जब आप बिहार के किसी सुदूर गाँव की कच्ची पगडंडी पर चलते हुए किसी महिला को आत्मविश्वास से समूह की बैठक लेते हुए देखते हैं, जब आप सुनते हैं कि कोई ग्रामीण महिला अब बैंक से लोन लेकर खुद का बिजनेस चला रही है, तो समझिए – वहां ‘जीविका’ है।
लेकिन यह चमत्कार सिर्फ नीतियों से नहीं, बल्कि कर्मठ कर्मियों की एक विशाल और संगठित सेना की बदौलत संभव हुआ है। एक ऐसी संरचना जो राज्य की राजधानी से लेकर पंचायत के कोने तक हर स्तर पर काम करती है। चलिए, हम इस ‘जीविका’ की कर्मी संरचना (Staff Structure) को एक कहानी की तरह समझते हैं – न केवल पदों की, बल्कि पैशन, प्रतिबद्धता और परिवर्तन की कहानी।
🔶 1. जहां से शुरुआत होती है – राज्य स्तर (State Level): नीति, योजना और पंखों की उड़ान
राज्य स्तर, यानी जीविका का दिमाग और हृदय। यहां नीतियाँ बनती हैं, दिशा तय होती है और पूरा अभियान संगठित होता है।
🧠 मुख्य सूत्रधार:
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CEO (Chief Executive Officer): परियोजना के कप्तान, जिनकी दूरदृष्टि से जीविका का भविष्य गढ़ा जाता है।
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COO (Chief Operating Officer): ज़मीन पर उतरने वाली योजनाओं का संचालन और क्रियान्वयन सुनिश्चित करते हैं।
🎯 थीमैटिक विशेषज्ञ (Thematic Managers):
हर एक क्षेत्र के लिए अलग विशेषज्ञ – जैसे वित्तीय समावेशन, सामाजिक विकास, जेंडर, प्रशिक्षण, MIS, मूल्य श्रृंखला आदि। ये वो विशेषज्ञ हैं जो योजनाओं को व्यवहारिकता का चोला पहनाते हैं।
🧾 प्रशासनिक ढांचा:
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HR Officer – सही लोगों की भर्ती और उनका विकास।
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Finance Officer – फंड का पारदर्शी संचालन।
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Procurement Officer – संसाधनों की खरीद में गुणवत्ता और ईमानदारी।
यह स्तर जैसे एक कंट्रोल रूम है, जहां से लाखों महिलाओं के जीवन में बदलाव के बीज बोए जाते हैं।
🔷 2. मिशन का विस्तार – जिला स्तर (District Level): क्रियान्वयन की कमान
जब नीति ज़मीन पर उतरती है, तो सबसे अहम जिम्मेदारी होती है जिला परियोजना समन्वय इकाई (DPCU) की।
👑 मुख्य पदाधिकारी:
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District Project Manager (DPM) – जिले में जीविका के सेनापति, जो टीम का नेतृत्व करते हैं और प्रगति की निगरानी करते हैं।
🧩 थीमैटिक विशेषज्ञ:
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Livelihood, Financial Inclusion, Social Mobilization, Gender, Agriculture, Capacity Building आदि के District Level Experts, जो अपने-अपने विषयों में सामुदायिक रणनीति बनाते हैं।
📊 MIS और Accountant:
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Data + Finance = Accountability
ये दोनों मिलकर सुनिश्चित करते हैं कि हर गतिविधि सही ढंग से रिकॉर्ड और रिपोर्ट हो।
जिला स्तर पर कर्मियों की टीम वो इंजन है जो योजना के पहियों को घुमाता है।
🔶 3. ज़मीनी बदलाव का ध्रुव केंद्र – प्रखंड स्तर (Block Level): परिवर्तन की प्रयोगशाला
यह वह स्तर है जहां से असली क्रियान्वयन शुरू होता है – जहाँ कर्मी गाँव-गाँव जाकर सपनों को साकार करते हैं।
🏢 Block Project Implementation Unit (BPIU):
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Block Project Manager (BPM) – प्रखंड का कप्तान। रणनीति, क्रियान्वयन और सामुदायिक संवाद में दक्ष।
🧭 Area Coordinator (AC):
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प्रत्येक AC की जिम्मेदारी होती है 3–5 पंचायतों की। वह फील्ड स्तर पर योजना और समुदाय के बीच सेतु होते हैं।
🧑🤝🧑 Community Coordinator (CC):
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CC वो ‘फील्ड वॉरियर’ हैं, जो SHG, VO और CLF से सीधा संवाद करते हैं। ये ही असल में जीविका के चेहरे हैं।
🖥️ IT & MIS Executives:
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डेटा रिपोर्टिंग, मोबाइल एप्स पर एंट्री, ट्रैकिंग और विश्लेषण – तकनीक के ज़रिए पारदर्शिता की गारंटी।
💰 Accountant:
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वित्तीय दस्तावेजों का संचालन, बजट प्लानिंग और भुगतान प्रक्रिया का जिम्मेदार।
यह स्तर जीविका की "नाड़ी" है, जहाँ हर दिन बदलाव की धड़कन महसूस होती है।
🔷 4. दिल की धड़कन – सामुदायिक स्तर (Community Level): महिलाएं, समूह और सशक्तिकरण
यह वह मंच है जहाँ हर बदलाव की असली नायिका – ग्रामीण महिला होती है। SHG, VO और CLF के माध्यम से समुदाय खुद को दिशा देता है।
🧩 Cluster Level Federation (CLF):
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CLF Anchor Person – पूरी CLF का संचालन और नेतृत्व।
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CLF Accountant – समूहों का लेखा जोखा।
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MIS Book Keeper (MBK) – डिजिटल रिपोर्टिंग।
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Community Facilitator (CF) – संगठन को मज़बूत बनाने में सहयोगी।
🏘️ Village Organization (VO):
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VO Book Keeper – गाँव स्तरीय संगठन का वित्तीय प्रबंधन।
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VO Cadre ( CM ) – विषय विशेषज्ञता वाले स्वयंसेवी जो बैंकिंग, कृषि, पशुपालन व जेंडर जैसे मुद्दों पर काम करते हैं।
👭 Self Help Group (SHG):
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President, Secretary, Treasurer – SHG का संचालन।
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CRP (Community Resource Person) – SHG गठन, पंचसूत्र, लोन रीकवरी में सहायता।
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CM (Community Mobilizer) – SHG का सञ्नचालन, महिलाओं को जोड़ना, प्रशिक्षण देना और जागरूकता बढ़ाना।
यही स्तर जीविका की असली ताक़त है – जहाँ महिलाएं खुद नेतृत्व करती हैं, निर्णय लेती हैं और दूसरों के लिए मिसाल बनती हैं।
🌟 5. विशेष सहयोगी – ज़मीन से जुड़े बदलाव के प्रेरक
इन कैडरों का निर्माण समुदाय से ही किया जाता है। ये वो चेहरे हैं जो परिवर्तन को हर घर तक ले जाते हैं।
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Bank Sakhi – बैंकिंग को गाँव तक ले जाने वाली महिलाएं।
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Krishi Sakhi / Pashu Sakhi – कृषि और पशुपालन में तकनीकी जानकारी देने वाली प्रशिक्षित महिलाएं।
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Gender Cadre – जेंडर समानता पर जागरूकता फैलाने वाले स्थानीय कार्यकर्ता।
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Jeevika Didis (उद्यमी महिलाएं) – स्वयं उद्यम चला रही महिलाएं जो दूसरों को प्रेरित करती हैं।
इन सहयोगियों के बिना बदलाव की गाड़ी अधूरी है। ये वही महिलाएं हैं जो कभी सिर्फ काम करने वाली थीं, अब मार्गदर्शक बन चुकी हैं।
🏫 6. प्रशिक्षण: बदलाव से पहले तैयारी
जीविका जानती है – "अगर कर्मी प्रशिक्षित हैं, तो बदलाव निश्चित है।" इसलिए राज्य से लेकर गाँव तक प्रशिक्षण केंद्र और रिसोर्स हब बनाए गए हैं।
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CMTC (Community Manage Training Center) – फील्ड स्तर पर प्रशिक्षकों का गढ़।
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SRC (State Resource Cell) – नीति निर्धारकों, BPMs, DPMs आदि के लिए विशेषज्ञ प्रशिक्षण।
प्रशिक्षण विषय:
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वित्तीय प्रबंधन
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सामाजिक समावेशन
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कृषि एवं पशुपालन
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उद्यमिता विकास
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डिजिटल दक्षता
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जेंडर जागरूकता
हर कर्मी को समय-समय पर नए ज्ञान से लैस किया जाता है, ताकि वे हर नई चुनौती का सामना कर सकें।
🔍 7. जिम्मेदारी और जवाबदेही – भूमिका आधारित उत्तरदायित्व
जीविका की संरचना सिर्फ पद नहीं है, बल्कि हर कर्मी की साफ़ भूमिका और लक्ष्य तय हैं:
स्तर | मुख्य कार्य |
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राज्य स्तर | नीति निर्माण, योजना, बजट, प्रशिक्षण नीति |
जिला स्तर | रणनीति निर्माण, मॉनिटरिंग, प्रशासनिक नियंत्रण |
प्रखंड स्तर | योजना क्रियान्वयन, सुपरविजन, सामुदायिक संवाद |
सामुदायिक स्तर | समूह निर्माण, नेतृत्व विकास, जमीनी क्रियान्वयन |
तकनीकी स्टाफ | MIS, IT, फाइनेंस की रिपोर्टिंग और पारदर्शिता |
कैडर | बैंक, कृषि, सामाजिक समावेशन, महिला सशक्तिकरण का प्रत्यक्ष कार्यान्वयन |
🎯 निष्कर्ष: एक संगठित शक्ति जो बिहार की तस्वीर बदल रही है
‘जीविका’ एक साधारण योजना नहीं, बल्कि विकास का एक संगठित महायज्ञ है – जहाँ हर कर्मी, हर स्तर पर एक भूमिका निभा रहा है – चाहे वह नीति निर्माता हो या खेत में काम करने वाली ‘पशु सखी’।
यह संरचना टॉप-टू-बॉटम नहीं, बल्कि बॉटम-अप अप्रोच को अपनाती है – यानी गाँव की महिलाएं सबसे अहम कड़ी हैं।
हर एक भूमिका, हर एक जिम्मेदारी मिलकर यह सुनिश्चित करती है कि:
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महिलाएं आत्मनिर्भर बनें
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गरीब परिवारों को आर्थिक संबल मिले
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सामाजिक असमानताएं खत्म हों
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और बिहार की ग्रामीण आत्मा फिर से गर्व से मुस्कुरा सके
जीविका का स्टाफ स्ट्रक्चर सिर्फ एक सिस्टम नहीं, एक जीवंत आंदोलन है, जो हर दिन बिहार के भविष्य को गढ़ रहा है।
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