Friday, 1 August 2025

जीविका: एक मिशन, एक सोच – समाज परिवर्तन के सच्चे योद्धाओं का मंच...


जब हम गाँव की पगडंडियों पर चलते हैं, जहाँ उम्मीदें धूप-छाँव सी लहराती हैं, और जहाँ ज़िंदगी अपनी सादगी में संघर्ष करती है, वहाँ एक नाम उम्मीद की रौशनी बनकर उभरा है – “जीविका”।
जी हाँ, बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति (BRLPS) जिसे हम "JEEViKA" के नाम से जानते हैं, आज सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि बदलाव की ज़मीनी हकीकत बन चुकी है।

यह लेख जीविका के बारे में विस्तार से बताएगा और यह भी कि इसमें किस सोच के लोग कर्मी के रूप में जुड़ें, ताकि यह मिशन और सशक्त बन सके।

🔷 जीविका क्या है?

जीविका, बिहार सरकार की एक प्रमुख पहल है, जो राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के अंतर्गत विश्व बैंक के सहयोग से चलाई जाती है। इसका उद्देश्य है:

ग्रामीण गरीब, विशेषकर महिलाओं को स्वयं सहायता समूह (Self Help Group - SHG) से जोड़ना,

उन्हें वित्तीय सेवाओं, कौशल विकास, और आजीविका के अवसरों से जोड़ना,

और उन्हें आर्थिक, सामाजिक एवं मानसिक रूप से सशक्त बनाना।
जीविका का मुख्य हथियार है – "संगठन, समर्पण और सशक्तिकरण"।
SHG → VO (ग्राम संगठन) → CLF (संवर्धन संस्था) के रूप में एक ऐसा नेटवर्क तैयार किया गया है, जो गाँव की हर महिला को आत्मनिर्भर बनने की राह पर ले चलता है।

🔷 जीविका कर्मी: कोई साधारण कर्मचारी नहीं, एक परिवर्तन वाहक

जीविका में काम करने वाला कोई भी व्यक्ति सिर्फ एक नौकरी करने वाला नहीं होता,
वह होता है समाज परिवर्तन का योद्धा,
जो गाँवों के बीच जाकर लोगों की जिंदगी को दिशा देने का काम करता है।
वह बच्चों की शिक्षा, महिलाओं की आर्थिक आज़ादी, और परिवार की खुशहाली का सपना बुनता है – हर दिन, हर क्षण।

🔷 जीविका में किस सोच के लोगों को जुड़ना चाहिए?

जीविका में काम करने के लिए डिग्री से ज्यादा ज़रूरी होती है सोच और दृष्टिकोण।
यहाँ वही लोग टिकते हैं जिनके अंदर जुनून हो, सेवा का भाव हो और बदलाव का सपना हो।

नीचे ऐसे 7 सोच बताई गई हैं जो एक सफल जीविका कर्मी में होनी चाहिए:

1️⃣ सेवा भाव से भरपूर सोच

जो व्यक्ति यह मानता हो कि

> “अगर मैं थोड़ा भी किसी की मदद कर सका, तो मेरा जीवन सार्थक है।”
वही जीविका की असली आत्मा को समझ सकता है।
यहाँ काम करने वाले कर्मी गाँव की महिलाओं के साथ बैठते हैं, सुनते हैं, समझते हैं और उन्हें आत्मनिर्भरता की राह दिखाते हैं।

2️⃣ परिवर्तन में विश्वास रखने वाली सोच

यह सोच रखने वाला व्यक्ति हर चुनौती को एक अवसर मानता है।
वह जानता है कि एक महिला अगर पढ़े, कमाए और निर्णय ले – तो उसका परिवार, उसका गाँव, उसका समाज – सब बदल सकते हैं।
जीविका ऐसे ही सोच वाले लोगों की तलाश में रहती है।

3️⃣ धैर्य और संवेदनशीलता से भरी सोच

गाँव में काम करना शहरी दफ्तरों जैसा नहीं होता।
कभी पगडंडियों से पैदल चलना पड़ता है, कभी बारिश में भीगना, तो कभी धूप में मिट्टी पर बैठक करना।
यह सब वही कर सकता है जो लोगों की तकलीफ को महसूस कर सकता हो, और उन्हें भरोसे से जोड़ सकता हो।

4️⃣ टीमवर्क और सहभागिता में विश्वास रखने वाली सोच

SHG, VO, CLF जैसे ढांचे सामूहिक कार्य पर आधारित हैं।
यहाँ व्यक्ति अकेले कुछ नहीं कर सकता, उसे समूहों के साथ जुड़ना, उन्हें प्रेरित करना, और मिलकर काम करना होता है।
नेतृत्व वही कर सकता है जो सुनना जानता हो, समझना जानता हो और सबको साथ लेकर चलना जानता हो।

5️⃣ ईमानदारी और पारदर्शिता वाली सोच

जीविका की सारी योजनाएँ जनता के पैसों से चलती हैं।
इसलिए यहाँ काम करने वालों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने हर कार्य में ईमानदार, जवाबदेह और पारदर्शी रहें।
दूसरों को प्रेरित करने के लिए खुद पहले सही होना जरूरी है।

6️⃣ सीखने और सिखाने की ललक

जीविका में काम करने वाले को हर दिन कुछ नया सीखने को मिलता है –
MPMG ऐप, MIS रिपोर्ट, बैठक संचालन, बुक कीपिंग, वित्तीय साक्षरता, सरकारी योजनाएँ, सामाजिक सरोकार।
यदि आप सीखने में रुचि रखते हैं और दूसरों को सिखाने का आनंद लेते हैं – तो जीविका आपके लिए उपयुक्त जगह है।

7️⃣ नवाचार और समाधान की सोच

गाँव में समस्याएँ अलग होती हैं – कभी बैंक लोन नहीं मिल रहा, तो कभी समूह का खाता बंद हो गया,
कभी महिलाओं में आत्मविश्वास की कमी होती है, तो कभी किसी को दस्तावेज़ नहीं मिलते।
ऐसी स्थिति में जीविका कर्मी वही होता है जो हर समस्या का समाधान खोजे – सकारात्मक सोच और नवाचार के साथ।

🔷 जीविका कर्मी की ज़िंदगी – कुछ अनकही बातें

सुबह 7 बजे की बैठक, SHG की गहमागहमी।

2 बजे CLF की योजना बैठक।

शाम को महिला के साथ उसका फॉर्म भरना, उसे बैंक तक ले जाना।

रात को MIS रिपोर्ट बनाना और ऐप पर एंट्री करना।
कभी गाँव के रास्ते में कोई बच्चा आपको “भैया नमस्ते!” कहता है,
कभी कोई दीदी कहती है – “आप नहीं होते तो हम लोन ना ले पाते।”
ये पल बतौर कर्मी आपकी तनख्वाह से नहीं, बल्कि संतोष से भरी जेबें भरते हैं।

🔷 निष्कर्ष: क्या आप तैयार हैं?

जीविका केवल नौकरी नहीं है, यह एक संवेदनशील सोच रखने वाले कर्मियों का मंच है।
यहाँ वे लोग टिकते हैं जो गाँव की मुस्कान को अपना पुरस्कार मानते हैं।
जो कागज से ज्यादा दिल से काम करते हैं।
और जो यह मानते हैं कि –

> "एक बदलाव लाने के लिए पहले खुद को बदलना होता है।"

अगर आपके भीतर सेवा है, संवेदनशीलता है, समाधान की सोच है, और समाज को कुछ लौटाने की भावना है –
तो जीविका आप जैसे कर्मियों का स्वागत करती है।
आप भी जुड़िए – उस बदलाव से जो गाँव की मिट्टी से महकता है, और समाज को नई दिशा देता है।
आप भी बनिए – जीविका का सच्चा कर्मी।


किताब पढ़ो, कुछ अलग करो!" – ज्ञान की दुनिया में एक रोमांचक सफर ...

क्या आपने कभी एक ऐसी किताब पढ़ी है जिसने आपकी सोच ही बदल दी हो? अगर हाँ, तो आप जानते होंगे कि किताबें सिर्फ कागज के पन्ने नहीं होतीं, बल्कि वो दरवाजे होती हैं जो आपको नई दुनिया, नए विचार और अनगिनत अनुभवों से जोड़ती हैं।

चलिए आज आपको ले चलते हैं एक ऐसे सफर पर, जहाँ किताबें आपकी सबसे अच्छी दोस्त बन जाती हैं — जो आपको सिखाती हैं, हँसाती हैं, रुलाती हैं और सबसे ज़रूरी, आपको बेहतर इंसान बनाती हैं।

📘 किताबों की दुनिया: हर विषय का खजाना

तस्वीर में दिख रही किताबों की विविधता हमें बताती है कि ज्ञान की कोई सीमा नहीं। चाहे आप इतिहास के पन्नों में खो जाना चाहते हों, किसी महान व्यक्ति की जीवनी से प्रेरणा लेना चाहते हों या किसी काल्पनिक दुनिया में उड़ान भरनी हो — हर किसी के लिए कुछ न कुछ है!

🧠 "किताब पढ़ो, कुछ अलग करो" – सिर्फ नारा नहीं, एक जीवन मंत्र!

यह नारा हमें प्रेरित करता है कि किताबें पढ़ने से हम सिर्फ जानकारी नहीं पाते, बल्कि अपने सोचने-समझने का नजरिया बदलते हैं। जब हम पढ़ते हैं, तो हम केवल शब्द नहीं पढ़ते — हम अनुभव करते हैं, समझते हैं और भीतर से बदलते हैं।

🌟 किताबें पढ़ने के 7 ज़बरदस्त फायदे:

  1. ज्ञान का पिटारा खुलता है – हर किताब कुछ नया सिखाती है।

  2. शब्दों से दोस्ती होती है – भाषा, शब्दावली और अभिव्यक्ति में सुधार आता है।

  3. कल्पना को पंख लगते हैं – विशेष रूप से कथा साहित्य हमें सोच से परे उड़ने में मदद करता है।

  4. विचारों की खिड़की खुलती है – हम नए विचारों से टकराते हैं और सोचने की क्षमता बढ़ती है।

  5. तनाव को अलविदा कहो – पढ़ाई दिमाग को सुकून देती है, एक थेरेपी जैसी!

  6. आत्मविश्वास बढ़ता है – जितना ज़्यादा जानो, उतना ही खुद पर भरोसा बढ़ेगा।

  7. नेतृत्व गुण निखरते हैं – सोचने-समझने की क्षमता नेतृत्व में मदद करती है।

📲 आजकल किताबें पढ़ना और भी आसान हो गया है!

  • ई-बुक्स: जेब में पूरी लाइब्रेरी!

  • ऑडियोबुक्स: आँखें बंद कर सुनिए, और कल्पना की उड़ान भरिए।

  • स्थानीय पुस्तकालय: ज्ञान का खजाना पास ही है, बस जाना है।

  • ऑनलाइन लाइब्रेरी: बिना पैसे खर्च किए, अनगिनत किताबें!

🧩 अब आप बताइए — आपकी पसंदीदा किताब कौन सी है?

क्या आपको भी कोई ऐसी किताब याद है जिसने आपको भीतर तक हिला दिया हो या प्रेरित किया हो कुछ अलग करने के लिए? मुझे आपके किताबों से जुड़े अनुभव और पसंद जानने में बेहद ख़ुशी होगी।

निष्कर्ष: किताबें – सबसे सच्चे दोस्त

जीवन में किताबों का महत्व केवल परीक्षा पास करने तक सीमित नहीं है। ये आपके व्यक्तित्व, सोच और दुनिया को देखने के नजरिए को भी निखारती हैं।
तो आइए, एक नई किताब उठाइए, एक नया अध्याय शुरू कीजिए और खुद को हर दिन थोड़ा और बेहतर बनाइए।

"किताब पढ़ो, कुछ अलग करो" — यही है असली ज्ञान की शुरुआत!

अगर आप चाहें तो मैं आपको कुछ बेहतरीन किताबों की सिफारिश भी कर सकता हूँ – हिंदी, अंग्रेज़ी या किसी खास विषय पर। बताइए! 📖💬