक प्रमुख को तकनीकी रिपोर्ट देना।
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डिस्ट्रिक्ट आईटी मैनेजर को रिपोर्टिंग: मार्गदर्शन और सहयोग प्राप्त करना।
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फील्ड स्टाफ से तालमेल: डेटा की निरंतरता बनाए रखना।
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मीटिंग्स में भागीदारी: तकनीकी अद्यतनों को प्रस्तुत करना।
एक योद्धा: आईटी एक्जीक्यूटिव की दिनचर्या
कल्पना कीजिए कि आप एक ब्लॉक आईटी एक्जीक्यूटिव हैं:
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सुबह 10 बजे: ऑफिस में प्रवेश, सर्वर चेक, नेटवर्क स्टेटस देखना, बीपीएम से मिलना।
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11 बजे: CC से प्राप्त डेटा की एंट्री मॉनिटर करना, किसी कंप्यूटर की खराबी ठीक करना।
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दोपहर: लंच के बाद नया मोबाइल ऐप सिखाने के लिए छोटा वर्कशॉप लेना।
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शाम: दिनभर का डेटा सत्यापित करना, रिपोर्ट बनाना, एक CC की टैबलेट समस्या सुलझाना, अगली मीटिंग के लिए प्रेजेंटेशन तैयार करना।
दिन भर छोटी-छोटी दिक्कतों को सुलझाते हुए वह बड़े लक्ष्य की ओर बढ़ता है – “तकनीक के माध्यम से सशक्त समाज की स्थापना”।
एक अच्छा आईटी एक्जीक्यूटिव बनने के लिए जरूरी गुण
शैक्षणिक योग्यता:
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BCA, B.Sc. (IT) या किसी विषय में स्नातक के साथ कंप्यूटर में डिप्लोमा (PGDCA आदि)।
तकनीकी कौशल:
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MIS, हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, नेटवर्किंग और Excel में प्रवीणता।
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हिंदी और अंग्रेजी टाइपिंग एक अतिरिक्त लाभ।
व्यवहारिक कौशल:
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संचार कला: गैर-तकनीकी स्टाफ को भी समझा पाना।
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धैर्य: रोज़ एक जैसी समस्याओं से भी मुस्कुरा कर निपटना।
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समस्या समाधान: टेक्निकल जुगाड़ में माहिर होना।
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टीम भावना: सबको साथ लेकर चलना।
चुनौतियाँ: संघर्ष भी हैं इस यात्रा में
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पुराने संसाधन: कई बार पुराने सिस्टम और कम सुविधाओं के साथ काम करना पड़ता है।
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कमज़ोर इंटरनेट: ग्रामीण क्षेत्रों की सबसे बड़ी बाधा।
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काम का दबाव: रिपोर्टिंग डेडलाइन पर कई बार दिन रात एक करना पड़ता है।
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विविध तकनीकी समझ: सभी स्टाफ एक जैसे तकनीकी दक्ष नहीं होते, यह भी एक चुनौती है।
निष्कर्ष: गुमनाम नायक की चमक
ब्लॉक आईटी एक्जीक्यूटिव वह सितारा है, जो भले ही आकाश में चमकता न दिखे, लेकिन उसके बिना रात रोशन नहीं होती। वह डेटा को शक्ति में, तकनीक को सहयोग में और सिस्टम को समाधान में बदलने की अद्भुत क्षमता रखता है।
जीविका की ज़मीन पर आईटी एक्जीक्यूटिव वह सेतु है जो ग्रामीण विकास को डिजिटल ताकत से जोड़ता है।
हर क्लिक, हर रिपोर्ट, हर ट्रेनिंग – सब कुछ इसी मिशन का हिस्सा है:
"तकनीक से ग्रामीण भारत को सशक्त बनाना।"
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