क्या आपने कभी किसी गांव की चौपाल पर बैठी महिलाओं को देखा है जो अपने छोटे-छोटे बच्चों को संभालते हुए बड़े-बड़े फैसले ले रही होती हैं? कभी सूत कातते-कातते अपने समूह की ऋण योजना बना रही होती हैं? यही है – स्वयं सहायता समूह (Self Help Group – SHG) की असली ताकत!
SHG एक ऐसा विचार है जिसने भारत के गांवों में नारी शक्ति को नई पहचान दी, आर्थिक रूप से मजबूत किया, और आत्मनिर्भरता की अलख जगा दी। आज ये समूह केवल पैसे की बचत और ऋण तक सीमित नहीं हैं – ये तो गांव की संसद बन चुके हैं।
🕰️ SHG की उत्पत्ति: एक छोटी शुरुआत, बड़ी उड़ान
स्वयं सहायता समूह का जन्म भारत में 1980 के दशक में दक्षिण भारत, खासकर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश की ग्रामीण गलियों में हुआ। तब इसे कोई "बड़ा आंदोलन" नहीं मानता था — बस कुछ महिलाएं इकट्ठा होकर ₹5-₹10 की बचत करती थीं।
फिर आया एक क्रांतिकारी मोड़:
1986-87: एक NGO MYRADA ने SHG की औपचारिक संरचना बनाई।
1992: NABARD (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) ने इसे बैंक से जोड़ा। तब से SHG को बैंक लिंकेज प्रोग्राम के तहत बिना जमानत ऋण मिलने लगा।
👉 यह छोटा सा बीज आज विशाल वटवृक्ष बन चुका है।
📈 SHG का भारत में विस्तार: हर गांव में शक्ति का संचार
1999:
SGSY (स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना) के तहत SHG को सरकार की मुख्यधारा में जोड़ा गया।
2011:
NRLM (राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन) शुरू हुआ, जिसने SHG को उड़ान दी।
हर राज्य ने अपना आजीविका मिशन शुरू किया
बिहार में JEEViKA,
झारखंड में Johar,
ओडिशा में Mission Shakti,
महाराष्ट्र में UMED,
उत्तर प्रदेश में NRLM की इकाई।
और फिर क्या हुआ?
महिलाएं "दीदी" बन गईं,
पंचायतों में लीडर बनीं,
बैंकिंग सखी, पशु सखी, कृषि मित्र बनकर समाज की रीढ़ बन गईं।
🌾 SHG का प्रभाव: घर से लेकर शासन तक
1. आर्थिक बदलाव:
पहले जो महिलाएं साहूकार के कर्ज में दबी रहती थीं, अब बैंक से बिना ब्याज या कम ब्याज पर लोन ले रही हैं।
छोटी दुकान, सब्जी की खेती, मवेशी पालन से लाखों महिलाएं आजीविका कमा रही हैं।
2. सामाजिक बदलाव:
SHG दीदियों ने बाल विवाह, घरेलू हिंसा, शराबबंदी जैसे मुद्दों पर भी आंदोलन शुरू किया है।
अब गांव की बैठकों में ‘दीदी’ की आवाज़ सबसे बुलंद होती है।
3. डिजिटल बदलाव:
SHG महिलाएं अब डिजिटल साक्षरता में माहिर हैं।
मोबाइल ऐप, ऑनलाइन ट्रांजैक्शन और बैंकिंग उन्हें अब ज़ुबानी याद है।
4. नेतृत्व और सशक्तिकरण:
कई दीदियाँ पंचायत चुनाव जीत चुकी हैं।
CLF (Cluster Level Federation) के जरिए वे अब नीतिगत फैसले भी ले रही हैं।
📊 कुछ रोचक आँकड़े (2025 तक)
क्षेत्र आँकड़ा
SHG की कुल संख्या 80 लाख+
SHG से जुड़ी महिलाएं 9 करोड़+
SHG को दिया गया ऋण ₹1.5 लाख करोड़ (2024-25)
सबसे सक्रिय राज्य बिहार, ओडिशा, तमिलनाडु, महाराष्ट्र
🌍 SHG की वैश्विक स्थिति: भारत से सीख रही है दुनिया
भारत का SHG मॉडल अब ग्लोबल केस स्टडी बन चुका है।
🌐 कहां-कहां अपनाया गया?
बांग्लादेश: Grameen Bank के जरिए SHG जैसी संरचना।
अफ्रीका: केन्या, रवांडा, घाना में महिला समूहों की सफलता भारत के मॉडल से प्रेरित।
नेपाल और श्रीलंका: NRLM मॉडल पर आधारित सामुदायिक संगठन कार्यरत।
👉 विश्व बैंक, UNDP जैसी संस्थाएं भारत के SHG नेटवर्क को "inclusive development" का श्रेष्ठ मॉडल मानती हैं।
🌟 प्रेरणादायक कहानियाँ: SHG दीदियों की जुबानी
✅ "लखपति दीदी" योजना (बिहार)
पहले जो दीदियाँ दिन भर दूसरों के खेत में मजदूरी करती थीं, आज अपने व्यापार की मालिक हैं — सालाना ₹1 लाख से ज़्यादा कमाई।
✅ "बैंकिंग सखी" (उत्तर प्रदेश)
अब गांव में बैंक नहीं जाता, बल्कि बैंक दीदी बनकर गांव आती है — आधार से पैसा निकालना, फिक्स डिपॉजिट कराना, सब दीदी के हाथों से।
🚧 SHG की चुनौतियाँ: लेकिन दीदी हार नहीं मानतीं
कुछ समूहों में नेतृत्व की कमी
मार्केट से जुड़ाव की समस्या
डिजिटल सीखने में शुरुआती झिझक
✅ समाधान:
लगातार प्रशिक्षण
डिजिटल लिटरेसी अभियान
सरकारी योजनाओं से सीधा जुड़ाव
CLF और VO को और मजबूत बनाना
🎯 निष्कर्ष: SHG – वो चिंगारी जो क्रांति बन गई
SHG ने भारत के गांव-गांव में वह क्रांति लाई है जो बिना शोर के आई, लेकिन पूरे समाज को हिला गई। यह न केवल आर्थिक रूप से बदलाव ला रही है, बल्कि यह गर्व, आत्मसम्मान और नेतृत्व की नायिका बन चुकी है।
जहां कभी महिलाएं बोलने से डरती थीं, आज वे योजनाएं बना रही हैं, ऋण बांट रही हैं, व्यापार चला रही हैं और गांव को बदल रही हैं।
📢 आइए, इस आंदोलन का हिस्सा बनें:
💡 अगर आप एक युवा हैं: SHG से जुड़ी योजनाओं में वॉलंटियर बनें
💡 अगर आप शिक्षक हैं: छात्राओं को SHG मॉडल से परिचित कराएं
💡 अगर आप सरकार से जुड़े हैं: SHG दीदियों को प्राथमिकता दें
💡 अगर आप ग्राहक हैं: SHG उत्पाद खरीदें, ‘Vocal for Local’ बनें।
SHG: छोटी बचत, बड़ा सपना – नारी शक्ति का अद्भुत संगम
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