जब हम बिहार की ग्रामीण पृष्ठभूमि की ओर देखकर देखते हैं, तो जो छवि सामने आती है, उसमें आर्थिक असमानताएँ, सामाजिक चुनौतियाँ और महिलाओं की सीमित भागीदारी प्रमुख हैं। लेकिन 2006 में शुरु हुए जीविका कार्यक्रम ने इस धरा पर एक नई रोशनी डाली। यह सिर्फ एक परियोजना नहीं, बल्कि बिहार की ग्रामीण महिलाओं के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली एक सामाजिक मुहिम है। इस आंदोलन ने न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया, बल्कि उनके सामाजिक एवं सामुदायिक जीवन को भी संवारने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
1. महिला सशक्तिकरण और आजीविका संवर्धन:
जीविका का मूल उद्देश्य महिलाओं को स्वावलंबी बनाना है। इसके तहत महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के माध्यम से जोड़कर उनका एक नया मंच प्रदान किया गया। ये SHGs न केवल वित्तीय सहयोग का जरिया बनीं, बल्कि सामाजिक विश्वास और भागीदारी के नए अवसर भी प्रदान करने लगीं। लगभग 1 करोड़ 35 लाख महिलाएं आज इन समूहों का हिस्सा हैं, जो अपनी समस्याओं को समझने, संवाद करने और सामूहिक निर्णय लेने में सक्षम बनी हैं।
ये स्वयं सहायता समूह महिलाओं को चुनौतियों में साथ देने, नए विचार साझा करने, और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए एक कड़ी साबित हुई हैं। उन्होंने पारंपरिक घरेलू सीमाओं को पार करते हुए समुदाय की दिशा तय करने में भी भूमिका निभाई है। इसने महिलाओं के आत्मविश्वास और सामूहिक शक्ति को अभूतपूर्व बढ़ावा दिया है।
2. आर्थिक स्वावलंबन और गरीबी उन्मूलन:
जीविका ने महिलाओं को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा और वित्तीय सेवाओं की पहुंच बनाने में मदद की। अब तक 10 लाख 63 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूह बने हैं, जिन्होंने लाखों महिलाओं को बचत के लिए प्रोत्साहित किया है और जरूरत के अनुसार ऋण लेने का अवसर प्रदान किया है। इससे महिलाएं छोटे व्यवसाय शुरू कर सकीं, जैसे कि किराना स्टोर, कढ़ाई, सिलाई, पशुपालन, कृषि आधारित उत्पाद आदि।
यह आर्थिक जुड़ाव न केवल महिलाओं की व्यक्तिगत वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ करता है, बल्कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में भी सुधार लाता है। गरीबी उन्मूलन के इस प्रयास ने महिलाओं को आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर किया है। इनके द्वारा संचालित व्यवसायों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान आई है, जिससे पलायन की प्रवृत्ति में कमी आई है।
3. कौशल विकास और क्षमता वर्धन:
जीविका कार्यक्रम महिलाओं के कौशल विकास पर विशेष ध्यान देता है। सिलाई-कढ़ाई, खाद्य प्रसंस्करण, पशुपालन, कृषि, और छोटे उद्योगों तक के प्रशिक्षण से महिलाएं न केवल अपनी आय बढ़ा रही हैं बल्कि व्यवसायों को अधिक प्रभावी रूप से संचालित कर रही हैं। इस प्रशिक्षण से महिलाओं में नेतृत्व क्षमता, वित्तीय प्रबंधन और उद्यमशीलता के गुण भी विकसित हुए हैं।
इसी कारण अब महिलाएं अपने समुदाय में निर्णायक भूमिकाओं में नजर आने लगी हैं। नेतृत्व विकास के ये अनुभव महिलाओं को सामाजिक एवं आर्थिक निर्णयों में भागीदारी का आत्मविश्वास देते हैं।
4. स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार:
स्वास्थ्य और शिक्षा जीवन के दो महत्वपूर्ण पहलू हैं जिनमें जीविका ने सुधार हेतु अनेक प्रयास किए हैं। पोषण, टीकाकरण, परिवार नियोजन, और स्वच्छता से संबंधित प्रशिक्षण महिलाओं को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
साथ ही, बच्चों की शिक्षा को प्रोत्साहित कर, महिलाएं अपने परिवार के उज्जवल भविष्य की नींव रख रही हैं। अब वे अपने बच्चों को स्कूल भेजने और पढ़ाई के महत्व को समझने में अग्रसर हैं। स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में यह जागरूकता ग्रामीण समाज के सतत विकास के लिए भी सहायक सिद्ध हो रही है।
5. सामाजिक स्वामित्व और आत्मनिर्भरता:
जीविका की सफलता का एक महत्वपूर्ण रहस्य है इसका सामुदायिक स्वामित्व मॉडल। इसने महिलाओं को सिर्फ लाभार्थी से अधिक, अपने कार्यक्रम की संरचना, निगरानी, और सुधार का सक्रिय भागीदार बना दिया। ग्राम स्तर से लेकर क्लस्टर या पंचायत स्तर तक समितियां बनीं, जिनमें महिलाएं नेतृत्व करती हैं।
इसने महिलाओं में नेतृत्व क्षमताओं को बढ़ावा दिया और निर्णय लेने की उनकी भूमिका को मजबूत किया। वे न केवल अपने परिवारों की भलाई के लिए, बल्कि अपने समुदाय के समग्र विकास के लिए भी काम करने लगीं। इस प्रक्रिया ने सामुदायिक एकजुटता और सामाजिक जागरूकता को बल दिया।
6. स्वरोजगार के अवसर और पलायन का रोकथाम:
दूर-दराज़ के गावों में रोजगार के अभाव में लोगों का पलायन एक बड़ी समस्या थी। जीविका ने स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराकर इस प्रवृत्ति को कम करने में मदद की। महिलाएं गाँव में रहकर छोटे व्यवसाय जैसे किराना स्टोर, हस्तशिल्प, पशुपालन, और कृषि उत्पादों के निर्माण से आत्मनिर्भर हो सकीं।
यह स्वरोजगार सिर्फ आर्थिक स्वतंत्रता ही नहीं, सामाजिक सम्मान और सुरक्षा भी प्रदान करता है। साथ ही, पलायन में कमी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्थायित्व मिला है और परिवार पौष्टिक जीवन जीने लगे हैं।
7. बिहार सरकार, केंद्र सरकार और विश्व बैंक की भागीदारी:
जीविका परियोजना बिहार सरकार ने विश्व बैंक के समर्थन से शुरू की थी, जिससे इसे वित्तीय और तकनीकी सहायता मिली। बिहार सरकार ने इसे प्रभावी रूप से क्रियान्वित किया तो केंद्र सरकार ने 2011 में इस मॉडल को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के रूप में अपनाया और राष्ट्रीय स्तर पर इसे विस्तार दिया।
विश्व बैंक का योगदान तकनीकी मार्गदर्शन और वित्तीय संसाधन प्रदान करने में अहम रहा। इनके समन्वय ने कार्यक्रम को एक सशक्त राष्ट्रीय मिशन में तब्दील करने में सहायता की।
8. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के आरंभ और जीविका का राष्ट्रीय प्रभाव:
जीविका की सफलता को देखते हुए भारत सरकार ने 2011 में NRLM शुरु किया, जिसका मकसद था पूरे देश के ग्रामीण गरीबों, खासकर महिलाओं को संगठित कर स्थायी आजीविका के अवसर देना। जीविका मॉडल ने इस मिशन को आकार दिया और करोड़ों ग्रामीण महिलाओं के जीवन को बदलने में सहायक रहा।
इस मिशन के अंतर्गत महिलाओं को SHGs के जरिए सशक्त बनाने, वित्तीय समावेशन से जोड़ने, कौशल विकास कराने, स्वास्थ्य एवं शिक्षा के प्रति जागरूक करने समेत अनेक पहल की गईं। इसने राष्ट्रीय स्तर पर महिला सशक्तिकरण का नया इतिहास रचा।
जीविका की रणनीति और समिति संरचना:
इस कार्यक्रम की सफलता के पीछे इसकी ठोस रणनीति और मजबूत समिति संरचना प्रमुख हैं। यह निम्नलिखित मापदंडों पर आधारित है:
-
सामुदायिक संगठन — महिलाओं को SHGs में रूढ़िमुक्त होकर संगठित करना।
-
वित्तीय समावेशन — बैंकिंग प्रणाली के जरिये महिलाओं को वित्तीय सेवा तक पहुंचाना।
-
कौशल विकास — विभिन्न प्रशिक्षणों के माध्यम से रोजगार योग्य और उद्यमी बनाना।
-
नेतृत्व विकास — महिलाओं को प्रभावी नेतृत्व एवं निर्णय क्षमता प्रदान करना।
-
सामुदायिक स्वामित्व — महिलाओं को अपने समुदाय के विकास में सहायक, सक्रिय भागीदार बनाना।
समिति संरचना ग्राम स्तर से लेकर जिला और राज्य स्तर तक फैली हुई है, जो कार्यक्रम के संचालन, निगरानी व मूल्यांकन की जिम्मेदारी निभाती है। इससे निर्णय प्रक्रियाएं पारदर्शी, जवाबदेह और समुदाय-केंद्रित होती हैं।
निष्कर्ष:
18 वर्षों की सफल यात्रा के दौरान जीविका कार्यक्रम ने बिहार के ग्रामीण समाज में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मिसाल कायम की है। यह केवल एक आर्थिक सुधार अभियान न रहकर सामाजिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम बन गया है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना, उनके स्वास्थ्य, शिक्षा, आर्थिक, सामाजिक एवं नेतृत्व कौशल को बढ़ाना, और उन्हें समुदाय के विकास में सक्रिय भूमिका देना जीविका की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
जीविका ने दिखाया है कि सही दृष्टिकोण, स्थानीय सहभागिता और मजबूत प्रशासनिक समर्थन के माध्यम से किसी भी क्षेत्र में सकारात्मक और स्थायी बदलाव लाया जा सकता है। बिहार ही नहीं, सम्पूर्ण भारत एवं अन्य विकासशील देशों के लिए जीविका एक प्रेरणा और मार्गदर्शक बन चुका है।
No comments:
Post a Comment