Thursday, 5 June 2025

*राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (National Rural Livelihoods Mission - NRLM) में क्षेत्रीय समन्वयक एवं सामुदायिक समन्वयक के कार्य एवं दायित्व:*


राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) का उद्देश्य ग्रामीण गरीबों को सतत आजीविका के अवसर प्रदान कर उनके जीवन स्तर को सुधारना है। इसके लिए विभिन्न स्तरों पर समन्वय एवं प्रबंधन की जरूरत होती है। क्षेत्रीय समन्वयक एवं सामुदायिक समन्वयक इस मिशन के प्रभावी कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नीचे इनके कार्य एवं दायित्व विस्तार से दिए गए हैं:

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### 1. क्षेत्रीय समन्वयक (Regional Coordinator) के कार्य एवं दायित्व:

**मुख्य भूमिका:**  

क्षेत्रीय समन्वयक किसी विशेष क्षेत्र (जिले/खंड/सम्बंधित क्षेत्र) में मिशन की गतिविधियों के समन्वय, निगरानी और बेहतर क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार होता है।

**कार्य एवं दायित्व:**

- **मिशन की रणनीति और कार्य योजना का कार्यान्वयन:** जिले/क्षेत्र में मिशन की नीतियों, दिशा-निर्देशों, और कार्य योजनाओं को लागू करवाना।
- **समूहों का गठन, सशक्तिकरण एवं क्षमता निर्माण:** स्व-सहायता समूह (SHGs) का गठन कर उनका नियमित निर्माण एवं सशक्त करना। उनके प्रशिक्षण एवं विकास की योजना बनाना और क्रियान्वित करना।
- **स्व-सहायता समूहों और उनके संघटन हेतु मार्गदर्शन:** समूहों की प्रगति की नियमित समीक्षा, समस्याओं का समाधान, आवश्यक तकनीकी सहायता उपलब्ध कराना।
- **फंड प्रबंधन एवं खातों की निगरानी:** समूहों द्वारा फंड का सही उपयोग सुनिश्चित करना, वित्तीय रिपोर्टों का समन्वय एवं पारदर्शिता बनाए रखना।
- **मिशन के अंतर्गत विभिन्न सब-योजनाओं का निगरानी एवं मूल्यांकन:** जैसे उद्यम विकास, आजीविका अनुदान, बैंक लिंक्डिंग आदि का समन्वय तथा लगातार निरीक्षण।
- **सरकारी विभागों और अन्य संस्थाओं के साथ समन्वय:** क्षेत्रीय स्तर पर पंचायत, कृषि, महिला एवं बाल विकास विभाग, बैंक, गैर-सरकारी संस्थाओं तथा अन्य साझेदारों के साथ तालमेल बनाना।
- **रिपोर्टिंग:** मिशन गतिविधियों की प्रगति के बारे में नियमित रिपोर्ट तैयार कर उच्च अधिकारियों को भेजना।
- **समस्याओं का समाधान:** भूमि, जल, संसाधनों, निवेश संबंधी एवं क्रियान्वयन में आ रही बाधाओं के समाधान में सक्रिय भूमिका निभाना।
- **सहायता एवं मार्गदर्शन देना:** ब्लॉक एवं पंचायत स्तर के समन्वयकों और अन्य सहयोगियों को ट्रेनिंग एवं सलाह देना।
- **मीडिया एवं जनसंपर्क:** क्षेत्र में मिशन की गतिविधियों के प्रचार-प्रसार के लिए मीडिया, स्थानीय सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठनों से संपर्क बनाए रखना।

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### 2. सामुदायिक समन्वयक (Community Coordinator) के कार्य एवं दायित्व:

**मुख्य भूमिका:**  

सामुदायिक समन्वयक का कार्य मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में सीधे समुदाय के साथ जुड़कर स्व-सहायता समूहों का गठन, सशक्तिकरण और उनका निरंतर समर्थन करना होता है।

**कार्य एवं दायित्व:**

- **स्व-सहायता समूहों (SHGs) का गठन और सक्रियता सुनिश्चित करना:** स्वयं सहायता समूहों के गठन में मदद करना, परिवारों/महिलाओं को समूह से जोड़ना, समूहों को नियमित बैठक करने के लिए प्रेरित करना।
- **समूहों को प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास प्रदान करना:** वित्तीय साक्षरता, प्रबंधन, उद्यम विकास आदि क्षेत्रों में समूह सदस्यों को प्रशिक्षण देने में सहायक।
- **सकारात्मक सामाजिक व्यवहार और प्रवृत्ति विकसित करना:** समूह सदस्यों के बीच सामुदायिक सहभागिता और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना।
- **बैंक आसान पहुँच बनाना एवं आर्थिक समावेशन:** समूहों को बैंक सेवाओं से जोड़ना, बैंकिंग प्रक्रिया को समझाना, ऋण और अन्य वित्तीय संसाधनों का लाभ दिलवाना।
- **मिशन के दिशा-निर्देशों का पालन:** मिशन के प्रोटोकॉल, नियमों एवं दिशा-निर्देशों के अनुसार काम करना।
- **मिशन गतिविधियों का डेटा संग्रह एवं रिकॉर्ड रखना:** समूहों की बैठकों, वित्तीय लेनदेन, प्रशिक्षण की रिपोर्टिंग सुनिश्चित करना।
- **समस्याओं की पहचान और समाधान:** समूहों के सामने आने वाली समस्याओं को समझना और आवश्यक सहयोग एवं मार्गदर्शन उपलब्ध कराना।
- **स्थानीय संस्थाओं और समुदाय के बीच संवाद स्थापित करना:** पंचायत, ग्राम सभा, स्थानीय संस्थाओं से निरंतर संपर्क में रहना।
- **सतत निगरानी एवं फीड बैक:** समूहों के कामकाज की समय-समय पर जांच करना, आवश्यक सलाह देना और क्षेत्रीय समन्वयक को प्रतिक्रिया देना।
- **स्वच्छता, स्वास्थ्य, पोषण जैसे सामाजिक विषयों का संवर्धन:** आवश्यकतानुसार समूहों के सदस्यों को अन्य सामाजिक विषयों पर जागरूक करना।

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### निष्कर्ष:

**क्षेत्रीय समन्वयक** मिशन के संचालन में व्यापक स्तर पर रणनीतिक, समन्वयात्मक और प्रबंधकीय कार्य करते हैं, जबकि **सामुदायिक समन्वयक** सीधे जमीन स्तर पर समुदाय और समूहों के साथ जुड़कर उन्हें सक्षम बनाने और मिशन के उद्देश्यों के अनुरूप कार्यवाही सुनिश्चित करने की भूमिका निभाते हैं। दोनों पद मिशन के सफल क्रियान्वयन के लिए परस्पर आवश्यक और पूरक हैं।

यदि आपको इस विषय पर और अधिक विशिष्ट जानकारी या संबंधित दस्तावेज चाहिए तो कृपया बताएं।

Monday, 2 June 2025

JEEViKA/NRLM में Training Officer का कार्य ...

 

JEEViKA (Bihar Rural Livelihoods Promotion Society - BRLPS) एवं NRLM (National Rural Livelihoods Mission) के अंतर्गत Training Officer की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण और बहुआयामी होती है। Training Officer जमीनी स्तर पर सामुदायिक संस्थाओं (SHG, VO, CLF) की क्षमता वर्धन में एक मुख्य स्तंभ के रूप में कार्य करता है।

यहाँ Training Officer के प्रमुख कार्यों का विस्तृत विवरण दिया गया है:


🔹 1. प्रशिक्षण योजना का निर्माण और क्रियान्वयन (Training Planning and Execution):

  • वार्षिक और त्रैमासिक प्रशिक्षण योजनाओं का निर्माण।

  • SHG, VO, CLF, CBO सदस्यों, कैडर (MBK, CRP, Livelihood Cadre, VO Book Keeper, etc.) के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार करना।

  • प्रशिक्षण के लिए सामग्री, पुस्तिकाएँ, फ्लिप चार्ट आदि तैयार करना या उपलब्ध कराना।

  • प्रत्येक स्तर पर आवश्यकतानुसार प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना – पंचायत, प्रखंड, जिला, राज्य।


🔹 2. क्षमता वर्धन (Capacity Building):

  • CBO (SHG, VO, CLF) के कार्यकारिणी सदस्य, OB सदस्य, Book Keeper, Community Mobilizer, MBK आदि की क्षमताओं को बढ़ाना।

  • पंचसूत्र (बैठक, बचत, अंतर्वित्त, ऋण वापसी, बहीखाता लेखा) पर प्रशिक्षण देना।

  • योजना, लेखा, पोषण, सामाजिक विकास, आजीविका, वित्तीय साक्षरता आदि विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण देना।


🔹 3. मॉनिटरिंग और फॉलोअप (Monitoring and Follow-up):

  • प्रशिक्षण उपरांत फॉलोअप विज़िट करना और सीखने के प्रभाव का आकलन करना।

  • प्रशिक्षित व्यक्तियों के व्यवहार में आए परिवर्तन को रिकॉर्ड करना।

  • MIS या पोर्टल पर प्रशिक्षण से संबंधित विवरण अपलोड कराना या उसकी निगरानी करना।


🔹 4. रिपोर्टिंग और दस्तावेजीकरण (Reporting & Documentation):

  • प्रत्येक प्रशिक्षण कार्यक्रम की रिपोर्ट तैयार करना – फोटो, प्रतिभागी सूची, गतिविधि रिपोर्ट आदि के साथ।

  • प्रशिक्षण की उपस्थिति पंजी, मूल्यांकन फॉर्म और फीडबैक एकत्र करना।

  • प्रशिक्षण प्रभाव का आकलन रिपोर्ट के रूप में बनाना।


🔹 5. कैडर डेवलपमेंट और मॉनिटरिंग (Cadre Development & Support):

  • MBK, CRP, PRP, VO Book Keeper आदि कैडरों की पहचान, चयन, प्रशिक्षण और समर्थन।

  • कैडर की गुणवत्ता सुनिश्चित करना और कार्यों की नियमित समीक्षा करना।

  • नव कैडरों को ऑन-फील्ड में प्रशिक्षित करना।


🔹 6. समन्वय और सहयोग (Coordination & Liaison):

  • बीपीएम, एसी, सीसी, CF, DPMU, SPMU स्तर के अधिकारियों से समन्वय बनाना।

  • प्रशिक्षण स्थल, संसाधन व्यक्ति, सामग्री आदि की व्यवस्था हेतु अन्य विभागों या संस्थानों से समन्वय।

  • ब्लॉक, जिला एवं राज्य स्तर की समीक्षा बैठकों में भाग लेना और अपडेट देना।


🔹 7. नवाचार और सुधार (Innovation & Improvement):

  • समुदाय की ज़रूरत के अनुसार प्रशिक्षण में नवाचार करना।

  • डिजिटल माध्यम (MPLearning, Zoom, WhatsApp, YouTube आदि) के माध्यम से ई-लर्निंग को बढ़ावा देना।

  • बेहतर प्रशिक्षण प्रभाव के लिए केस स्टडी, भूमिका-निवेदन, समूह कार्य आदि विधियों का प्रयोग करना।


🔹 8. सामाजिक और लैंगिक मुद्दों पर प्रशिक्षण (Training on Social & Gender Issues):

  • महिला सशक्तिकरण, लैंगिक समानता, घरेलू हिंसा, साइबर अपराध, बाल विवाह, दहेज प्रथा जैसे विषयों पर समुदाय को संवेदनशील बनाना।

  • किशोरी समूह, परिवार और पुरुष सदस्य के साथ संवाद करना।


🔹 9. तकनीकी प्रशिक्षण का समन्वय (Linkages with Technical Trainings):

  • आजीविका से जुड़े कौशल विकास (जैसे – मशरूम उत्पादन, सिलाई-कढ़ाई, पशुपालन, सब्जी उत्पादन) में विशेषज्ञ संस्थानों के माध्यम से प्रशिक्षण सुनिश्चित करना।

  • SHG सदस्यों को PMFME, NRLM, RSETI, या DDU-GKY के तहत कौशल प्रशिक्षण से जोड़ना।


🔹 10. विशेष अभियानों में भागीदारी (Participation in Campaigns):

  • जीवन कौशल, वित्तीय साक्षरता, डिजिटल साक्षरता, जल संरक्षण, स्वच्छता, पर्यावरणीय अभियान, कोविड जागरूकता आदि विशेष अभियानों के प्रशिक्षण में भागीदारी।


निष्कर्ष:

Training Officer का कार्य केवल प्रशिक्षण देना नहीं है, बल्कि समुदाय के सतत विकास हेतु उन्हें सक्षम बनाना है। वह एक "गाइड + मॉनिटर + मोटिवेटर" की भूमिका निभाता है। उसकी कार्यशैली, योजना, और निष्पादन समुदाय के भीतर बदलाव की दिशा तय करती है।