मैं, प्रवीण कुमार पाठक, जीविका के साथ 12 मई 2008 से जुड़ा हुआ हूँ। इन वर्षों में, मैंने जीविका को बिहार के ग्रामीण परिदृश्य को बदलते हुए करीब से देखा है। यह सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं है, बल्कि एक आंदोलन है जिसने लाखों महिलाओं के जीवन को नई दिशा दी है। इस लेख में, मैं जीविका की यात्रा, इसकी उपलब्धियों और बिहार पर इसके व्यापक प्रभाव पर प्रकाश डालूँगा।
जीविका का उदय: एक नई सुबह की शुरुआत
2006 में, बिहार सरकार ने विश्व बैंक के सहयोग से एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू किया - जीविका, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्त बनाना और उन्हें स्थायी आजीविका के अवसर प्रदान करना था। बिहार, जो कभी पिछड़ा राज्य माना जाता था, के लिए यह एक नई सुबह की शुरुआत थी। जीविका का मुख्य लक्ष्य महिलाओं को संगठित करके, उन्हें आर्थिक गतिविधियों में शामिल करके, और उनके कौशल विकास को बढ़ावा देकर गरीबी को कम करना था।
जीविका का विस्तार: एक राज्यव्यापी क्रांति
जीविका की शुरुआत कुछ जिलों से हुई थी, लेकिन इसकी सफलता ने इसे पूरे राज्य में फैला दिया। 2007 में, यह कार्यक्रम 6 जिलों तक पहुँचा, 2009 में 24 जिलों तक, और 2013 तक, इसने बिहार के सभी 38 जिलों को अपने दायरे में ले लिया। यह विस्तार न केवल भौगोलिक था, बल्कि इसने महिलाओं के जीवन में भी एक गहरा बदलाव लाया।
जीविका का प्रभाव: एक बहुआयामी परिवर्तन
जीविका ने बिहार में महिला सशक्तिकरण, आजीविका संवर्धन, गरीबी उन्मूलन, आर्थिक स्वावलंबन, कौशल विकास, क्षमता वर्धन, नेतृत्व विकास, और स्वरोजगार के क्षेत्रों में उल्लेखनीय काम किया है। इसके कुछ मुख्य प्रभाव इस प्रकार हैं:
* महिला सशक्तिकरण: जीविका ने 1 करोड़ 35 लाख से अधिक महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों (SHG) में संगठित किया है। इन समूहों ने महिलाओं को एक मंच प्रदान किया है जहाँ वे अपनी समस्याओं पर चर्चा कर सकती हैं, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं, और सामूहिक रूप से निर्णय ले सकती हैं। इससे महिलाओं में आत्मविश्वास और आत्मसम्मान बढ़ा है।
* आर्थिक समावेशन: जीविका के तहत 10 लाख 63 हजार से अधिक SHG बनाए गए हैं। इन समूहों के माध्यम से, महिलाओं को वित्तीय सेवाओं, जैसे कि बचत और ऋण, तक पहुँच मिली है। इससे वे अपनी आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने और बढ़ाने में सक्षम हुई हैं।
* कौशल विकास: जीविका ने महिलाओं को विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान किए हैं, जैसे कि सिलाई, कढ़ाई, पशुपालन, कृषि, और उद्यमशीलता। इन प्रशिक्षणों ने महिलाओं को नए कौशल सीखने और अपनी आय बढ़ाने में मदद की है।
* स्वास्थ्य और शिक्षा: जीविका ने महिलाओं के स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसने महिलाओं को स्वास्थ्य सेवाओं, जैसे कि टीकाकरण और परिवार नियोजन, के बारे में जागरूक किया है। इसने महिलाओं को अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए भी प्रोत्साहित किया है।
* नेतृत्व विकास: जीविका ने महिलाओं को नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया है। SHG में, महिलाएं अध्यक्ष, सचिव, और कोषाध्यक्ष जैसे पदों पर काम करती हैं। इससे उनमें नेतृत्व क्षमता का विकास हुआ है।
* स्वरोजगार: जीविका ने महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए हैं। कई महिलाओं ने SHG के माध्यम से छोटे व्यवसाय शुरू किए हैं, जैसे कि किराना स्टोर, टेलरिंग शॉप, और पशुपालन। इससे उनकी आय में वृद्धि हुई है और वे आत्मनिर्भर बनी हैं।
* पलायन में कमी: जीविका ने ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करके पलायन को कम करने में भी मदद की है। अब महिलाओं को रोजगार की तलाश में शहरों में जाने की आवश्यकता नहीं है।
* स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता: जीविका ने महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया है। अब वे अपने स्वास्थ्य और अपने परिवार के स्वास्थ्य का अधिक ध्यान रखती हैं।
* बैंकिंग सुविधाओं का बढ़ावा: जीविका ने ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधाओं को बढ़ावा दिया है। अब महिलाओं को बैंकों से ऋण और अन्य वित्तीय सेवाएं प्राप्त करना आसान हो गया है।
जीविका की रणनीति और संरचना
जीविका ने अपनी सफलता के लिए एक प्रभावी रणनीति अपनाई है। इसकी कुछ मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
* सामुदायिक स्वामित्व: जीविका सामुदायिक स्वामित्व पर आधारित है। कार्यक्रम का संचालन समुदाय के लोगों द्वारा ही किया जाता है। इससे कार्यक्रम की स्थिरता सुनिश्चित होती है।
* मांग-आधारित दृष्टिकोण: जीविका महिलाओं की आवश्यकताओं और माँगों के आधार पर कार्यक्रम तैयार करता है। इससे कार्यक्रम अधिक प्रभावी होता है।
* प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: जीविका महिलाओं को विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम प्रदान करता है। इससे उनकी दक्षता बढ़ती है।
* सतत निगरानी और मूल्यांकन: जीविका कार्यक्रम की सतत निगरानी और मूल्यांकन किया जाता है। इससे कार्यक्रम में सुधार करने में मदद मिलती है।
जीविका की एक मजबूत संगठनात्मक संरचना है। इसमें ग्राम संगठन, क्लस्टर स्तरीय संघ शामिल हैं। ये संगठन कार्यक्रम के कार्यान्वयन और निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सरकारी और विश्व बैंक का योगदान
जीविका बिहार सरकार और केंद्र सरकार के सहयोग से चलाया जा रहा है। विश्व बैंक ने भी इस कार्यक्रम में वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM)
जीविका की सफलता को देखते हुए, भारत सरकार ने 2011 में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) शुरू किया, जिसे अब दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) के नाम से जाना जाता है। इस मिशन का उद्देश्य पूरे देश में ग्रामीण गरीबों को संगठित करना और उन्हें स्थायी आजीविका के अवसर प्रदान करना है। जीविका ने NRLM के लिए एक मॉडल के रूप में काम किया है। NRLM ने भी देश भर में लाखों महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है।
निष्कर्ष: एक प्रेरणादायक कहानी
जीविका एक प्रेरणादायक कहानी है जो दिखाती है कि अगर सही रणनीति और समर्पण के साथ काम किया जाए तो गरीबी को कम किया जा सकता है और महिलाओं को सशक्त बनाया जा सकता है। इसने बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में एक क्रांति ला दी है और लाखों महिलाओं के जीवन को नई दिशा दी है। जीविका न केवल बिहार के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक उदाहरण है।
यह लेख जीविका के 18 वर्षों के कार्यों का एक संक्षिप्त विवरण है। जीविका की सफलता कई लोगों के समर्पण और कड़ी मेहनत का परिणाम है, जिनमें सरकारी अधिकारी, समुदाय के नेता, और सबसे महत्वपूर्ण, स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं शामिल हैं। मैं, प्रवीण कुमार पाठक, जीविका का हिस्सा होने पर गर्व महसूस करता हूँ और मुझे विश्वास है कि यह कार्यक्रम भविष्य में भी बिहार और पूरे देश में सकारात्मक बदलाव लाता रहेगा।
प्रवीण कुमार पाठक
प्रशिक्षण अधिकारी, जीविका, औरंगाबाद, बिहार (2008 से कार्यरत)
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