"जब एक विचार जमीनी हकीकत बनता है, तब बदलाव की असली शुरुआत होती है।
बिहार सरकार की एक ऐसी ही क्रांतिकारी पहल है बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति (BRLPS), जिसे आम लोग 'जीविका' के नाम से जानते हैं। यह केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि गरीबी उन्मूलन और महिला सशक्तिकरण का सामाजिक आंदोलन है।
इस आंदोलन की असली ताकत वे लोग हैं, जो रोज़ाना गाँव की धूल में अपने पाँव गंदे करते हैं – सामुदायिक समन्वयक (CC) और क्षेत्रीय समन्वयक (AC)। वे किसी फिल्मी हीरो की तरह चमकते नहीं, परन्तु बदलाव के असली नायक हैं।
भाग 1: सामुदायिक समन्वयक (CC) – बदलाव की पहली किरण
कल्पना कीजिए: एक युवा महिला या पुरुष, जो दो-तीन पंचायतों में सुबह से शाम तक घूमता है, SHG की बैठकों में भाग लेता है, दीदियों को बचत की महत्ता समझाता है, और बैंक से ऋण दिलवाने के लिए दिनभर दौड़ता है। यही है Community Coordinator, जिसे हम प्यार से CC कहते हैं।
1. विश्वास और नेतृत्व का सूत्रधार
CC का सबसे पहला काम होता है विश्वास पैदा करना। गाँव की महिलाएँ, जो पहले कभी घर से बाहर नहीं निकलीं, आज SHG की बैठकों में बोलती हैं, निर्णय लेती हैं और छोटी-छोटी बचत से बड़ा सपना देखती हैं – और यह सब CC की वजह से संभव हो पाता है।
2. समूह निर्माण और पंचसूत्र
SHG बनाना केवल कागजों का काम नहीं है। CC को यह देखना होता है कि समूह की दीदियाँ हर हफ्ते मिलें, बचत करें, आपसी ऋण लें-दें, समय पर चुकाएं और अपने रिकॉर्ड सही रखें। यही पंचसूत्र हैं – जीविका का आधार। CC इन सिद्धांतों को दीदियों के जीवन का हिस्सा बनाता है।
3. ग्राम संगठन (VO) की नींव
जब गाँव में कई SHG तैयार हो जाते हैं, तो उन्हें एक मंच पर लाकर ग्राम संगठन (VO) बनाया जाता है। इसमें CC की भूमिका गाइड और मार्गदर्शक की होती है, जो SHG को VO की शक्ति समझाता है और नेतृत्व विकसित करता है।
4. बैंकिंग और वित्तीय शिक्षा
SHG का खाता खुलवाना, बैंक से लोन दिलवाना और CIF फंड को सही तरीके से उपयोग करना, CC के ही जिम्मे होता है। लेकिन इससे भी बढ़कर, वह दीदियों को बैंकिंग और वित्तीय साक्षरता सिखाता है – ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।
5. आजीविका का समर्थन
CC केवल समूह बनाकर छोड़ नहीं देता। वह दीदियों की आर्थिक गतिविधियों में मदद करता है – जैसे बकरी पालन, सब्जी उत्पादन, सिलाई, पापड़ बनाना आदि। साथ ही, उन्हें कृषि सखी, पशु सखी जैसे समुदाय कैडर से जोड़कर तकनीकी मदद भी दिलवाता है।
6. सामाजिक परिवर्तन का वाहक
स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, स्वच्छता, बाल विवाह, घरेलू हिंसा – ये सब CC की कार्यसूची में शामिल होते हैं। वह SHG बैठकों में इन मुद्दों पर चर्चा करवाता है, सरकारी योजनाओं की जानकारी देता है और जरूरत पड़ने पर सशक्त हस्तक्षेप भी करता है।
7. रिपोर्टिंग और MIS अपडेट
CC अपने पूरे क्षेत्र का रिकॉर्ड रखता है – SHG की मीटिंग, लोन स्टेटस, ट्रेनिंग, फंड यूज़ आदि। यह सब MIS में दर्ज कर वह ब्लॉक और जिले को रिपोर्ट करता है। इस डेटा के आधार पर नीति बनती है।
भाग 2: क्षेत्रीय समन्वयक (AC) – रणनीति और मार्गदर्शन का शिल्पकार
जहाँ CC मैदान में है, वहीं AC है उसका कप्तान। एक AC के पास 5–8 CC की टीम होती है और वह उन्हें प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और निगरानी प्रदान करता है। यह जिम्मेदारी आसान नहीं होती।
1. फील्ड पर्यवेक्षण और मेंटरिंग
AC गाँव-गाँव जाकर यह देखता है कि CC द्वारा किए गए SHG और VO सही ढंग से काम कर रहे हैं या नहीं। वह CC के काम की गुणवत्ता परखता है, सुझाव देता है, और उनकी समस्याओं का समाधान करता है।
2. रणनीति और योजना निर्माण
AC, ब्लॉक कार्यालय से मिले लक्ष्य के आधार पर अपने क्लस्टर के लिए मासिक और वार्षिक योजना बनाता है। वह यह भी देखता है कि कहाँ पर काम धीमा चल रहा है और उसमें सुधार की क्या आवश्यकता है।
3. CLF की स्थापना और सशक्तिकरण
एक AC का सबसे बड़ा कार्य होता है Cluster Level Federation (CLF) बनाना – जो VOs का एक संघ होता है। AC इस संस्था को व्यवस्थागत, आर्थिक और प्रबंधकीय रूप से सक्षम बनाता है ताकि वह स्वयं निर्णय ले सके और विकास कर सके।
4. बैंक और विभागीय समन्वय
AC, बैंकों, कृषि, पशुपालन, स्वास्थ्य आदि विभागों के ब्लॉक-स्तरीय अधिकारियों से समन्वय करता है। वह यह सुनिश्चित करता है कि दीदियों को सरकारी योजनाओं और ऋण में कोई बाधा न आए।
5. डेटा विश्लेषण और रिपोर्टिंग
AC, अपने सभी CCs से मासिक रिपोर्ट लेकर उसे एकीकृत करता है, विश्लेषण करता है और मासिक प्रगति रिपोर्ट (MPR) बनाकर Block Project Manager (BPM) को देता है।
6. प्रेरक और नेतृत्वकर्ता
AC केवल पर्यवेक्षक नहीं होता, वह एक प्रेरणा स्रोत भी होता है। वह CCs को प्रेरित करता है, उन्हें सुधार की दिशा दिखाता है और टीम भावना को बढ़ावा देता है।
CC और AC: बदलाव के दो पहिए
जहाँ CC गहराई में काम करता है, वहीं AC विस्तार में।
जहाँ CC हर महिला से सीधा जुड़ता है, वहीं AC पूरे क्लस्टर को रणनीति से जोड़ता है।
ये दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। यदि CC नींव है, तो AC उसकी इमारत।
निष्कर्ष: मौन क्रांति के नायक
जीविका की सफलता की असली कहानी इन मौन क्रांतिकारियों की है – CC और AC।
CC वह दीया है, जो गाँव की अंधेरी गलियों में आशा की लौ जलाता है।
AC वह दिशा है, जो इन दीयों को एक उजाले में बदलने की रणनीति तय करता है।
उनकी मेहनत, समर्पण और निष्ठा ही जीविका को एक महिला सशक्तिकरण आंदोलन बनाती है – जो केवल आत्मनिर्भरता की बात नहीं करता, बल्कि सच्चे बदलाव की मिसाल भी पेश करता है।