Saturday, 23 May 2020

📚 "झरना सरेन का गौतम शिक्षण संस्थान: जहाँ शिक्षा नहीं, संस्कार बोए जाते हैं" 🌱

गया जिले के नक्सल प्रभावित निमचकबथानी प्रखंड में स्थित झरना सरेन गांव का एक छोटा-सा लेकिन अत्यंत प्रभावशाली संस्थान है — गौतम शिक्षण संस्थान। यह कोई आम स्कूल नहीं, बल्कि एक अनोखा सामाजिक प्रयोग है, जो शिक्षा के साथ-साथ समाज में एकता, समानता और सद्भाव का अलख जगा रहा है।

नक्सल प्रभावित इलाकों में जहां असुरक्षा, बेरोजगारी और सामाजिक भेदभाव जैसी समस्याएं आम होती हैं, वहीं यह संस्थान उम्मीद की एक रौशनी बनकर उभरा है। शिक्षा को केवल किताबों तक सीमित न रखकर, इसे व्यवहारिक जीवन और सामूहिक सोच से जोड़ा गया है, जो इसे बाकी शैक्षणिक संस्थानों से अलग बनाता है।

🎓 शिक्षा की नई परिभाषा

यहाँ बच्चों को सिर्फ हिंदी, गणित या विज्ञान नहीं सिखाया जाता — उन्हें संवेदना, समानता और अनुशासन की शिक्षा दी जाती है। शिक्षक केवल शिक्षक नहीं, बल्कि मार्गदर्शक, संरक्षक और कभी-कभी मित्र भी होते हैं।

यह संस्थान न केवल ज्ञान देता है, बल्कि बच्चों के व्यक्तित्व को गढ़ता है — ऐसा व्यक्तित्व जो समाज को जोड़ने का कार्य करे, न कि तोड़ने का।

👕 एकरूपता में छिपा संदेश

गौतम शिक्षण संस्थान की सबसे बड़ी खासियत है — वहाँ पढ़ने वाले सभी बच्चों की वेशभूषा, लिखावट और लंबाई में अद्भुत समानता।

सभी छात्र समान रंग और शैली की वर्दी पहनते हैं, जिससे आर्थिक स्थिति का कोई भेद नजर नहीं आता।

बच्चों की लिखावट तक एक जैसी हो, इसके लिए विशेष अभ्यास और निरंतर मार्गदर्शन दिया जाता है।

लंबाई को लेकर बच्चों को समान पोषण, व्यायाम और जीवनशैली की प्रेरणा दी जाती है ताकि वे शारीरिक रूप से भी समान और स्वस्थ बनें।

यह सब केवल दिखावे के लिए नहीं, बल्कि यह दर्शाता है कि जब समाज में सभी को समान अवसर और दिशा दी जाती है, तो भिन्नताएँ स्वतः समाप्त हो जाती हैं।

🕊️ सामाजिक सद्भाव का संदेश

गौतम शिक्षण संस्थान जाति, धर्म, वर्ग और लिंग के भेदभाव से ऊपर उठकर काम करता है। यहां हर बच्चा सिर्फ एक "छात्र" है — न कोई ऊँचा, न नीचा।

छात्रों के बीच भोजन, खेल, अध्ययन और सांस्कृतिक कार्यक्रम सभी मिलकर होते हैं। यह उन्हें बचपन से ही सिखाता है कि साथ रहना ही असली ताकत है।

🪔 एक प्रेरणा पूरे देश के लिए

आज जब शिक्षा को व्यापार बना दिया गया है, तब गौतम शिक्षण संस्थान एक मिशन की तरह खड़ा है। यह न केवल शिक्षा देता है, बल्कि एक बेहतर समाज की नींव भी रखता है।

झरना सरेन जैसे सुदूर गाँव से निकली यह लौ पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सकती है — कि अगर इरादे नेक हों और सोच सामूहिक हो, तो बदलाव लाना बिल्कुल संभव है।

गौतम शिक्षण संस्थान की यह अनूठी पहल हमें बताती है कि शिक्षा केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि समाज को गढ़ने की एक कला है।
और इस कला को गढ़ रहे हैं झरना सरेन के वे बच्चे, जो कल को समाज का चेहरा बदल सकते हैं। 🌟


Thursday, 7 May 2020

दो महान व्यक्तित्वों की जयंती: बुद्ध पूर्णिमा..

      आज हम दो ऐसे महान व्यक्तित्वों को याद करते हैं जिन्होंने मानवता के लिए एक नया रास्ता दिखाया। महात्मा बुद्ध और रवींद्र नाथ टैगोर, दोनों ने ही अपने विचारों और कृतियों से लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया।

बुद्ध पूर्णिमा, वैशाख मास की पूर्णिमा को मनाई जाने वाली यह तिथि, बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसी दिन गौतम बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण हुआ था। बुद्ध ने अपने जीवन में कई समस्याओं को देखा और लोगों के दुखों को दूर करने का उपाय खोजा। उन्होंने घर-बार छोड़कर ज्ञान की तलाश में निकले और अंततः बोधगया में पीपल के वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया।

बौद्ध धर्म का प्रसार और इसका महत्व

बुद्ध के उपदेशों ने दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित किया और बौद्ध धर्म का जन्म हुआ। बौद्ध धर्म का अष्टांगिक मार्ग, जो जीवन जीने का एक तरीका है, आज भी प्रासंगिक है। यह मार्ग हमें दुखों से मुक्ति और आत्मज्ञान प्राप्त करने का रास्ता दिखाता है।

बोधगया: बौद्ध धर्म का केंद्र

बोधगया, जहां बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था, आज भी बौद्धों के लिए एक पवित्र स्थल है। यहां हर साल लाखों लोग बुद्ध को श्रद्धांजलि देने आते हैं। दुर्भाग्यवश, बोधगया के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में लोग बौद्ध धर्म के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं। यह एक चिंताजनक स्थिति है क्योंकि यह वह जगह है जहां से बौद्ध धर्म का उदय हुआ था।

बौद्ध धर्म का आज का महत्व

आज की दुनिया में, जहां हिंसा और अशांति व्याप्त है, वहां बौद्ध धर्म के शांति और करुणा के संदेश और भी अधिक प्रासंगिक हो गए हैं। बौद्ध धर्म हमें यह सिखाता है कि हम सभी एक हैं और हमें एक-दूसरे के प्रति करुणा और सहानुभूति रखनी चाहिए।

बुद्ध के अनमोल वचन

  • हम जो कुछ भी हैं वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है.
  • हजारों खोखले शब्दों से अच्छा वह एक शब्द है जो शांति लाये.
  • अतीत पे ध्यान मत दो, भविष्य के बारे में मत सोचो, अपने मन को वर्तमान क्षण पे केन्द्रित करो.

निष्कर्ष

महात्मा बुद्ध एक ऐसे महान व्यक्ति थे जिन्होंने मानवता को एक नया रास्ता दिखाया। उनके उपदेश आज भी प्रासंगिक हैं और हमें जीवन जीने का एक नया नजरिया देते हैं। आइए, हम सभी बुद्ध के उपदेशों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करें और एक शांतिपूर्ण और खुशहाल दुनिया का निर्माण करें।




            
           
  


  



MAHABODHI MANDIR BODHGAYA 18TH CENTURY







                                   






      

Monday, 4 May 2020

🕉️ "श्मशान: जहाँ जीवन का अंत नहीं, शुरुआत होती है" 🔥

जब भी हम "श्मशान" शब्द सुनते हैं, मन में एक भय, अजीब-सी चुप्पी और मौत की कल्पना उभरती है। अधिकतर लोग श्मशान का नाम सुनते ही दूर भागते हैं, उसे अपशकुन मानते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि श्मशान सिर्फ मुर्दों को जलाने का स्थान नहीं, बल्कि वह जगह है जहाँ जीवन के सबसे बड़े रहस्य खुलते हैं?

श्मशान वह जगह है जहाँ हर व्यक्ति समान होता है — न कोई राजा, न रंक। न कोई अमीर, न गरीब। यहाँ आकर संसार की सारी मोह-माया, पहचान, पद, पैसा — सब बेकार लगने लगते हैं। यही वह स्थल है, जहाँ इंसान खुद को सबसे ज़्यादा समझ पाता है।

🔱 श्मशान: एक रहस्यमय विश्वविद्यालय

श्मशान किसी विद्यालय से कम नहीं, बल्कि यह एक "मौन विश्वविद्यालय" है जहाँ शब्द नहीं, बल्कि मौन और दृष्टि सिखाते हैं।

यहाँ आकर व्यक्ति को जीवन का असली उद्देश्य समझ में आता है।

काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार जैसे विकार धीरे-धीरे विलीन होने लगते हैं।

जब आप किसी प्रियजन को खोकर श्मशान जाते हैं, तभी जीवन की नश्वरता आपको भीतर तक हिला देती है।

श्मशान कहता है — जो आया है, वो जाएगा। फिर इतना अहंकार किस बात का?

🧘‍♂️ एकाग्रता और साधना का सर्वोच्च स्थल

कहा जाता है कि भगवान शिव स्वयं श्मशानवासी हैं, क्योंकि उन्हें भ्रम, झूठ और माया से कोई लेना-देना नहीं। श्मशान वह जगह है जहाँ इंसान सबसे कम भ्रम में होता है।

सच्चे साधु और अघोरी यहीं साधना करते हैं, क्योंकि यहाँ मन भटकता नहीं।

श्मशान की ऊर्जा गहन और गूढ़ होती है, जो साधक को साधना की गहराइयों तक पहुंचाती है।

यहाँ कोई दिखावा नहीं होता, बस सच्चाई का सामना होता है।

📖 गीता और श्मशान — दो महान गुरु

लोगों में यह धारणा है कि जो श्रीमद्भागवत गीता पढ़ता है या श्मशान जाता है, वह दुनिया से विरक्त हो जाता है। पर सच्चाई यह है कि:

गीता और श्मशान दोनों इंसान को जीवन की सच्चाई सिखाते हैं, जिससे वह जीवन को और भी बेहतर, सच्चे और ईमानदार तरीके से जी सके।

ये दोनों व्यक्ति को गलत कार्यों से रोकते हैं, संयम सिखाते हैं और आत्मा की पहचान कराते हैं।

🌊 नदी किनारे क्यों होते हैं श्मशान घाट?

भारत में अधिकतर श्मशान घाट नदी के किनारे बनाए जाते हैं, क्योंकि पानी को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।

नदी शरीर के अंतिम संस्कार के बाद शुद्धि का माध्यम बनती है।

यह प्रतीक है कि जीवन बहता रहता है — जैसे नदी, वैसे ही जीवन।

🙏 निष्कर्ष: श्मशान डराने वाला नहीं, सिखाने वाला स्थान है

> "श्मशान वह स्थान है जहाँ शरीर जलता है, पर आत्मा जागती है।
जहाँ मौन बोलता है, और अहंकार चुप हो जाता है।"

श्मशान से बड़ा कोई शिक्षक नहीं। यह हमें बताता है कि हम जो समझते हैं वो स्थायी है, वह क्षणिक है। इसलिए जीवन को मोह-माया में उलझाकर न जिएं, बल्कि सच्चाई, ईमानदारी और करुणा के साथ जिएं।

श्मशान जीवन का अंत नहीं, एक नया आरंभ है।
शिव, काली और भैरव के प्रिय इस स्थान को अपशकुन नहीं, एक पवित्र और ज्ञान का केंद्र समझिए।











          पशुपति नाथ का समसान ,नेपाल